श्री वेंकटेसाय सेवा ट्रस्ट
                                
                            
                            
                    
                                
                                
                                May 19, 2025 at 03:16 AM
                               
                            
                        
                            _*आध्यात्मिकता - आत्म-जागरूकता और परोपकार का पथ*_ 
आध्यात्मिकता का अर्थ है अपने भीतर की सच्चाई को पहचानना, उस अनंत शक्ति को समझना जो हमें जीवंत बनाती है। यह न तो ज़िम्मेदारियों से मुंह मोड़ना है, न ही सांसारिक सुखों का त्याग करना। बल्कि, यह है अपनी वर्तमान स्थिति, अपने जीवन के हर पहलू के लिए स्वयं को ज़िम्मेदार मानना। आध्यात्मिकता का असली मोल है आत्म-जागरूकता—खुद को गहराई से जानना, समझना और हर परिस्थिति में सकारात्मकता के साथ आगे बढ़ना।
जब हम आध्यात्मिक पथ पर चलते हैं, तो हमारा मन शांत और सकारात्मक होता है। यह सकारात्मकता न केवल हमारे दिमाग को स्वस्थ रखती है, बल्कि हमारे जीवन को भी संतुलित और सुखमय बनाती है। आध्यात्मिकता हमें सिखाती है कि हर हाल में खुश रहना और अपने विचारों को सकारात्मक दिशा देना ही सच्चा सुख है।
आध्यात्मिक जागृति के साथ ही हमारी संवेदनशीलता बढ़ती है। हम दूसरों के दुख को न केवल देख पाते हैं, बल्कि उसे महसूस भी करते हैं। यहीं से जन्म लेती है परोपकार की भावना—वह पवित्र प्रेरणा जो हमें असहाय, दीन-दुखियों की सेवा के लिए प्रेरित करती है। यह भावना हमें न केवल एक बेहतर इंसान बनाती है, बल्कि हमें ईश्वरीय गुणों के करीब लाकर, मानवता की सच्ची कतार में खड़ा करती है।
आध्यात्मिकता, इस प्रकार, जीवन को एक नई दृष्टि देती है—जहाँ आत्म-ज्ञान, सकारात्मकता और परोपकार मिलकर हमें पूर्णता की ओर ले जाते हैं।
*आज का दिन शुभ मङ्गलमय हो।*
             *श्री वेंकटेसाय सेवा ट्रस्ट*
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                                            🙏
                                        
                                    
                                    
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