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May 22, 2025 at 06:31 AM
श्री हनुमानजी से जब मेघनाथ सब तरह से हार गया (सेना सहित युद्ध, फिर द्वन्द्ध युद्ध ,फिर मायावी युद्ध)तब उसे लगा कि कहीं यह वानर जीत गया तो लंका में सम्मान खतरे में पड़ जायेगा कि इंद्रजीत कहलवाने वाला मेघनाथ एक वानर से हार गया। यह सोच कर प्रभु की प्रेरणा से उसने ब्रह्मास्त्र चलाने का निर्णय किया जो कि उसने कठोर तप से प्राप्त किया था और उसको वह प्रभु राम तथा लक्ष्मण पर चलाना था। हालांकि ब्रम्हा जी ने जब श्री हनुमानजी के ऊपर बाल रूप में सूर्य गटक जाने पर ब्रह्मास्त्र चलाया था तब उन्हें यह वरदान दिया था कि अब तुम पर यह ब्रह्मास्त्र कभी असर नही करेगा, परन्तु हनुमानजी ने सोचा कि यदि ब्रह्मास्त्र का सम्मान नहीं किया तो उसकी महिमा समाप्त हो जाएगी अतः लीला वश श्री हनुमानजी की भी इच्छा रावण को समझाने की रही थी तो उन्होंने मूर्छित होने का स्वांग करने का निर्णय लिया ।।राम राम जी।।
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