🙏🌳जाभाणी आदर्श संस्था 🌳
June 5, 2025 at 04:14 PM
Real Story with border of India
*ठेका किसी का, लीज किसी की,बजरी माफिया बिश्नोई*,!?!!
*मारा भी बिश्नोई (सिपाही सुनील) गया और जेल भी बिश्नोई।*
दोनों तरफ बिश्नोई पीसे गए, रोटी किसी और की सीक गई।
😇 *क्योंकि रामसिंह जैसे मिनखो ने धरती ओढ़ ली, और हम सब मिनिया (बिल्ली) रह गए।*
सच कहे कौन,? सच बोले कौन? सच लिखे कौन?
यह हमारा काला अध्याय है, आजादी के बाद सब से बुरा दौर।
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पुलिस के मौज है, दोनों ओर बिश्नोई मारे गए।
👇 *यही था मामला ?*👇
*बजरी पर आरोप है कि वे लीज के बिना खेतों से सीधे भर कर डंपर ले जाते हैं बिना रॉयल्टी के ले जाते हैं, सूत्र बता रहे हैं कि बजरी का ठेका मेघराज सिंह जी का था ?, बीजेपी सरकार ने पहले तो मेघराज सिंह को कांग्रेस का आदमी समझ के बहुत टाइट किया ?, डंपर वालो को छूट दी, घाटा पहुंचाया? उन्होंने अपने टेंडर यहां से हटाकर mp वगैरह शिफ्ट कर लिए, फिर एक केंद्रीय मंत्री को साथ लेकर भारत सरकार के ओहदेदार से मिलकर राजस्थान की सरकार चला रहे अफसर से मिलकर अवैध बजरी पर सख्ती का निर्देश दिया।? *
पुलिस के पास कोई संसाधन नहीं, दल बल नहीं , टेक्नोलॉजी नहीं,फिर भी बजरी ठेकेदार के लिए मैदान में उतर गई, घोर लापरवाही, पुलिस का भी अधिकारियों के शासन के आगे समर्पण ही था, मंत्रियों और विधायकों को आजकल सूंघता ही कोई नहीं??? यही बात है??
*बजरी के डंपर पर जुर्माना नाम सुनकर आपके पांव हिल जाएंगे, पहली बार पकड़े गए तो 5 लाख जुर्माना प्रति डंपर, दूसरी बार पकड़े गए तो दस लाख और तीसरी बार पकड़े गए तो डंपर सीज।*
पुलिस की ड्यूटी तय कर दी, जबकि यह काम खनिज विभाग का है । पुलिस तो बिना किसी संसाधन के दामाद बनकर डट गई। सुनील पहली बार फील्ड की पोस्टिंग में था, डंपर रुकाने के लिए डंपर के साइड में बहादुरी से चढ़ गया और डंपर वाला भी मारना नहीं चाहता था, वह भगाकर छूटना चाहता था और आगे खंभे से टकरा गई , सुनील गाड़ी के पीछे वाले टायर के नीचे आ गए।
*रियल में लापरवाही और एक्सीडेंट का केस था।*
अब खेल शुरू हुआ, यह दुखद है। हमारा कोई नहीं।
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सुनील खिलेरी की मौत को लापरवाही से दुर्घटना बताते, तो सुनील के परिवार को कई क्लेम मिलते, कई फायदे, वरना मर्डर में, कोई जेल जाए सुनील के परिवार को क्या मिलेगा??
सोचो आप दुश्मन किस के?
ड्राइवर दोषी था फिर सरपंच आदि सबको जेल में डालना, आखिर बिश्नोई समाज को क्या मिला,
यह सच है कि न वह मारना चाहता था और न सुनील मरना चाहता था, न सुनील को कोई लालच था, क्योंकि वह सिपाही था, डंपर से कोई रिश्वत बंदी लेता तो भी अफसर लेते, बेचारे सिपाही के हिस्से में गाली के अलावा होता क्या है??
*सुनील पर दबाव था, न पकड़ी तो नौकरी खराब, नौकरी से डरते गाड़ी पर लटक जाते हैं और मर जाते हैं*।
समाज में दम नहीं है और कोर्ट में हमारे पास ईमानदार वकील नहीं, जो समाज के लिए मुफ्त में सलाह दे सके, केस लड़ सके।
〰️〰️〰️ अब क्या?? 〰️〰️〰️
*पुलिस ने वाहवाही लूटी, बिश्नोई समाज के सारे डंपर 68 में दर्ज करके सीज कर लिए, घर से सीज किए है, घरों में कैमरों में कैच है, फोन पर चाबी मांगी, वह रिकॉर्डिंग है*।
*ये वाहन लावारिस वाहन नहीं थे, इनके मालिक है।उनके RC है कागज है, सिर्फ बोलने वाले व्यक्ति नहीं है,* डंपर वालो में सिर्फ तीन जाट के थे तो 30 लोग एक साथ कैबिनेट मंत्री जोगाराम जी के वहां गए, बोले कि हमने वोट क्यों दिए?? कारण बताओ।
यह एक्ट खतरनाक है तो इसका* फर्जीवाडा भी खतरनाक है। आवाज को समझना चाहिए।*
हमारे नेता महाराजो से पूछ रहे हैं हमे राजनीति करनी चाहिए???
हमारे युवा नेता बड़े नेताओं की सेवा में लगे हुए, वे ही जिला परिषद का टिकिट दिलाकर जिला प्रमुख बनाएंगे.
सड़क पर कोई नेता नहीं है, न दम है, सिर्फ दुम है।।
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*अब क्या किया जाए? कई बार सास बहु की बहस में हत्या या आत्महत्या हो जाती है। फिर भी घर बैठाया जाता है*।
यहां मिलकर बात कर लेते तो क्या बिगड़ जाता, मरा अपना, जेल में अपने, डंपर सीज और नीलाम होंगे, वे भी अपने*।
वाहवाही पुलिस की और राजी अपन हो जाते।
शेमफुल 😇
हमे मांग करनी चाहिए।
1 *सुनील खिलेरी के परिवार जन एक्सीडेंट का केस दर्ज कराए, पुलिस उस पर काम करे। पूरे फायदे दे।*
2 *यह पुलिस का जॉब चार्ट नहीं था, बजरी के लिए शहीद हुआ है तो खनिज विभाग द्वारा एक करोड़ (01CR) आर्थिक सहायता दी जाए।*
03. *बिश्नोई समाज के लाइसेंस सुदा डंपर जो घर के सामने से पुलिस वाले चलाकर लाए, उनके खिलाफ चोरी का मुकदमा दर्ज किया जाए, और समाज की तरफ यह केस कोर्ट में लड़ा जाए*।
4 *जब्त किए डंपर को मुक्त किया जाए और हुए नुकसान के लिए सरकार से भरपाई करवाई जाए*।
〰️ हनुमान बेनीवाल जैसा नेता नहीं??〰️
*आज मुझे एक अधिकारी ने कहा कि कुछ तो अपने वाले अवैध धंधा करते हैं, मैने जवाब दिया; हे मूर्खराज! फर्जी फैक्टरी, फर्जी खाद, फर्जी बीज पकड़े गए, उनसे कोई बिश्नोई था??? बेशर्मी के आरोप खुद स्वीकार मत करो, दुःखी प्राणी।*
लड़ना सीखो।
RLP में हमारे कोई है नहीं। थे उनके लिए भी कुछ लोगों ने नाराजगी मोल ले ली*। किसी ने RLP से टिकिट लेकर बीजेपी में घुस गए।
हमारे समाज के बीजेपी वाले नेता अपने भविष्य के लिए ब्राह्मणों से माला जाप करवा रहे हैं और अपने कांग्रेस वाले कह रहे हम तो हार गए, हमारी बैटरी डिस्चार्ज है, क्यों बोले।।
भयंकर वाली स्थिति है, उपरोक्त कथन सत्य है या नहीं, इस पर मंथन करना चाहिए और हमे कुछ सीखना चाहिए।
केवल मंदिर और देवली बनाने से समाज आगे नहीं जाएगा, कोई तो नेता खोजना होगा, जो आपके लिए हर मुद्दे पर बोल सके।
वरना एक एक कर के मारे जायेगे।।
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