
Dr. Dilip Kumar Pareek
February 13, 2025 at 02:41 AM
आस्था बहुत से अवसरों पर जोखिम व दुःख से विशाल बन जाती है। अगर मनुष्य जीवन के सबसे बड़े उद्देश्य के रूप में सुख प्राप्ति मानी जाए तो आस्था के निर्वहन में प्राप्त दुःख ही सच्चा सुख बन पड़ता है।
महाकुम्भ का एक दृश्य....😊
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