
श्री वेंकटेसाय सेवा ट्रस्ट
May 24, 2025 at 03:34 PM
_*आपका हमारा सबका पक्ष, धर्म के पक्ष में होना चाहिय।*_
कौरव पक्ष में भी धर्म था और उसका नाम विदुर था । पर धर्म को कौरव पक्ष ने सेवक बनाकर रखा था । धर्म की बात नहीं सुनी जाती थी । जब धर्मराज विदुर ने राजा धृतराष्ट्र को सलाह दी कि तुम्हारे पुत्र दुर्योधन इत्यादि कलियुग के रूप हैं अतः युधिष्ठिर को उनका अंश दे दो और युद्ध से बचो ..
तब, दुर्योधन कर्ण इत्यादि ने विदुर को तुरंत राज्य से निकाल दिया और कहा कि विदुर केवल स्वाँस लेता हुआ यह राज्य से बाहर चला जाये ..
और इस प्रकार कौरव पक्ष ने धर्म का प्रतिकार किया , धर्म को भगा दिया …
और वहीं दूसरी ओर पांडव पक्ष में भी धर्म था । परन्तु पांडव पक्ष ने धर्म को राजा बनाकर रखा हुआ था । धर्मराज युधिष्ठिर से कई भूलें होने पर भी पांडवों ने अपना अन्तिम निर्णय उनपर ही छोड़ रखा था । वे, संकट में पड़कर भी धर्म नहीं छोड़े थे ।
और धर्म क्या करता है । धर्म , ईश्वर की शरण लेता है । युधिष्ठिर हर सलाह हर कार्य , कृष्ण की सलाह से करते रहे और यहाँ तक कि महाभारत के युद्ध में उन्होंने अनन्त विजय नामक शंख बजाया जिसका अर्थ होता है कि यदि हमें युद्ध में विजय मिलेगी भी तो उसका श्रेय केवल और केवल श्रीकृष्ण को मिलेगा ।
ईश्वर को सफलता का श्रेय देने से कभी अभिमान नहीं पनपता ।
ईश्वर भी जब कौरव पक्ष में बातचीत करने जाता है तो धर्म के घर ( विदुर के घर ) पर ही ठहरता है । ईश्वर भी , धर्म का साथ नहीं छोड़ता ।
आपका हमारा सबका पक्ष, धर्म के पक्ष में होना चाहिये…
ईश्वर हमारे संबल सदैव बने रहें । ईश्वर से विमुख होकर हम केवल अपना अधोपतन ही करेंगे ।
*श्री हरिः नारायण*
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