Home Remedies
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May 12, 2025 at 12:28 PM
*गर्भावस्था में स्त्रियों का आचरण शिशु के जीवन के मूलभूत सिद्धांत, नीति, संस्कार, चरित्र इत्यादि तय करता है....* गर्भावस्था के तीसरे चौथे माह में गर्भ सुनने लगता है। उसकी कर्णइंद्रियां तैयार हो जाती है। संगीत नैसर्गिक कला है, सृष्टि के कण-कण से संगीत निकलता है। हमने देखा है कि जब शिशु रोता है तो उसकी माता या दादी लोरी गाते हैं। वह तुरंत चुप हो जाता है। स्तुति, प्रार्थना, गीत, भजन आदि सुनकर गर्भस्थ शिशु प्रसन्न हो जाता है। अतः कर्ण इंद्रियों को मधुर संगीत के स्वरों से 'ग्रहण शक्ति' में वृद्धि होती है। जिन बच्चों को गर्भ में संगीत सुनाया जाता है, उनकी अन्य बच्चों की तुलना में ग्रहण क्षमता अधिक होती है। जन्म के बाद भी उनका स्वभाव आनंदित एवं मिलनसार होता है। जीजामाता ने अपने पुत्र शिवाजी को गर्भावस्था में अपने विचारों को लोरी के द्वारा बताया था। उस शिवा ने बड़ा होकर माता की भावनाओं को पूरा किया। अतः गर्भवती माताओं को गर्भावस्था को उत्तम पाठशाला मानकर कला, संगीत, संस्कृत जैसे उत्तम विषय की साधना करनी चाहिए।
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