
Dr. Dilip Kumar Pareek
February 22, 2025 at 02:08 AM
तुम जब आओगी
बारिशें होंगी....
फूल खिलेंगे....
पंछी चहकेंगे.....
पेड़ हँसेंगे.....
ठंडी हवाएँ बहेंगी.....
बजेंगी मन्दिर की घण्टियाँ...
गान होगा वैदिक ऋचाओं का...
आचमन चरणामृत का....
धूप दीप नैवेद्य होंगे अर्पण और ये सब कुछ होगा स्वतः....
देव होंगे मुखरित यशोगान करते पुष्पवर्षा के साथ..... खुश हो जाएगी ये धरा तेरी स्मित हास से
पुकारा करोगी तुम मुझे इशारों से
मैं अपना मैं छोड़ करूँगा आत्मसात
अपने सारे मनोरथ....
तुम जब आओगी
डॉ. दिलीप कुमार पारीक
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