श्री वेंकटेसाय सेवा ट्रस्ट
श्री वेंकटेसाय सेवा ट्रस्ट
May 13, 2025 at 01:43 AM
_*।। कालचक्र और जीवन की गति ।।*_ जो बीत गया वह लौटने वाला नहीं। कालचक्र की गतिमय प्रकृति को समझते हुए अतीत के अनपेक्षित प्रसंगों का विश्लेषण, चिंतन मनन इस सीमा तक तो उचित है कि इनमें निहित संदेशों को समझा अपनाया जाए, किंतु इनमें लिपटे रहने का अर्थ है दूरदृष्टि का अभाव। यह प्रकृति व्यक्ति को नकारात्मकता के कुचक्र से नहीं उबरने देगी। बीते अप्रिय प्रसंगों में चित्त उलझा रहेगा तो आगामी कार्यों के लिए आवश्यक उत्साह और ऊर्जा नहीं बचेगी नाना रंग रूपों से सराबोर प्रकृति की वृहत योजना में जीवन प्रतिदिन घुट घुटकर जैसे तैसे गुजारने के निमित्त नहीं है। चिंताग्रस्त, शोकाकुल चेहरे और हावभाव न केवल किरदार पर बोझ होते हैं बल्कि आसपास के वातावरण में नकारात्मकता का प्रसार करते हैं। *आज का दिन शुभ मंगलमय हो।* *श्री वेंकटेसाय सेवा ट्रस्ट*
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