निलेश चौधरी
निलेश चौधरी
February 23, 2025 at 04:39 AM
संत गाडगे बाबा ने तीर्थस्थानों पर 12 बड़ी-बड़ी धर्मशालाएं इसीलिए स्थापित की थीं ताकि गरीब यात्रियों को वहां मुफ्त में ठहरने का स्थान मिल सके। नासिक में बनी उनकी विशाल धर्मशाला में 500 यात्री एक साथ ठहर सकते हैं। वहां यात्रियों को सिगड़ी, बर्तन आदि भी निःशुल्क देने की व्यवस्था है। दरिद्र नारायण के लिए वे प्रतिवर्ष अनेक बड़े-बड़े अन्नक्षेत्र भी किया करते थे, जिनमें अंधे, लंगड़े तथा अन्य अपाहिजों को कम्बल, बर्तन आदि भी बांटे जाते थे। वे सन्‌ 1905 से 1917 तक वे अज्ञातवास पर रहे। इसी बीच उन्होंने जीवन को बहुत नजदीक से देखा। अंधविश्वासों, बाह्य आडंबरों, रूढ़ियों तथा सामाजिक कुरीतियों एवं दुर्व्यसनों से समाज को कितनी भयंकर हानि हो सकती है, इसका उन्हें भलीभांति अनुभव हुआ। साथ ही उन्होंने धार्मिक आडंबरों का प्रखर विरोध किया था। वे एक सच्चे निष्काम कर्मयोगी थे। धर्म के नाम पर होने वाली पशुबलि के वे प्रबल विरोधी थे। तथा छुआछूत, नशाखोरी, मजदूरों एवं किसानों का शोषण, सामाजिक बुराइयां आदि का भी उन्होंने विरोध किया था। मानवता की भलाई के लिए अपना जीवन समर्पित करने वाले संत गाडगे बाबा 20 दिसंबर 1956 को ब्रह्मलीन हुए।

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