
ललित हिन्दू
May 21, 2025 at 02:17 PM
*संतोष का अर्थ है: जो कुछ है सुंदर है; श्रेष्ठ है, इससे बेहतर संभव नहीं है।*
*हां कहने की अनुभूती है संतोष, साधारणतया मन कहता है कुछ भी ठीक नहीं है। साधारणतया मन शिकायत खोजता है - यह गलत है, वह गलत है। साधारणतया मन इंकार करता है, वह 'न' कहनेवाला होता है, वह नही सरलता से कह देता है, मन के लिए हां कहना बड़ा कठिन है,*
*क्योंकि जब तुम हां कहते हो तो मन ठहर जाता है; तब मन की कोई जरूरत नहीं होती।जब तुम नही कहते हो, तब मन आगे और आगे सोच सकता है; क्योंकि नहीं पर अंत नही होता, नहीं के आगे कोई पूर्ण-विराम नहीं है; वह एक शुरुआत है।*
*'नहीं' एक शुरुआत है; 'हां' अंत है. जब तुम हां कहते हो, तो एक पूर्ण विराम आ जाता है; अब मन के पास सोचने के लिए कुछ नहीं रहता, बडबडाने खीझने के लिए, शिकायत करने के लिए कुछ नहीं रहता। जब तुम हां कहते हो तो मन ठहर जाता है; और मन का ठहरना ही संतोष है।*
👍
1