JAINISM Channel (Jain Terapanth)
May 26, 2025 at 06:15 PM
26.05.2025, सोमवार, भिलोड़ा, अरवल्ली (गुजरात)
भय है कमजोरी व दुर्बलता : युगप्रधान आचार्यश्री महाश्रमण
- भिलोड़ा में तेरापंथाधिशास्ता महातपस्वी महाश्रमण का मंगल पदार्पण
- लगभग 10 कि.मी. का विहार कर मातुश्री नवीबाई रामजी आशर विद्यालय
- मुख्यमुनिश्री के चयन दिवस पर आचार्यश्री ने दिया मंगल आशीष
- भिलोड़ावासियों ने आराध्य का किया भावभरा अभिनंदन
जैन श्वेताम्बर तेरापंथ धर्मसंघ के वर्तमान देदीप्यमान महासूर्य, अहिंसा यात्रा प्रणेता, शांतिदूत आचार्यश्री महाश्रमणजी अपनी धवल सेना के साथ सोमवार को गुजरात राज्य के अरवल्ली जिले के एक प्रत्याख्यात नगर भिलोड़ा में पधारे तो भिलोड़ावासी अपने आंगन में अपने आराध्य को साक्षात पाकर उत्फुल्ल हो उठे। भिलोड़ावासियों ने अपने आराध्य का भावभीना अभिनंदन किया। भव्य स्वागत जुलूस के साथ आचार्यश्री भिलोड़ा के एकदिवसीय प्रवास के लिए मातुश्री नवीबाई रामजी आशर विद्यालय में पधारे।
इसके पूर्व युगप्रधान आचार्यश्री महाश्रमणजी ने सोमवार को प्रातः सूर्योदय के कुछ देर बाद मलासा ग्राम से गतिमान हुए। आसमान का सूर्य आतप बरसाता हुआ ऊर्ध्वारोहण कर रहा था तो धरती का महासूर्य जन-जन के मानस को आध्यात्मिक आलोक से आलोकित करते और अपने मंगल आशीष की वृष्टि करते हुए आज के गंतव्य की ओर गतिमान थे। विहार के दौरान आचार्यश्री ने साबरकांठा जिले की सीमा को पाकर अरावली जिले की सीमा में पधारे। लगभग दस किलोमीटर का विहार कर आचार्यश्री अपनी धवल सेना संग भिलोड़ा नगर में पधारे।
विद्यालय प्रांगण में बने भव्य महावीर समवसरण में उपस्थित जनता को महातपस्वी आचार्यश्री महाश्रमणजी ने पावन संबोध प्रदान करते हुए कहा कि आदमी के भीतर भय की वृत्ति होती है तो अभय का भाव भी हो सकता है। भय एक कमजोरी व दुर्बलता है। आदमी बीमारी, मृत्यु से डर जाता है, अपनी चीजों को खोने से डरता है। अनेक संदर्भों में आदमी भयभीत होता है। कई बार आदमी दूसरों को डराने का प्रयास भी कर लेता है। प्रबल है, सत्ता है, पद है तो अधिनस्थों को डराने का प्रयास कर लेता है। जो दूसरों को डराता है तो कोई उनको भी डराने वाला हो सकता है। डराना और डरना एक भूमिका तक ही लाभप्रद हो सकते हैं। एक सात्विक भय होना अच्छा हो सकता है तो कहीं किसी बच्चे को डराना भी अच्छा हो सकता है। प्रशासन का भय होता है तो नगर, कस्बे अथवा गांव में शांति भी रह सकती है। शुद्ध साधन के साथ साध्य अच्छा हो तो डरना और डराना दोनों हितकर हो सकता है। आदमी को इस संदर्भ में स्वयं का विवेक रखने का प्रयास करना चाहिए।
जनता को पावन प्रतिबोध प्रदान करने के उपरान्त आचार्यश्री ने चतुर्दशी तिथि के संदर्भ में हाजरी के क्रम को संपादित किया। आचार्यश्री ने मुख्यमुनिश्री महावीरकुमारजी के मनोनयन दिवस के संदर्भ में उन्हें मंगल आशीष प्रदान किया। उपस्थित चारित्रात्माओं ने अपने स्थान पर खड़े होकर लेखपत्र का उच्चारण किया।
साध्वीप्रमुखा विश्रुतविभाजी ने समुपस्थित जनता को मंगल प्रतिबोध प्रदान किया। आचार्यश्री के स्वागत में स्थानीय तेरापंथी उपसभा के अध्यक्ष श्री महावीर चावत व श्री विकेश दक ने अपनी अभिव्यक्ति दी। तेरापंथ महिला मण्डल ने स्वागत गीत का संगान किया। माहेश्वरी महिला मण्डल ने भी गीत का संगान किया। श्रीमती वंदना भटेवरा ने गीत को प्रस्तुति दी।
गुरु सन्निधि में उपस्थित ब्रह्मकुमारी शोभनाबेन ने भी आचार्यश्री के स्वागत में अपनी भावाभिव्यक्ति दी। माहेश्वरी समाज की ओर से श्री शिवजी मूदड़ा, श्री दिनेशभाई डाभी, श्री मुकेश त्रिवेदी, विद्यालय के प्रमुख श्री रोहित त्रिवेदी ने अपनी भावाभिव्यक्ति दी। ज्ञानशाला के ज्ञानार्थियों ने अपनी प्रस्तुति दी। भिलोड़ा के सरपंच श्री प्रमोद राय व सुश्री सिद्धि जैन ने अपनी भावाभिव्यक्ति दी।
https://www.facebook.com/share/p/198uTEJQmd/