धर्म, संस्कृति, रहस्य, ज्ञान, दर्शन ✍️🎯🙏
May 20, 2025 at 10:25 AM
𝐉𝐚𝐢 𝐒𝐫𝐢 𝐒𝐢𝐲𝐚𝐑𝐚𝐦 𝐉𝐢🚩🚩 *प्रसंग --* *आगे चले बहुरि रघुराया।* *रिष्यमूक पर्वत नियराया।।* *भगवान अवश्य ऐसी कृपा करेंगे। क्योंकि कृपा करने के लिए ही भगवान -- आगे चले बहुरि रघुराया।* *श्री तुलसीदास जी कहते हैं कि भगवान आगे चले। श्री राम जी वन में आगे-आगे चल रहे हैं। श्री लक्ष्मण जी और माता जानकी पीछे-पीछे, पर वर्णन आता है कि श्री राघवेन्द्र के कमल कोमल निरावरण चरण के पग तल में कंटक चुभे हैं। पर श्री किशोरीजी के और श्री लक्ष्मण जी के पैरों में कांटे नहीं हैं। ••••क्यों? मानो प्रभु ने कंटकों से कह दिया कि लगना है तो हमारे चरण में लग जाना, पर श्री किशोरीजी और श्री लक्ष्मण जी के चरणों में मत लगना। कहा -- क्यों? प्रभु बोले -- इसलिए क्योंकि वे हमारे पीछे पीछे आ रहे हैं। अगर उनके चरणों में लगोगे तो लोग यही कहेंगे कि भगवान के पीछे चलने वालों के भी चरणों में कांटे लगते हैं। फिर हमारे पीछे चलेगा कौन? और भगवान ने कहा -- हम आगे इसीलिए चलते हैं ताकि अपने पीछे चलने वालों के कांटे अपने चरण में स्वीकार कर लें, और उनका मार्ग निष्कंटक बना रहे। इसीलिए भगवान आगे आगे चलते हैं।* *श्री राम जी आगे चले और जो इनको आगे करके चले, वे कभी पीछे नहीं पड़े और इसीलिए बानर सब असमर्थ हुए सिंधु पार जाने में, और श्री हनुमान जी सिंधु पार कर गये, क्योंकि --* *जासु हृदय आगार* *बसहिं राम सर चाप धर।* *हनुमान जी के हृदय में आगे हैं श्री राम जी और इसीलिए श्री हनुमान जी कहते हैं कि हम तो लंका जा ही नहीं रहे हैं, ले जाये जा रहे हैं।* *आप ले जाये जा रहे हैं तो आगे जा कौन रहा है? आगे चले बहुरि रघुराया, जासु हृदय आगार बसहिं राम सर चाप धर। भगवान ही आगे चल रहे हैं।* *अच्छा एक अद्भुत बात है। श्री हनुमान जी हृदय में आगे रखते हैं श्री राम जी को और पूंछ है उनके पीछे। वे पूंछ को आगे नहीं रखते हैं। हम आगे अपनी पूंछ को रखते हैं, भगवान को भी पीछे रखते हैं। कहते हैं-- सबसे आगे हमें पूछो, फिर चाहे किसी को पूछो चाहे मत पूछो। सारी समस्या ही पूंछ की है।* *लोग आज भी कहते हैं -- उनके यहां गये, चाय की कौन कहे, पानी तक के लिए नहीं पूछा। औरn लोग प्रशंसा भी करते हैं तो कहते हैं कि उनकी बड़ी पूंछ है। कुछ लोग कहते हैं-- इनकी तो यहाँ से लेकर वहाँ तक पूंछ है और जो लोग उदास होते हैं, वे घरों के बाहर बैठे रहते हैं वृद्ध। वे कहते हैं कि क्या बताएँ? ••• क्यों कोई परेशानी? बोले -- और तो कुछ नहीं, पर अब घर में हमारी पूंछ नहीं रही। *सब जगह पूंछ का झगड़ा और सब पूंछ के पीछे पड़े हैं और श्री हनुमान जी के पीछे पूंछ पड़ी है।
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