⛳सनातन धर्मरक्षक समिति⛳
June 10, 2025 at 02:34 AM
*┈┉सनातन धर्म की जय,हिंदू ही सनातनी है┉┈* *लेख क्र.-सधस/२०८२/ज्येष्ठ/शु./१४-१८१७३* *┈┉══════❀((""ॐ""))❀══════┉┈* 🟠दिवस विशेष🟠 🔸विश्व नेत्रदान दिवस प्रत्येक वर्ष विश्व के विभिन्न देशों में नेत्रदान की महत्ता को समझते हुए 10 जून को मनाया जाता है। इसके जरिए लोगों में नेत्रदान करने की जागरुकता फैलाई जाती है। विश्व दृष्टिदान दिवस का उद्देश्य नेत्रदान के महत्व के बारे में व्यापक पैमाने पर जन जागरूकता पैदा करना है तथा लोगों को मृत्यु के बाद अपनी आँखें दान करने की शपथ लेने के लिए प्रेरित करना है। विकासशील देशों में प्रमुख सार्वजनिक स्वास्थ्य समस्याओं में से एक दृष्टिहीनता है। विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार, कॉर्निया की बीमारियाँ (कॉर्निया की क्षति, जो कि आँखों की अगली परत हैं) मोतियाबिंद और ग्लूकोमा के बाद, होने वाली दृष्टि हानि और अंधापन के प्रमुख कारणों में से एक हैं। महत्त्व प्रत्येक वर्ष 10 जून को विश्व नेत्रदान मनाया जाता है, ताकि दूसरों की अंधेरी दुनिया को रोशन करने के लिए लोगों को प्रोत्साहित किया जा सके। लेकिन तमाम कोशिशों के बावजूद नेत्रदान करने वालों का आंकड़े बहुत संतोषजनक नहीं है। जहां तक भारत की बात है तो यहां नेत्रदान एवं कोर्निया प्रत्यारोपण के वर्तमान आंकड़ों पर गौर करें तो जानकर हैरानी होती है कि ऩेत्रदान करने वालों की संख्या एक फीसदी से भी कम है। यही वजह है कि देश में 25 हजार से ज्यादा लोग आज भी अंधेरी दुनिया में जी रहे हैं। देश में प्रत्येक वर्ष 80 से 90 लाख लोगों की मृत्यु होती है, लेकिन नेत्रदान 25 हजार के आसपास ही होता है। यह दिवस विशेष इसीलिए मनाई जाती है कि लोग मृत्यु से पहले अपनी आंखें दान कर अंधरे में जी रहे लोगों के जीवन में उजाला भर सकें।[1] एक व्यक्ति 4 लोगों को रोशनी वर्तमान में एक व्यक्ति मृत्यु के पश्चात चार लोगों की अंधेरी जिंदगी में उजाला बिखेर सकता है। पहले दोनों आंखों से दो ही लोगों को कोर्निया मिल पाती थी, लेकिन नई तकनीक आने के बाद से एक आंख से दो कोर्निया प्रत्यारोपित की जा रही है। डी मेक से होने वाला यह प्रत्यारोपण देश के हर बड़े आंखों के अस्पताल में शुरू हो चुका है। इसमें खास बात यह है कि व्यक्ति के मरने के बाद उसकी पूरी आंख नहीं बदली जाती। केवल रोशनी वाली काली पुतली ही ली जाती है। व्यक्ति की मृत्यु के छह घंटे तक ही कार्निया प्रयोग में लाई जा सकती है। आई बैंक एसोसियेशन ऑफ इंडिया के मुताबिक देश में अभी 25 लाख लोग ऐसे हैं, जिन्हें कार्निया की जरूरत है। अगर उन्हें समय रहते किसी की कोर्निया मिल जाये तो वह प्रकृति की खूबसूरती को देख सकते हैं। नेत्रदान की प्रक्रिया यह प्रक्रिया अत्यंत सरल है, और महज 15-20 मिनट में ही पूरी हो जाती है। नेत्रदान प्रक्रिया के कारण अंतिम संस्कार में किसी तरह का विलंब नहीं होता है। कोई भी व्यक्ति अपना नेत्र गुप्त रूप से दान कर सकता है, जो उसकी मृत्यु के पश्चात एक मामूली से ऑपरेशन के जरिये आंखों से कोर्निया को निकाल लिया जाता है। इससे मृत व्यक्ति के शरीर में किसी तरह का परिवर्तन नहीं होता। नेत्रदान की बात को पूरी तरह से गोपनीय रखा जाता है। नेत्र विशेषज्ञों के अनुसार आंखे कभी भी वृद्ध नहीं होतीं, इसलिए इसके लिए किसी तरह की उम्र सीमा नहीं होती। एक वृद्ध व्यक्ति भी अपनी इच्छानुसार अपनी आंखें दान कर सकता है। नेत्रदान करके आप की आंखें अजर अमर बन सकती हैं।[1] संकल्प नेत्रदान जैसे सबसे बड़े दान को बढ़ावा देने के लिए देश के तमाम आई बैंक और सामाजिक संस्थाएं इस दिन विशेष रूप से देश भर में जागरुकता कार्यक्रम चलाये जाते हैं। एक मृत व्यक्ति के नेत्र को एक नेत्रहीन को देकर उसके अंधेरे जीवन में उजाला किया जा सकता है। आइये संकल्प लें कि हम जीते जी अपना आंख दान कर अंधेरी दुनिया को रोशनी दें। आप अपने निकटतम अस्पताल से संपर्क कर नेत्रदान के लिए पंजीकरण करा सकते हैं। किसी की दुनियां में उजाला फैलाने के लिए एक कदम आगे बढ़ाइए। 👉🏻हमसे कुटुंब ऐप पर अवश्य जुड़े -https://kutumb.app/sanatan-dharmarakshak-samiti?ref=K8ZOC&screen=star_share ▬▬▬▬▬▬๑⁂❋⁂๑▬▬▬▬▬▬ *जनजागृति हेतु लेख प्रसारण अवश्य करें* मनुष्याणां सहस्त्रेषु कश्चिद्यतति सिद्धये । यततामपि सिद्धानां कश्चिन्मां वेत्ति तत्त्वतः ॥ *वीर बजरंगबली जी की जय* *⛳⚜सनातन धर्मरक्षक समिति⚜⛳*

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