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June 3, 2025 at 04:54 AM
*साधुओं के अचूक आयुर्वेदिक प्रयोग :-----*
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*1- मधुमक्खी काटने की औषधीय ----*
आक(मदार) के दूध में लौंग, गोल मिर्च, शुद्ध कड़वा तेल या सरसों का दाना एक में रगड़कर तेल में फेंटकर लगाये पीड़ा समाप्त हो जायगी।
*2- मनुष्य के पेट में दर्द -----*
आकाश बवर पीसकर थोड़ा शुद्ध घी एक चम्मच जल के साथ पिला दिया जाय दर्द मिट जायगा।
*3- जहर खा लेने पर ------*
अंकोल की छाल को, थोड़ा-सा पीसकर पिला दिया जाय, तो कैसा भी विष हो उसे उलटी द्वारा बाहर निकाल देता है। यह औषधी रामबाण है।
*4- वातरोग या गठिया -----*
हरसिंगार की चार या पाँच पत्ती पीसकर एक गिलास पानी से सुबह-
शाम दो या तीन सप्ताह पीने से रोग समाप्त हो जायगा।
*5- कान का दर्द ------*
पीपल के पत्ते का रस, कान में डालने से कान का दर्द, बहना तथा बहरापन चला जाता है।
*6- चौथिया, जड़ेया बुखार ------*
कपास के पत्तों को सूंघने से, चौथिया या जडैया बुखार जड़ से छूट जायगा।
*7- सिरदर्द या सर्दी ------*
पीपल के चार कोमल पत्तों का रस चूसिये। रस चूसते - चूसते दर्द या सर्दी जुक़ाम मिट जायगा।
*8- खाँसी, दमा -----*
पीपल के सूखे पत्तों को कूटकर, कपड़छान कर ले तथा एक बड़े चम्मच शुद्ध मधु 25 ग्राम में, 25 ग्राम पीपल पत्ते का चूर्ण, मिलाकर चाटने से खाँसी, दमा दो सप्ताह में, जड़ से समाप्त हो जायगा।
*9- पीपल के फल के उपयोग ------*
पीपल के फल को , सुखाकर व कूटकर कपड़े से छान कर ले। 250 ग्राम नित्य गाय के दूध में मिलाकर सेवन करने से वह बल-वीर्य को बढ़ाता है, ताकत पैदा करता है और स्त्रियों के प्रसूत, प्रदर, मासिक धर्म की गड़बड़ी को भी यह दूर कर देता है।
*10- हैजा ------*
अकवन (आक)-को , कुछ लोग मदार भी कहते हैं। अकवन की जड़ 100 मिलीग्राम, इतनी ही गोल मिर्च मिलाकर पीस ले और मटर के दाने के बराबर गोली बना ले। जिसे हैजा (कॉलरा) हो गया हो, उसे एक बार, दो गोली खिलाये, हैजा तुरंत - बंद हो जायगा।
यह साधु समाज के प्रयोग है जो सिद्ध योग के अंतर्गत आते है। फिर भी सेवन करते समय, किसी आयुर्वेद चिकित्सक व वैद्य के दिशा-निर्देश पर ही लेना व्यवहारिकता है।
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