
Anjuman Zeya E Akhtar
February 20, 2025 at 06:50 AM
क्या अंबिया, औलिया की दरगाहों मज़ारों का अदबो एहतराम करना क़ब्रपरस्ती है⁉️
अगर हाँ तो
जी हाँ, मैं क़ब्रपरस्त हूँ 😍
क्योंकि हमारा कब्रों से बड़ा गहरा तअल्लुक़ है। हमारा क़ब्रों से लंबा-चौड़ा रिश्ता है।ये तअल्लुक़ हम ऐसे ही नहीं तोड़ सकते!
हमारे यहाँ जब कोई बंदा फ़ौत होता है, उसके लिए क़ब्र तैयार की जाती है। लोग उसे दफ़नाकर सूरह फातिहा पढ़ते हैं, सवाब पहुँचाते हैं, और अल्लाह के सुपुर्द करके वापस आते हैं।
हम जानते हैं कि हमें मरना है और क़ब्र में जाना है। यही वह क़ब्र है जिसमें रसूल-ए-पाक (सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम) की ज़ियारत होगी। फिर इसी क़ब्र से रौज़-ए-महशर के दिन उठाया जाएगा। इसलिए हमारा क़ब्रों से यह गहरा नाता है।
**"मिन्हा ख़लक़्नाकुम, व फ़ीहा नुईदुकुम, व मिन्हा नुख़रिजुकुम तारतन उख़रा"**
(हमने तुम्हें इस मिट्टी से पैदा किया, इसमें तुम्हें लौटाएँगे, और इसी से दोबारा निकालेंगे।)
हमें इसी मिट्टी से पैदा किया गया, इसी में जाना है, और इसी से उठाया जाना है। फिर इस पुराने रिश्ते को कैसे तोड़ सकते हैं?
इस पूरी कायनात के "अब्बू" हज़रत आदम (अलैहिस्सलाम) कहाँ हैं? क़ब्र में!
हज़रत नूह (अलैहिस्सलाम) कहाँ हैं? क़ब्र में!
इसी तरह कमोबेश एक लाख चौबीस हज़ार पैग़म्बर कहाँ हैं? क़ब्र में!
फिर इस क़ब्र को कैसे नज़रअंदाज़ करें?
क़ब्रों से हमारा तअल्लुक़ बुनियादी है। हमारा कोई मरता है, तो उसे क़ब्रिस्तान ले जाते हैं, दफ़नाकर आते हैं। क़ब्र का अदब-एहतराम करते हैं, क़ुरआन पढ़कर सवाब पहुँचाते हैं।
लेकिन आपकी सूरत-ए-हाल देखकर लगता है, आपको क़ब्रों और क़ब्रिस्तान से नफ़रत है। हमारा मशवरा है: अगर आपका कोई मर जाए, तो उसे क़ब्रिस्तान न ले जाएँ। लकड़ियाँ इकट्ठा करके उस बंदे को रखें, माचिस से "स्वाहा" कर दें! यही आपके लिए बेहतर है। वरना क़ब्र के पास जाते ही आप भी "क़ब्रपरस्त" कहलाएँगे। जैसे आपके मौलाना (जिन्हें आप अब्बू से ज़्यादा मानते हैं) ने अपने बेटे की मौत पर क़ब्र पर फातिहा पढ़ी, फूल चढ़ाए, हाथ उठाकर दुआ की—क्योंकि उसे पता है कि कल मुझे भी मरना है और इसी क़ब्र में आना है। उसे तो पता है कि मरकर क़ब्र में जाना है, तुम्हें नहीं पता! इसलिए तुम्हारा बेस्ट सलूशन है कि अपने मुर्दों को लकड़ियों पर रखकर फूँककर "स्वाहा" कर दो! लानत हो ऐसे लोगों पर, जो क़ब्रों की अदब-ओ-एहतराम को "क़ब्रपरस्ती" का नाम देते हैं।
❤️
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