
Anjuman Zeya E Akhtar
February 15, 2025 at 07:20 PM
*हर घबराहट में उनको याद करें*
इश्क़-ए-सैय्यद-ए-आलम ﷺ
*हुवल-हबीबुल्लज़ी तुरजा शफाअतुहु*
*लिकुल्लि हौलिम मिनल-अहवालि मुक़्तहिमि।*
वो ऐसे प्यारे हैं कि हर घबराहट में उनकी शफाअत की उम्मीद होती है।
यहाँ अक्सर शारहीन-ए-क़सीदा-ए-बुर्दा शरीफ़ ने शफ़ाअत को क़यामत से मुक़य्यद किया है जबकि अल्फ़ाज़ मुतलक़ हैं।
हर घबराहट में उन صلی اللہ علیہ وسلم की शफाअत की उम्मीद की जाती है।
माल फ़ना हो जाए या औलाद बीमार हो जाए या रूहानी जिस्मानी आफ़त आन पड़े तो हबीब-ए-रब-उल-इज़्ज़त की बारगाह में अर्ज़ करें। वो अल्लाह रब-उल-इज़्ज़त की बारगाह में अर्ज़ करेंगे। उनकी शफाअत ज़रूर क़बूल होगी।
यह रूहानी नुस्ख़ा हमें ख़ुद क़ुरआन करीम ने दिया है:
لَوْ اَنَّهُمْ اِذْ ظَّلَمُوْۤا اَنْفُسَهُمْ جَآءُوْكَ فَاسْتَغْفَرُوا اللّٰهَ وَ اسْتَغْفَرَ لَهُمُ الرَّسُوْلُ لَوَجَدُوا اللّٰهَ تَوَّابًا رَّحِیْمًا
अगर वो अपनी जानों पर ज़ुल्म करें तो ऐ प्यारे तुम्हारी बारगाह में आएँ फिर अल्लाह से माफ़ी माँगें और रसूल भी उनके लिए शफाअत करें तो वो ज़रूर अल्लाह को तौबा क़बूल करने वाला रहम करने वाला पाएँगे। आयत-ए-मुबारका से जो मसाइल साफ़ अख़्ज़ होते हैं वो ये हैं:
*दीनी व दुनियावी कोई कमी ज़्यादती करें तो मदीना पाक जाएँ।*
वहाँ जा कर अल्लाह से माफ़ी माँगें जबकि हर जगह मसाजिद हैं अल्लाह रब-उल-आलमीन हर बंदे की दुआ हर जगह से सुनता है। फिर भी हबीब के पास जाने का हुक्म दिया कि वहाँ जा कर इस्तिग़फ़ार करें। मालूम हुआ इस्तिग़फ़ार की ताक़त मदीना मुनव्वरा में बढ़ जाती है।
हबीब ए करीम صلی اللہ علیہ وسلم के क़ुर्ब में इस्तिग़फ़ार करना अल्लाह रब-उल-आलमीन को पसंद है।
फिर हुज़ूर सैय्यद-ए-आलम صلی اللہ علیہ وسلم आने वाले के लिए शफाअत करें साफ़ ज़ाहिर है शफाअत करना ज़िंदा का काम है।
जो उनकी बारगाह में जाएगा वो जानते हैं कौन है कहाँ से आया क्या मुद्दआ लाया क्या गुनाह किया इस गुनाह की शफ़ाअत बनती भी है या नहीं तभी तो शफाअत करेंगे।
फिर अल्लाह के हुज़ूर वो दुआ करेंगे या अल्लाह ये तेरा बंदा मेरा उम्मती है इसे बख़्श दे।
तो अल्लाह तौबा क़बूल करेगा रहम करेगा।
*आयत-ए-करीमा का साफ़ मअनी जो नज़र आ रहा है वो वसीला है।*
कि उनके वसीला से दुआ माँगी जाए तो क़बूल होगी।
दुनिया व आख़िरत की हर घबराहट में उनसे अर्ज़ करो।
हस्सान उल हिंद कहते हैं:-
मुफ़्लिसो! उन की गली में जा पड़ो
बाग़-ए-ख़ुल्द इकराम हो ही जाएगा
दूसरी जगह पर इमाम तंबीह फ़रमाते हैं:
बे उन के वास्ते के ख़ुदा कुछ अता करे
हाशा ग़लत ग़लत ये हवस बे-बसर की है
यानी उनके वास्ते व वसीले के बग़ैर सिर्फ़ जहन्नम मिलेगी। बाक़ी दुनिया का ज़र्रा भी मिलेगा तो उन صلی اللہ علیہ وسلم के वसीले से मिलेगा।#cp
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