Mazdoor Bigul  मजदूर बिगुल www.mazdoorbigul.net
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February 15, 2025 at 04:17 AM
जवानियो उठो (आह्वान नाट्य टोली, मुम्‍बई) जवानियो उठो कि रास्ते तुम्हें पुकारते, जवानियो उठो कि रास्ते तुम्हें निहारते। उठो कि जात पात का गुबार धुल के मिट सके, उठो कि ऊँच-नीच का जहाँ में फ़र्क मिट सके। कोई किसी पे ज़ोर ज़ुल्म अब न कर सके यहाँ, अकाल और भूख से कोई न मर सके यहाँ। उठो कि आँसुओं का राज इस ज़मीं से ख़त्म हो, उठो कि हिटलरी मिजाज़ इस ज़मीं से ख़त्म हो, उठो कि ज़िन्दगी का आफ़ताब जगमगा सके, उठो कि मौत का निशान अब न सर उठा सके। जवानियो उठो कि रास्ते तुम्हें पुकारते, जवानियो उठो कि रास्ते तुम्हें निहारते ।
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