⛳सनातन धर्मरक्षक समिति⛳
June 1, 2025 at 08:44 AM
*┈┉सनातन धर्म की जय,हिंदू ही सनातनी है┉┈* *लेख क्र.-सधस/२०८२/ज्येष्ठ/शु./६-१८०८७* *┈┉══════❀((""ॐ""))❀══════┉┈* 🟠 *स्वदेशी चिकित्सा* 🟠 *आरोग्यं परमं भाग्यं स्वास्थ्यं सर्वार्थसाधनम्* बलिनः शीतसंरोधाद्धेमन्ते प्रबलो ९ नलः । भवत्यल्पेन्धना धातून् स पचेद्वायुनेरितः । श्रतो हिम९ स्मिन्सेवेत स्वाद्वम्ललवरगान् रसान् ।। अर्थ : हेमन्त ऋतुचर्या विसर्ग काल में स्वभावतः बल की वृद्धि होती है विशेषकर हेमन्त जो विसर्ग का अन्तिम ऋतु है, उस समय प्राणियों का बल स्वभावतः बढ़ा रहता है, इसलिए बलवान व्यक्तियों के शरीर में शीतल वातावरण के कारण शरीर से उष्मा बाहर न निकालते हुए जठराग्नि को प्रबल बनाता है, यदि इस काल में उस जठराग्नि के ऊपर अल्प ईंधन (भोजन) दिया जाय तो वायु से प्रेरित वह जठराग्नि धातुओं को पचाने लगता है। अतः इस हेमन्त ऋतु में मधुर अम्ल और लवण रसों का अधिक रूप में सेवन करना चाहिए। दैर्ध्यान्निशानामेतर्हि प्रातरेव बुभुक्षितः । अवश्यकार्य सम्भाव्य यथोक्तं शीलयेदनु। वातघ्नतैलैरम्यगं मूर्धिनं तैलं विमर्दनम्। नियुद्धं कुशलैः सार्द्धं पादाघातं च युक्तितः ।। अर्थ : हेमन्त काल में रात्रि के बढ़े होने से प्रातःकाल में ही भूख क्षुधा अधिक लग जाती है, अतः आवश्यक मल, मूत्रादि का त्याग कर इस ऋतु में वातनाशक तैलों का मस्तक के ऊपर अभ्यड (तेल मालिश) और शरीर में तेल का मालिश कुशल शिक्षित व्यक्तियों के साथ कुस्ती लड़ना और पादाघात अर्थात् पैर से यक्ति पूर्वक मर्दन कराना चाहिए। कषायापहृतस्नेहस्ततः स्नातो यथाविधि। कुङ्कुमेन सदर्पण प्रदिग्धो ९ गुरुधूपितः ।। अर्थ : इसके बाद कशाय रस प्रधान आमला, चने का बेसन आदि द्रव्यों का सिर पर मालिश कर तेल की स्निधता को दूर कर विधि पूर्वक स्नान करना चाहिए। स्नान के बाद केशर कस्तूरी को शरीर में लगाकर अगर के धूआँ से अपने शरीर को धूपित करना चाहिए। *आलस्यं हि मनुष्याणां शरीरस्थो महान् रिपुः।* ----------------------------------------------- *समिति के सभी संदेश नियमित पढ़ने हेतु निम्न व्हाट्सएप चैनल को फॉलो किजिए ॥🙏🚩⛳* https://whatsapp.com/channel/0029VaHUKkCHLHQSkqRYRH2a ▬▬▬▬▬▬๑⁂❋⁂๑▬▬▬▬▬▬ *जनजागृति हेतु लेख प्रसारण अवश्य करें* असंयतात्मना योगो दुष्प्राप इति मे मतिः । वश्यात्मना तु यतता शक्योऽवाप्तुमुपायतः ॥ *सूर्यदेव भगवान जी की जय* *⛳⚜सनातन धर्मरक्षक समिति⚜⛳*
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