⛳सनातन धर्मरक्षक समिति⛳
June 2, 2025 at 02:51 AM
*┈┉सनातन धर्म की जय,हिंदू ही सनातनी है┉┈*
*लेख क्र.-सधस/२०८२/ज्येष्ठ/शु./७-१८०९१*
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⛳🚩🚩🛕 *जय श्रीराम* 🛕🚩🚩⛳
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🙏 *श्रीराम – जय राम – जय जय राम* 🙏
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🌞 *श्रीरामचरितमानस* 🌞
🕉️ *सप्तम सोपान* 🕉️
☸️ *उत्तर काण्ड*☸️
⛳ *चौपाई १ से ४, दोहा ६०*⛳
*तब खगपति बिरंचि पहिं गयऊ । निज संदेह सुनावत भयऊ ॥ सुनि बिरंचि रामहि सिरु नावा । समुझि प्रताप प्रेम अति छावा ॥*
तब पक्षिराज गरुड़ ब्रह्माजी के पास गये और अपना सन्देह उन्हें कह सुनाया। उसे सुनकर ब्रह्माजी ने श्रीरामचन्द्रजी को सिर नवाया और उनके प्रताप को समझकर उनके अत्यन्त प्रेम छा गया ॥ १ ॥
*मन महुँ करइ बिचार बिधाता। माया बस कबि कोबिद ग्याता ॥ हरि माया कर अमिति प्रभावा । बिपुल बार जेहिं मोहि नचावा ॥*
ब्रह्माजी मन में विचार करने लगे कि कवि, कोविद और ज्ञानी सभी माया के वश हैं। भगवान् की माया का प्रभाव असीम है, जिसने मुझ तक को अनेकों बार नचाया है ॥ २ ॥
*अग जगमय जग मम उपराजा । नहिं आचरज मोह तब बोले बिधि गिरा सुहाई। जान महेस राम खगराजा ॥ प्रभुताई ॥*
यह सारा चराचर जगत् तो मेरा रचा हुआ है। जब मैं ही मायावश नाचने लगता हूँ, तब पक्षिराज गरुड़ को मोह होना कोई आश्चर्य [की बात नहीं है। तदनन्तर ब्रह्माजी सुन्दर वाणी बोले-श्रीरामजी की महिमा को महादेवजी जानते हैं ॥ ३ ॥
*बैनतेय संकर पहिं जाहू। तात अनत पूछहु जनि काहू ॥ तहँ होइहि तव संसय हानी । चलेउ बिहंग सुनत बिधि बानी ॥*
हे गरुड़ ! तुम शंकरजी के पास जाओ। हे तात ! और कहीं किसी से न पूछना। तुम्हारे सन्देह का नाश वहीं होगा। ब्रह्माजी का वचन सुनते ही गरुड़ चल दिये ॥ ४ ॥
*दोहा*
*परमातुर बिहंगपति आयउ तब मो पास। जात रहेउँ कुबेर गृह रहिहु उमा कैलास ॥ ६० ॥*
तब बड़ी आतुरता (उतावली) से पक्षिराज गरुड़ मेरे पास आये। हे उमा ! उस समय मैं कुबेर के घर जा रहा था और तुम कैलास पर थीं ॥ ६० ॥
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तत्र तं बुद्धिसंयोगं लभते पौर्वदेहिकम् ।
यतते च ततो भूयः संसिद्धौ कुरुनन्दन ।
*बाबा महाकाल जी की जय*
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