पथ प्रदर्शक (Path Pradarshak)
पथ प्रदर्शक (Path Pradarshak)
May 19, 2025 at 05:29 PM
*लौह में ही स्वर्ण जड़ित हो जाऊं* (1) आखिर यह क्यों होता है, पिता का गुस्सा प्यार कहलाता है, बेटे का गुस्सा, गुस्सा, मां करे तो लाड लड़ाती है, बेटा करे तो क्रोध निकलता है, मां खाना पूछे, पिता कहे जाकर कमा के खाओ, बेटा पूछे तो धर्म , बहू पूछे तो सौभाग्य से मिली, बाप कमाए तो, शौक पूरे, बेटा कमा के करे तो, ऐश क्यों, बाप ने बनाया तो मंदिर दिया, बेटे का बनाया मकान क्यों हुआ, बाप को खेती केवल दो हाथ, बेटे की बाड़ी डेढ़ हाथ क्यों, बाप बड़ा परिश्रम से कमाता है, बेटा क्या धन खोद के लाता है, (2) समझ नहीं आता यह सामाजिक भेदभाव है या, अपनो की ही बनाई कोई जंजीर है, आगे बढ़ने की कोशिश में, कोई खींचता मेरा जमीर है, क्यों नहीं कर सकता मै भी वो, जो उन्होंने कर दिखाया, क्यों उनसे बेहतर बनने को, उनसे ज्यादा जलना है, उनकी आंच में ही तप के ही क्यों न, उनकी ही चमक और बिखेरु, उनके साथ रहकर ही क्यों न, लोहे से स्वर्ण जड़ित हो जाऊं, #question ? @सम्राट साहू 🙏
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