⛳सनातन धर्मरक्षक समिति⛳
June 4, 2025 at 09:00 AM
*┈┉सनातन धर्म की जय,हिंदू ही सनातनी है┉┈*
*लेख क्र.-सधस/२०८२/ज्येष्ठ/शु./८-१८११७*
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🟠 *स्वदेशी चिकित्सा* 🟠
*आरोग्यं परमं भाग्यं स्वास्थ्यं सर्वार्थसाधनम्*
पुराणयवगोधूक्षौद्रजाङ्गलशूल्यभुक् । सहकारसोन्मिश्रानास्वाद्य प्रियया• र्पितान्। प्रिया ९९ स्यसगंसुरभीन प्रियानेत्रोत्पलाडिक्तान्। सौमनस्यकृतो हृद्यान्वयस्यैः सहितः पिबेत् । निगदानासवारिष्टसोधुमार्दीकमाधवान् ।
शृगंबेराम्बु साराम्बु मध्वम्बु जलदाम्बुच।
अर्थ : भोजन-इस काल में पुरान यव गेहूँ मध जाड्रल तथा आम के रस से युक्त प्रिय स्त्री द्वारा स्वाद लेकर दिये गये, प्रिय स्त्री के मुख की वायु से सुगन्धित प्रिय स्त्री के नेत्र-रूपी कमलों से देखे गये, अच्छी प्रकार बनाये हुए हृदय के अनुकूल निर्गद आसवारिष्ट, सिंधु, द्राक्षारिष्ट माध्वीक को अथवा अदरख से युक्त जल अथवा विजयसार से वाशित जल या मधु और जल या नागरमोथा से पकाया हुआ जल मित्रों के साथ बैठकर पीवे।
दक्षिरगानिलशीतेषु परितो जलवाहिषु। अदृष्टनष्टसूष्र्टेषु मरिगकुट्टिमकान्तिषु। परपुष्टविघुष्टेषु कामकर्मान्तभूमिष । विचित्रपुष्पवृक्षेषु काननेषु सुगन्धिषु । गोष्ठीकथाभिश्चित्राभिर्मध्याहं गयमेत्सुखी।
गुरूशीतदिवास्वप्नस्निग्धाम्लमधुरांस्त्यजेत् ।।
अर्थ : मध्याहृ में विश्राम स्थान-जिस स्थान पर दक्षिण वायु के लगने से शीतलता आ गयी हो चारों तरफ फुहारे का जल अथवा चारों तरफ झरने का जल गिर रहा हो, सघन लता इत्यादि से न दिखायी पड़ने के कारण सूर्य नष्ट प्रतीत होते हो, मणि, रत्न, आदि जिस चबूतरे आदि में जड़े हुये हों, कोयल का शब्द सुनाई पड़ता हो मैथुन करने की सभी सामग्रियां उपलब्ध हों रंग विरग के पुष्प और वृक्षों के सुगन्ध से सुगन्धित वन या वाटिका हो ऐसे स्थान पर अनेक प्रकार की कथा, वार्ता करते हुए मित्र मण्डली के साथ सुख पूर्वक मध्याह्न का समय बीतायें। वसन्त ऋतु में त्याज्य-इस काल में गुरू (गरिष्ठ) और शीतल आहार, दिन में शयन, स्निग्ध एवं अम्ल और मधुर रसों का सेवन न करें।
विश्लेषण : शिशिर में संचित कफ वसन्त में कुपित होकर अग्नि मन्द कर देता है। इस लिये शिशिर की अपेक्षा हल्का भोजन करना चाहिये। व्यायाम का सेवन जैसा कि बसन्ते भ्रमणं पथ्यं, बताया है। प्रातःकाल भ्रमण और व्यायाम का सेवन आवश्यक होता है। प्रातःकाल धूम्रपान और उष्ण जल में नमक मिलाकर बार बार कुल्ला करना चाहिये। यदि कफ की अधिकता प्रतीत हो तो सेधा नमक गर्म जल में मिलाकर पिलाना चाहिए। इससे वमन होकर कफ निकल जाता है।
भोजन में जो, गेहूं अरहर, आदि अन्न पुराना लेवें। और मधु का सेवन अधिक रूप में करे। इस ऋतु में सूर्यसन्ताप के बढ़ने से गर्मी लगने का भय अधिक रहता है इसलिये कच्चे आम को आग में भूज कर पीस कर पुदीना, चीनी, काला नमक मिलाकर दिन में एक दो बार लेना चाहिये, विशेष कर हरे भरे बाग बगीचों में रहने का प्रयास करना चाहिये।
*आलस्यं हि मनुष्याणां शरीरस्थो महान् रिपुः।*
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प्रयत्नाद्यतमानस्तु योगी संशुद्धकिल्बिषः ।
अनेकजन्मसंसिद्धस्ततो याति परां गतिम् ॥
*भगवान गणेश जी की जय*
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