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June 11, 2025 at 12:24 AM
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*हनुमान जी और लंका दहन का गूढ़ रहस्य*
जब रावण ने हनुमान जी की पूंछ में तेल, घी और कपड़ा लपेटकर आग लगा दी, तो उसे लगा कि यह वानर जलती हुई पूंछ के साथ व्याकुल होकर अपने स्वामी श्रीराम के पास लौट जाएगा। इससे रावण की शक्ति का आभास हनुमान को और उनके आभासी शत्रुओं को होगा। लेकिन रावण यह नहीं जानता था कि उसने खुद अपने ही किले में आग लगा ली है!
हनुमान जी सिर्फ एक साधारण वानर नहीं थे, बल्कि वे एक कुशल गुप्तचर भी थे। उन्होंने पहले ही लंका में अपने गुप्तचर तैनात कर रखे थे, जो हवा में प्रवाहित होने वाले अदृश्य दूत थे। तुलसीदास जी ने इसे स्पष्ट किया है—
"हरि प्रेरित तेहि अवसर चले मरुत उनचास।
अट्टहास करि गर्जा कपि बढ़ि लाग अकास।।"
'मरुत उनचास' अर्थात 49 प्रकार की वायुएं, जो अलग-अलग दिशाओं से प्रवाहित होती हैं, अचानक लंका में सक्रिय हो गईं। विज्ञान के दृष्टिकोण से, ये विभिन्न प्रकार की हवाएँ थीं—आंधी, तूफान, बवंडर, जो पूरे लंका को जलाने में सहायक बने।
हनुमान जी ने अपना शरीर विशाल कर लिया, लेकिन वह भारहीन भी हो गए—"देह बिसाल परम हरुआई।" अग्नि से लिपटे होने के बावजूद उनका शरीर नहीं जला, क्योंकि वे अग्नि से अप्रभावित रहने का वरदान पा चुके थे।
हनुमान जी ने लंका में प्रवेश कर रावण की सुरक्षा व्यवस्था को ध्वस्त किया, लंकिनी को परास्त किया, अशोक वाटिका में भारी विनाश किया, अक्षयकुमार का वध किया, विभीषण को राम की शरण में आने का संकेत दिया, और अंततः पूरी स्वर्ण-मयी लंका को राख बना दिया।
*इसीलिए जामवंत जी ने कहा था—*
"कवन सो काज कठिन जग माहीं।
जो नहिं होइ तात तुम्ह पाहीं॥"
हनुमान जी के इस पराक्रम ने यह सिद्ध कर दिया कि कोई भी कार्य उनके लिए असंभव नहीं था..!!
*🙏🙏🏼🙏🏿जय श्री राम*🙏🏾🙏🏽🙏🏻
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