⛳सनातन धर्मरक्षक समिति⛳
June 1, 2025 at 02:38 AM
*┈┉सनातन धर्म की जय,हिंदू ही सनातनी है┉┈* *लेख क्र.-सधस/२०८२/ज्येष्ठ/शु./६-१८०८५* *┈┉══════❀((""ॐ""))❀══════┉┈* 🔱 *व्यस्त जीवनशैली में से कुछ मिनट लगा कर अपने शास्त्र, पुराण अवश्य पढ़े,जीवन सरल हो जाएगा।*🔱 *🙏🏻ब्रह्मसूत्र🙏🏻* 🕉️ *१. पहला अध्याय* 🕉️ ♦️ *चौथा पाद*♦️ ✡️ *वेदान्त दर्शन* ✡️ ♦️ *सूत्र २ : 'सूक्ष्मं तु तदर्हत्वात् ।'* 👉भावार्थ: किन्तु इस प्रकरण में 'शरीर' शब्द से सूक्ष्म शरीर गृहीत होता है क्योंकि परमधाम की यात्रा में रथ के स्थान पर उसी को मानना उचित है। 🔅 *व्याख्या-* यह 'अव्यक्त' परमात्मा की शक्ति रूप प्रकृति सूक्ष्म है जो देखने और वर्णन करने में नहीं आती । उसी का अंश कारण शरीर है अतः उसे 'अव्यक्त' कहना उचित है। परमधाम की यात्रा में यह सूक्ष्म शरीर ही जाता है। इसलिए 'इसी को 'रथ' कहा गया है । *क्रमश:________* 🕉️ *सर्वे भवन्तु सुखिनः सर्वे सन्तु निरामया। सर्वे भद्राणि पश्यन्तु मा कश्चित् दुःखभाग् भवेत्।* 🕉️ *समिति के सभी संदेश नियमित पढ़ने हेतु निम्न व्हाट्सएप चैनल को फॉलो किजिए ॥🙏🚩⛳* https://whatsapp.com/channel/0029VaHUKkCHLHQSkqRYRH2a ▬▬▬▬▬▬๑⁂❋⁂๑▬▬▬▬▬▬ *जनजागृति हेतु लेख प्रसारण अवश्य करें* असंयतात्मना योगो दुष्प्राप इति मे मतिः । वश्यात्मना तु यतता शक्योऽवाप्तुमुपायतः ॥ *सूर्यदेव भगवान जी की जय* *⛳⚜सनातन धर्मरक्षक समिति⚜⛳*
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