Anjuman Zeya E Akhtar
Anjuman Zeya E Akhtar
February 23, 2025 at 05:18 AM
एक बूढ़ा आदमी मस्जिद में बैठा अपनी ख्वाहिशें बताने लगा कि मेरी जवानी में तमन्ना थी कि मैं शादी करूँ तो मैंने शादी कर ली फिर तमन्ना हुई कि मेरी औलाद हो अल्लाह तआला ने औलाद भी दे दी फिर तमन्ना हुई कि अपना घर होना चाहिए उसके बिना ज़िंदगी का मज़ा नहीं तो मैंने आधी उम्र मेहनत करके घर भी बना लिया इतने में मेरी औलाद जवान हो गई तो उनकी शादी का ख्याल आया और दिल किया होते पोतियाँ देखूँ बच्चों की शादी भी कर दी अब मैं थक गया हूँ और आज मुझे ख्याल आया कि मैं अपनी आखिरत के लिए भी कुछ करूँ मगर रोजा रखूँ तो उसकी ताकत नहीं" नमाज़ के लिए खड़ा होऊँ तो ये कूव्वत नहीं" क़ुरान करीम याद करूँ तो हाफिज़ा कमज़ोर है तो मुझे ख्याल आया कि रसूल ए करीम सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम का फरमान हक और सच है कि पाँच चीजों को पाँच से पहले गनीमत जानो जवानी को बुढ़ापे से पहले तंदरुस्ती को बीमारी से पहले फ़रागत को मसरूफियत से पहले अपनी ज़िंदगी को मौत से पहले और मालदारी को गरीबी से पहले 👉ऐ दोस्त ये हदीस ज़िंदगी के बेहतरीन उसूलों पर मुश्तमिल है इसको सामने रखो और ज़िंदगी गुजारो कहीं इस बूढ़े की तरह तेरा भी मुकद्दर हाय अफसोस" निदामत के आँसू" और माजी पर रोना वगैरह न बन जाए #cp whatsapp.com/channel/0029Va…
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