آل انڈیا نیوز اردو
آل انڈیا نیوز اردو
May 13, 2025 at 01:50 PM
بی جے پی وزیر کا مسلم فوجی افسر (صوفیہ قریشی) کو پاکستانی دشمن سے جوڑنا شرمناک! बीजेपी मंत्री द्वारा मुस्लिम फौजी अफसर (सोफिया कुरैशी) को पाकिस्तानी दुश्मन से जोड़ना शर्मनाक! مدھیہ پردیش کے بی جے پی کے قبائلی امور کے وزیر کنور وجے شاہ ایک متنازعہ بیان کے باعث سرخیوں میں آ گئے ہیں، جس میں انہوں نے بھارتی فوج کی خاتون کرنل، صوفیہ قریشی، کے لیے نہ صرف غیر شائستہ الفاظ استعمال کیے بلکہ ان کا موازنہ پاکستانی دہشتگردوں سے بھی کر ڈالا۔ ان کا کہنا تھا: "پاکستانیوں نے ہمارے لوگوں کو ننگا کر دیا، لیکن مودی جی نے بدلہ لینے کے لیے ان ہی کی بہن (کرنل صوفیہ قریشی) کو بھیج کر ان کی ایسی کی تیسی کی۔" یہ بیان کئی لحاظ سے قابل اعتراض ہے۔ اول، ایک خاتون افسر کو مذہبی شناخت کے ساتھ مخصوص کر کے "ان کی بہن" کہہ کر پیش کرنا نہ صرف ان کے پیشہ ورانہ کردار کی توہین ہے بلکہ یہ تاثر دیتا ہے کہ مسلم شناخت رکھنے والا کوئی بھی فرد شک کی نگاہ سے دیکھا جائے گا، چاہے وہ ملک کے دفاع میں خدمات انجام دے رہا ہو۔ دوم، اس طرح کے بیانات سے یہ پیغام جاتا ہے کہ بی جے پی کی قیادت میں کچھ عناصر ہر مسلمان کو دہشتگردی سے جوڑ کر دیکھتے ہیں، گویا مسلمان ہونا ہی جرم ہے — چاہے وہ ہندوستان کی اعلیٰ ترین دفاعی فورسز میں ہو، جیسے کہ کرنل صوفیہ قریشی۔ صوفیہ قریشی ایک فرض شناس اور بہادر افسر ہیں جنہوں نے بین الاقوامی سطح پر بھارت کا نام روشن کیا۔ ان کی خدمات کسی بھی تعصب یا مذہبی شناخت سے بالا تر ہیں۔ ایسے وقت میں جب ہمیں اپنے افواج کے افسروں پر فخر ہونا چاہیے، کچھ سیاستدان اپنے گھٹیا بیانات سے نہ صرف ان کی عزت کو مجروح کرتے ہیں بلکہ ملک کی سالمیت کو بھی نقصان پہنچاتے ہیں۔ یہ بیان صرف کرنل صوفیہ قریشی کے لیے نہیں بلکہ ہر محب وطن بھارتی مسلمان کے لیے ایک طنز ہے — جو بار بار اپنے عمل سے یہ ثابت کرتا ہے کہ وہ اس ملک کا وفادار شہری ہے۔ ایسے سیاستدانوں کو سوچنا چاہیے کہ ان کے الفاظ نہ صرف قوم کو تقسیم کرتے ہیں بلکہ دشمنوں کو یہ موقع دیتے ہیں کہ وہ ہماری کمزوریوں کا مذاق اُڑائیں۔ کیا یہ ملک کے مفاد میں ہے؟ کیا ہمیں اپنے ہی سپاہیوں کو شک کی نگاہ سے دیکھنا چاہیے صرف اس لیے کہ ان کا نام "صوفیہ قریشی" ہے؟ وقت آ گیا ہے کہ ایسے ذہنیت کا احتساب کیا جائے، اور ان لوگوں سے سوال پوچھا جائے جو اپنے سیاسی فائدے کے لیے افواج کے وقار اور قومی یکجہتی کو داؤ پر لگا دیتے ہیں۔ मध्य प्रदेश के बीजेपी के जनजातीय मामलों के मंत्री कुंवर विजय शाह एक विवादित बयान के चलते सुर्खियों में आ गए हैं, जिसमें उन्होंने भारतीय सेना की महिला कर्नल, सोफिया कुरैशी, के लिए न सिर्फ अशोभनीय शब्दों का इस्तेमाल किया बल्कि उनका पाकिस्तानी आतंकवादियों से भी तुलना कर डाली। उनका कहना था: "पाकिस्तानियों ने हमारे लोगों को नंगा कर दिया, लेकिन मोदी जी ने बदला लेने के लिए उनकी ही बहन (कर्नल सोफिया कुरैशी) को भेज कर उनकी ऐसी की तैसी कर दी।" यह बयान कई मायनों में आपत्तिजनक है। पहला, एक महिला अधिकारी को धार्मिक पहचान के साथ जोड़कर "उनकी बहन" कहकर प्रस्तुत करना न केवल उनके पेशेवर चरित्र का अपमान है, बल्कि यह संकेत देता है कि मुस्लिम पहचान रखने वाला कोई भी व्यक्ति संदेह की नजर से देखा जाएगा, चाहे वह देश की रक्षा में ही क्यों न लगा हो। दूसरा, इस तरह के बयानों से यह संदेश जाता है कि बीजेपी की नेतृत्व में कुछ लोग हर मुसलमान को आतंकवादी से जोड़कर देखते हैं, जैसे कि मुस्लिम होना ही एक जुर्म है — भले ही वह भारत की सर्वोच्च रक्षा सेनाओं में हो, जैसे कि कर्नल सोफिया कुरैशी। सोफिया कुरैशी एक कर्तव्यनिष्ठ और बहादुर अफसर हैं जिन्होंने अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भारत का नाम रोशन किया है। उनकी सेवाएं किसी भी भेदभाव या धार्मिक पहचान से ऊपर हैं। ऐसे समय में जब हमें अपनी सेनाओं के अधिकारियों पर गर्व होना चाहिए, कुछ नेता अपने घटिया बयानों से न केवल उनकी इज्जत को ठेस पहुंचाते हैं बल्कि देश की एकता और अखंडता को भी नुकसान पहुंचाते हैं। यह बयान केवल कर्नल सोफिया कुरैशी के लिए नहीं बल्कि हर देशभक्त भारतीय मुसलमान के लिए एक ताना है — जो बार-बार अपने कर्मों से यह सिद्ध करता है कि वह देश का वफादार नागरिक है। ऐसे नेताओं को सोचना चाहिए कि उनके शब्द न केवल देश को बांटते हैं बल्कि दुश्मनों को यह मौका देते हैं कि वे हमारी कमजोरियों का मज़ाक उड़ाएं। क्या यह देशहित में है? क्या हमें अपने ही सिपाहियों को शक की नजर से देखना चाहिए सिर्फ इसलिए कि उनका नाम "सोफिया कुरैशी" है? अब समय आ गया है कि ऐसी सोच का हिसाब लिया जाए और उन लोगों से सवाल पूछे जाएं जो अपने राजनीतिक लाभ के लिए सेना की गरिमा और राष्ट्रीय एकता को दांव पर लगा देते हैं। https://chat.whatsapp.com/EBPnIleczXdC4QRtNHuvV3
😢 1

Comments