श्री वेंकटेसाय सेवा ट्रस्ट
                                
                            
                            
                    
                                
                                
                                May 25, 2025 at 02:27 PM
                               
                            
                        
                            _*समग्र विश्व का कल्याण करने का मार्ग -*_ 
_अहिंसा सत्यमस्तेयं शौचमिन्द्रियनिग्रहः।_ 
_एतं सामासिकं धर्मं चातुर्वर्ण्येsब्रवीन् मनुः।।_ 
             *(मनु०१०/६३)* 
अहिंसा ( शरीर, मन तथा वाणी से किसी को कष्ट न देना ), सत्यभाषण, अस्तेय ( चोरी न करना ), शौच ( सर्वविध शुचिता या शुद्धता ) तथा इन्द्रियनिग्रह ( सभी इन्द्रियों को स्ववश में रखना ) - ( इन सभी को स्वजीवन में व्यवहार में लाना ) मनु ने चारों वर्णों का इसे सामासिक ( संक्षेप में कथित ) धर्म कहा है। 
योगदर्शन में सत्यादि को यम कहा गया है। ये समग्र मानवता के सामान्य धर्म हैं। इन्हें वास्तविक अर्थ में स्वजीवन में ग्रहण करके हम स्वकीय ही नहीं, समग्र विश्व का भी सर्वविध हित कर सकते हैं। 
             *श्री हरिः नारायण*
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