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June 11, 2025 at 06:41 PM
*वास्तु दोष निवारण उपाय क्या हैं एवं महालक्ष्मी की स्थायी कृपा,धन प्राप्ति के उपाय आओ जानें* मेन गेट पर लगा रंग बन सकता है दरिद्रता का कारण, जानें कौन से रंग मुख्य द्वार के लिए अशुभ *वास्तु शास्त्र और ज्योतिष शास्त्र भारतीय संस्कृति का अभिन्न हिस्सा हैं। हमारे घर की दिशा, प्रवेश द्वार, रंग, और सजावट- इनका हमारे जीवन पर गहरा असर पड़ता है। *विशेष रूप से घर का मुख्य द्वार केवल प्रवेश का रास्ता नहीं होता, बल्कि यह ऊर्जाओं का प्रवेश द्वार भी माना जाता है। अगर इसमें वास्तु के नियमों की अनदेखी की जाए, खासकर रंगों का चयन गलत हो, तो यह दरिद्रता, अशांति और आर्थिक समस्याओं का कारण बन सकता है। आइए विस्तार से जानते हैं कि मुख्य द्वार के रंग का आपके जीवन पर क्या असर पड़ता है और कौन-से रंग दरिद्रता को आमंत्रित कर सकते हैं। *मुख्य द्वार का महत्व वास्तु शास्त्र में* वास्तु शास्त्र के अनुसार, घर का मुख्य द्वार वह स्थान होता है जहाँ से न केवल लोग बल्कि ऊर्जाएं भी अंदर प्रवेश करती हैं। यही कारण है कि इसे *•'सिंह द्वार'* भी कहा जाता है। अगर यह द्वार सही दिशा में हो और इसके रंग, आकार और सजावट उचित हो, तो यह घर में सुख-शांति, समृद्धि और स्वास्थ्य को बनाए रखता है। लेकिन अगर इसके रंग और दिशा में दोष हो, तो यह दरिद्रता, रोग और बाधाओं को निमंत्रण देता है। *कौन-से रंग मुख्य द्वार के लिए माने जाते हैं अशुभ?* *हमारे द्वारा अपने घर फ्लैट फैक्ट्री ऑफिस का वास्तुदोष चैक कराने या ओरा स्कैन कराने के लिए सम्पर्क करें* * *काला रंग:-* वास्तु में काले रंग को नकारात्मकता और भारी ऊर्जा का प्रतीक माना गया है। अगर आपके घर का मुख्य द्वार काले रंग में रंगा है, तो यह अवसाद, मानसिक तनाव और आर्थिक बाधाओं का कारण बन सकता है। * *गहरा नीला या स्लेटी रंग:-* ये रंग भारी ऊर्जा को आकर्षित करते हैं और घर में नीरसता या उदासी का माहौल बना सकते हैं। व्यापारियों के लिए तो यह खासकर नुकसानदायक हो सकता है। * *गहरा लाल:-* अधिक उत्तेजक और उग्र रंग जैसे गहरा लाल ऊर्जा को असंतुलित कर सकते हैं। यह क्रोध, झगड़े और अस्थिरता बढ़ा सकते हैं। * *भूरा या गंदला पीला:-* यह रंग दरिद्रता, आर्थिक नुकसान और घरेलू कलह को बढ़ावा दे सकते हैं। इनसे घर की सुंदरता भी प्रभावित होती है। *मुख्य द्वार के लिए शुभ रंग कौन-से हैं?* * *हल्का हरा:-* यह रंग शांति, तरक्की और ताजगी का प्रतीक है। यह घर में सकारात्मक ऊर्जा बनाए रखता है। * *क्रीम या सफेद:-* यह रंग पवित्रता, शांति और संतुलन का प्रतीक माना गया है। इससे मानसिक स्पष्टता बनी रहती है। * *हल्का नीला:-* यह रंग शांति और सौम्यता को बढ़ाता है। विशेष रूप से मानसिक कार्यों में लगे लोगों के लिए यह शुभ माना जाता है। * *हल्का गुलाबी:-* यह रंग प्रेम, रिश्तों और सौहार्द्र को बढ़ाता है। *रंग के साथ जुड़ी वास्तु की और भी बातें* `•मुख्य द्वार का रंग घर की दिशा पर भी निर्भर करता है। जैसे:-` * उत्तर दिशा का मुख्य द्वार हो तो हल्का नीला या हरा रंग शुभ होता है। * पूर्व दिशा के लिए क्रीम, सफेद और हल्का गुलाबी अच्छा होता है। * दक्षिण दिशा के लिए हल्का ब्राउन, हल्का लाल या नारंगी रंग ठीक होता है। * पश्चिम दिशा के लिए सफेद, क्रीम या चॉकलेट रंग उपयुक्त माने जाते हैं। * दरवाज़े को साफ-सुथरा और सुसज्जित रखना चाहिए। गंदा, खुरदुरा या टूटा-फूटा दरवाज़ा दरिद्रता का द्वार बन सकता है। * मुख्य द्वार के आसपास हल्की रोशनी जरूर होनी चाहिए, ताकि सकारात्मक ऊर्जा घर में आसानी से प्रवेश कर सके। *उपाय: अगर मुख्य द्वार का रंग गलत है तो क्या करें?* * *रंग को बदलें:-* सबसे अच्छा उपाय है कि आप दरवाज़े का रंग वास्तु अनुसार शुभ रंगों में बदल दें। *तोरण और शुभ चिह्न लगाएं:-* * दरवाज़े पर आम के पत्तों की तोरण, स्वास्तिक, ॐ या शुभ-लाभ जैसे प्रतीक लगाना भी शुभता बढ़ा सकता है। * सप्ताह में एक बार दरवाज़े को गंगाजल से पोछें या वहां हनुमान चालीसा या विष्णु सहस्त्रनाम का पाठ करें। * मुख्य द्वार के सामने कोई बड़ा कूड़ेदान, टूटे गमले या जंग लगे सामान न रखें। इससे भी दरिद्रता आती है। *ज्योतिषीय दृष्टिकोण से रंगों का प्रभाव* `•ज्योतिष में भी ग्रहों का संबंध रंगों से जोड़ा गया है:-` * शनि से जुड़े लोगों को गहरा नीला या काला रंग नहीं चुनना चाहिए। * मंगल से जुड़े लोग अधिक लाल रंग से बचें। * चंद्रमा से जुड़े व्यक्तियों के लिए सफेद या हल्का नीला शुभ होता है। * यदि आपकी कुंडली में कोई ग्रह दोष है, तो उस ग्रह के रंग का घर के मुख्य द्वार पर प्रयोग नुकसानदायक हो सकता है। ऐसे में किसी योग्य ज्योतिषी की सलाह लेना उचित रहेगा। मुख्य द्वार का रंग केवल सजावट का हिस्सा नहीं होता, यह आपके जीवन की दिशा और दशा दोनों को प्रभावित कर सकता है। यदि आप लगातार आर्थिक तंगी, मानसिक तनाव या दरिद्रता का सामना कर रहे हैं, तो एक बार अपने घर के मुख्य द्वार की ओर भी नज़र डालें-कहीं वही तो इसका कारण नहीं। *महालक्ष्मी की स्थायी कृपा,धन प्राप्ति के उपाय* 1. सदैव याद रखें कभी भी किसी से कोई चीज मुफ्त में न लें , हमेशा उसका मूल्य अवश्य ही चुकाएं , कभी भी किसी व्यक्ति को धोखा देकर धन का संचय न करें , इस तरह से कमाया हुआ धन टिकता नहीं है , वह उस व्यक्ति और उसके परिवार के ऊपर कर्ज के रूप में चढ जाता है और ऐसा करने से व्यक्ति के स्वयं के भाग्य और उसके कर्म से आसानी से मिलने वाली सम्रद्धि और सफलता में भी हमेशा बाधाएँ ही आती है । 2. हर एक व्यक्ति को चाहे वह अमीर हो या गरीब , उसका जो भी व्यवसाय -नौकरी हो अपनी आय का कुछ भाग प्रति माह धार्मिक कार्यों में अथवा दान पुण्य में अवश्य ही खर्च करें , ऐसा करने से उस व्यक्ति पर माँ लक्ष्मी की सदैव कृपा बनी रहती है , उसके परिवार में हर्ष - उल्लास और सहयोग का वातावरण बना रहता है तथा सामान्यता वह अपने दायित्वों के पूर्ति के लिए पर्याप्त धन अवश्य ही आसानी से कमा लेता है । 3. स्त्रियों को स्वयं लक्ष्मी का स्वरुप माना गया है । प्रत्येक स्त्री को पूर्ण सम्मान दें । घर की व्यवस्था अपनी पत्नी को सौपें , वही घर को चलाये उसके काम में कभी भी मीन मेख न निकालें । अपने माता पिता को अपनी आय का एक निश्चित हिस्सा अवश्य ही दें । घर में कोई भी बड़ा काम हो तो उस घर के बड़े बुजुर्गों विशेषकर स्त्रियों को अवश्य ही आगे करें । अपने घर एवं रिश्तेदारी में अपनी पत्नी को अवश्य ही आगे रखें । अपनी माँ, पत्नी, बहन एवं बेटी को हर त्यौहार , जन्मदिवस , एवं शादी की सालगिरह आदि पर कोई न कोई उपहार अवश्य ही दे । 4. घर के मुखिया जो अपने घर व्यापार में माँ लक्ष्मी की कृपा चाहते है वह रात के समय कभी भी चावल, सत्तू , दही , दूध ,मूली आदि खाने की सफेद चीजों का सेवन न करें इस नियम का जीवन भर यथासंभव पालन करने से आर्थिक पक्ष हमेशा ही मजबूत बना रहता है । 5. शुक्रवार को सवा सौ ग्राम साबुत बासमती चावल और सवा सौ ग्राम ही मिश्री को एक सफेद रुमाल में बांध कर माँ लक्ष्मी से अपनी गलतियों की क्षमा मांगते हुए उनसे अपने घर में स्थायी रूप से रहने की प्रार्थना करते हुए उसे नदी की बहते हुए जल में प्रवाहित कर दें , धीरे धीरे आर्थिक पक्ष मजबूत होता जायेगा । 6. प्रथम नवरात्री से नवमी तिथि तक प्रतिदिन एक बार श्रीसूक्त का अवश्य ही पाठ करें इससे निश्चय ही आप पर माता लक्ष्मी की कृपा द्रष्टि बनी रहेगी । 7. घर के पूजा स्थल और तिजोरी में सदैव लाल कपडा बिछा कर रखें और संध्या में आपकी पत्नी या घर की कोई भी स्त्री नियम पूर्वक वहां पर ३ अगरबत्ती जला कर अवश्य ही पूजा करें । 8. प्रत्येक पूर्णिमा में नियमपूर्वक साबूदाने की खीर मिश्री और केसर डाल कर बनाये फिर उसे माँ लक्ष्मी को अर्पित करते हुए अपने जीवन में चिर स्थाई सुख , सौभाग्य और सम्रद्धि की प्रार्थना करें , तत्पश्चात घर के सभी सदस्य उस खीर के प्रशाद का सेवन करें । 9. हर 6 माह में कम से कम एक बार अपने माता पिता को कोई उपहार अवश्य ही दें इससे आपकी आय में सदैव बरकत रहेगी । 10. घर में तुलसी का पौधा लगाकर वहां पर संध्या के समय रोजाना घी का दीपक जलाने से माता लक्ष्मी उस घर से कभी भी नहीं जाती है ।11. शुक्र ग्रह भौतिक सुख के कारक है , इसको मजबूत करने के लिए घर का कुछ हिस्सा कच्चा जरुर रखे । 12. यदि गृह लक्ष्मी प्रतिदिन एक लोटा जल प्रात: घर के मुख्य द्वार पर डाले तो उस घर में धन का आगमन बहुत ही सुगमता से होता है । 13. माँ लक्ष्मी का ध्यान करते हुए स्नान के पश्चात यदि मस्तक पर शुद्ध केसर का तिलक , और इत्र लगाकर ही घर से अपने व्यवसाय में जाएँ तो धन लाभ की सम्भावना बड़ जाती है । 14. रात को सोते समय अपने दन्त फिटकरी से साफ करें लाभ प्राप्त होगा । 15. बुधवार को हरा चारा , ब्रहस्पति वार को गीली चने की दाल को आटे में मिलाकर उसके 2 पेड़े और शुक्रवार को सफेद चावल मीठा डालकर गाय को खिलाने से उस घर पर कभी भी कोई भी आर्थिक संकट नहीं आता है । 16. इन्द्रकृत महालक्ष्मी स्तोत्र के 11 पाठ नित्य करने और गीताजी के ग्यारहवें अध्याय का नियमित पाठ करने से महालक्ष्मी उस घर में सदा निवास करती है। 17. श्रीसूक्त के रात्रि के समय 11 पाठ करने व एक पाठ से हवन करने से मां लक्ष्मी उस पर सदा प्रसन्न रहती है। 18. ध्यान रहे धन लक्ष्मी की पूजा करने वाले किसी भी हाल में स्त्री का अनादर नहीं करें। 19. धन लक्ष्मी माता को सफेद पदार्थ जैसे चावल से बनी खीर और यथासंभव दूध से बने पकवानों का भोग लगाएं। 20. गृह लक्ष्मी, माता या घर की सबसे बड़ी स्त्री को आदर देते हुए घर की किसी भी पूजा का कोई भी प्रसाद सर्वप्रथम उन्हें ही ग्रहण कराएं तत्पश्चात स्वयं ग्रहण करें 21. भगवती लक्ष्मी के 18 पुत्र माने जाते हैं। इनके प्रतिदिन अथवा शुक्रवार के दिन इनके नाम के आरंभ में ॐ और अंत में 'नम:' लगाकर जप करने से मनचाहे धन की प्राप्ति होती है। जैसे - 1. ॐ देवसखाय नम:2. ॐ चिक्लीताय नम:3. ॐ आनंदाय नम:4. ॐ कर्दमाय नम: 5. ॐ श्रीप्रदाय नम:6. ॐ जातवेदाय नम:7. ॐ अनुरागाय नम:8. ॐ संवादाय नम:9. ॐ विजयाय नम:10. ॐ वल्लभाय नम:11. ॐ मदाय नम:12. ॐ हर्षाय नम:13. ॐ बलाय नम:14. ॐ तेजसे नम:15. ॐ दमकाय नम:16. ॐ सलिलाय नम:17. ॐ गुग्गुलाय नम:18. ॐ कुरूंटकाय नम: यदि संभव हो तो इन्हे एक सफेद कागज पर लाल स्याही से लिख कर रख लें और पड़ने के बाद इस कागज को चूमकर अपने माथे से अवश्य लगाएँ | 22. शंख समुद्र मंथन के समय प्राप्त चौदह अनमोल रत्नों में से एक है। माता लक्ष्मी के साथ उत्पन्न होने के कारण इसे लक्ष्मी भ्राता भी कहा जाता है। यही कारण है कि जिस घर में शंख होता है वहां लक्ष्मी का वास अवश्य ही होता है। घर में शंख जरूर रखें। 23. पति या पत्नी में कोई भी रात्रि में सोने से पहले घरं में ईश्वर का स्मरण करते हुए दो फूल वाले लौंग देसी कपूर के साथ जला लें मां लक्ष्मी की सदैव कृपा बनी रहेगी । 24. शुक्रवार के दिन दक्षिणावर्ती शंख में जल भरकर भगवान विष्णु का अभिषेक करने से मां लक्ष्मी बहुत जल्दी प्रसन्न हो जाती हैं उस व्यक्ति को धन की कभी भी कमी नहीं रहती है। 25. बांस की बनी हुई बांसुरी भगवान श्रीकृष्ण को अतिप्रिय है। जिस घर में बांसुरी रखी होती है, उस परिवार में परस्पर प्रेम और सहयोग तो बना रहता ही है साथ ही उस घर में धन-वैभव, सुख-समृद्धि की भी कोई कमी नहीं रहती है। ध्यान दीजियेगा की बांसुरी टूटी , चिटकी न हो और उस पर कोई रेशमी मोटा धागा अवश्य बांध दें। 26. माह के किसी भी शुक्रवार के दिन 3 कुंवारी कन्याओं को घर बुलाकर खीर खिलाकर पीला वस्त्र व दक्षिणा देकर विदा करें। इससे मां लक्ष्मी की उस घर पर हमेशा कृपा बनी रहती हैं। 27. किसी शुभ मुहूर्त में लाल धागे में सातमुखी रुद्राक्ष गले में धारण करने से अवश्य ही धन लाभ होता है। 28. सफेद अकाव की जड़ को सफेद कपड़े में बांधकर घर के धन स्थान में रखने से समृद्धि बढ़ती है। 29. घर में समृद्धि लाने हेतु घर के उत्तर पश्चिम के कोण (वायव्य कोण) में सुन्दर से मिट्टी के बर्तन में कुछ सोने-चांदी के सिक्के, लाल कपड़े में बांध कर रखें। फिर बर्तन को गेहूं या चावल से भर दें। ऐसा करने से घर में धन का अभाव नहीं रहेगा। 30. काले तिल परिवार के सभी सदस्यों के सिर पर सात बार उसार कर घर के उत्तर दिशा में फेंक दें, धनहानि बंद होगी 31. एक हंडिया में सवा किलो हरी साबुत मूंग की दाल, दूसरी में सवा किलो डलिया वाला नमक भर दें। यह दोनों हंडिया घर में कहीं साफ और सुरक्षित जगह में रख दें। यह क्रिया बुधवार के दिन करें। घर में धन आना और रुकना शुरू हो जाएगा। 32. अगर अचानक धन लाभ की स्थितियाँ बनती नज़र आती हों , किन्तु लाभ नहीं मिल रहा हो, तो गोपी चन्दन की नौ डलियाँ लेकर केले के वृक्ष पर टाँग देनी चाहिए। यह ध्यान रहे की यह चन्दन पीले धागे से ही बाँधना है। 33. अकस्मात् धन लाभ के लिये शुक्ल पक्ष के प्रथम बुधवार को सफेद कपड़े के झंडे को पीपल के वृक्ष पर लगाना चाहिए। इस प्रयोग से व्यवसाय में किसी भी प्रकार का अवरोध भी टल जाता है । 34. अगर आप अमावस्या के दिन पीली त्रिकोण आकृति की पताका विष्णु मन्दिर में ऊँचाई वाले स्थान पर इस प्रकार लगाएँ कि वह लगातार लहराती रहे, तो आपका भाग्य शीघ्र ही चमक उठेगा। लगातार स्थाई लाभ हेतु यह ध्यान रहे की झंडा वहाँ लगा रहना चाहिए। उसे आप समय समय पर स्वयं बदल भी सकते है । 35. प्रत्येक शुक्रवार को माता लक्ष्मी के सामने नौं बत्तियों का शुद्ध घी का दीपक जलाकर सफ़ेद दूध की बनी मिठाई का भोग लगाकर तत्पश्चात अपने हाथ से वह प्रशाद अपनी माता, पत्नी, बहन एवं बेटी को खिलाने सबको बाँटने के बाद अंत में स्वयं ग्रहण करने से मां लक्ष्मी सदैव उस घर में निवास करती है। 36. जो व्यक्ति नहाते हुए अथवा पैर धोते हुए पैर से पैर को रगड़कर साफ करता है, सर पर तेल लगाने के बाद हाथों में बचे हुए तेल को मुंह, कलाइयों या बाजुओं में रगड़ता है, नोटों को थूक लगा कर गिनता है । उसे हमेशा धन का संकट बना रहता है । 37. महिलाओं का आदर करने से तथा 10 वर्ष से कम उम्र की कन्याओं को देवी का स्वरूप मानकर प्रसन्न करने से सुख-समृद्धि की वृद्धि होती है। 38. सफेद वस्तुओं का दान करने से मां लक्ष्मी अति प्रसन्न होती हैं और सुख-संपत्ति का भंडार भर देती हैं। 39. घर में टूटे-फूटे बर्तनों का उपयोग कदापि न करें। यह दरिद्रता का सूचक है और इससे माँ लक्ष्मी रुष्ठ हो जाती हैं। 40. भगवान विष्णु की पत्नी महालक्ष्मी के कई फोटो उपलब्ध हैं। इन उपलब्ध चित्रों में से उस फोटो की पूजा करनी चाहिए जिसमें महालक्ष्मी और भगवान श्रीहरि गरुड़ देव पर आसीन हो। इस फोटो की पूजा करने पर व्यक्ति मालामाल हो सकता है।जो भी भक्त देवी लक्ष्मी के ऐसे फोटो की पूजा करता है वह सभी देवी-देवताओं की कृपा का पात्र बन जाता है। इसके व्यक्ति कुंडली के सभी दोषों का प्रभाव भी कम हो जाता है। श्रीहरि के साथ लक्ष्मी यदि गुरुड़ देव पर आसीन होकर आपके यहां आएंगी तो वे स्थाई रूप से आप पर कृपा बरसाएंगी। 41. किसी भी विशेष मनोरथ की पूर्ती के लिये शुक्ल पक्ष में जटावाला नारियल नए लाल सूती कपडे में बांधकर बहते जल में प्रवाहित करें। यह उपाय निष्ठापूर्वक करें।नारियल प्रवाहित करने से पहले अपने नाम और गौत्र का उच्चारण अवश्य करें।इसके बाद अपने इष्टदेव से अपनी परेशानियां दूर करने के लिए प्रार्थना करें और नारियल नदी में बहा दें। ध्यान रहे इसके बाद पलट जाएँ और पीछे पलटकर ना देखें। 42. अगर आपके व्यापार या नौकरी में मंदी आ गयी है तो किसी साफ़ शीशी में सरसों का तेल भरकर उस शीशी को किसी तालाब या बहती नदी के जल में डाल दें और ईश्वर से अपनी सफलता के लिए प्रार्थना करें । आपके व्यापार ,, नौकरी में जान आ जाएगी। 43. यदि मार्ग में कोई सफाई कर्मचारी सफाई करता दिखाई दे तो उसे स्नेह से चाय-पानी के लिए कुछ दान अवश्य दें, इससे परिवार में प्रेम व सुख-समृद्धी बड़ती है । यदि सफाई कर्मचारी महिला हो तो बहुत ही उत्तम है । 44. अगर आपको धन की इच्छा है तो इसके लिए आप बुधवार या चतुर्थी तिथि के दिन सुबह स्नान आदि करने के बाद भगवान श्रीगणेश को शुद्ध घी और गुड़ का भोग लगाएं। थोड़ी देर बाद घी व गुड़ गाय को खिला दें। ये उपाय करने से धन संबंधी समस्या का निदान हो जाता 45।।शुक्रवार के दिन दक्षिणावर्ती शंख में जल भरकर भगवान विष्णु का अभिषेक करें। इस उपाय में मां लक्ष्मी जल्दी प्रसन्न हो जाती हैं 46 शुक्रवार को पीले कपड़े में पांच लक्ष्मी (पीली) कौड़ी और थोड़ी सी केसर, चांदी के सिक्के के साथ बांधकर धन स्थान पर रखें। 47 कुछ ही दिनों में इसका प्रभाव दिखाई देने लगेगा। 48।।इस दिन 3 कुंवारी कन्याओं को घर बुलाकर खीर खिलाएं तथा पीला वस्त्र व दक्षिणा देकर विदा करें। 49 ।इससे भी मां लक्ष्मी प्रसन्न होती हैं।शुक्रवार के दिन श्रीयंत्र का गाय के दूध के अभिषेक करें और अभिषेक का जल पूरे घर में छिंटक दें व श्रीयंत्र को कमलगट्टे के साथ धन स्थान पर रख दें। इससे धन लाभ होने लगेगा। 50 शुक्रवार का दिन लक्ष्मी जी का दिन माना जाता है। जिन्हें धन की देवी माना जाता है। इस दिन कई लोग व्रत भी रखते है जिससे कि उनकी सभी मनोकामनाएं पूर्ण हो जाएं और सुख-शाति के साथ रह सके। धन की देवी को प्रसन्न करना बहुत ही आसान है। 51।अगर जन्म कुंडली में शुक्र अपनी दशा में अशुभ फल दे रहा है। शुक्र के प्रभाव से जानें कितनी बीमारियों का सामना करना पडता है जिससे कि आपको जीवन में सुख नाम की कोई चीज न रह जाती। जिसके लिए आप नए-नए उपाय करते है कि आपका ग्रह सही हो जाए। लक्ष्मी मां को खुश करने के लिए यह उपाय करें इस दिन शाम के समय घर के ईशान कोण में गाय के घी का दीपक लगाएं। बत्ती में रुई के स्थान पर लाल रंग के धागे का उपयोग करें साथ ही दीए में थोड़ी सी केसर भी डाल दें।इस दिन दान देने का भी विशेष महत्व है इसलिए इस दिन जितना हो सके गरीबों को दान करें। सफेद रंग की वस्तु या खाद्य पदार्थ का दान करें तो और शुभ रहेगा।शुक्रवार को गाय की सेवा करें श्यामा गाय मिल जाये तो और अच्छा है। इससे आपकी सभी मनोकामनाएं पूर्ण हो जाएगी। इनमें से किसी एक को भी करने से आपके अशुभ फलों में कमी होकर शुभ फलों में वृद्धि होती है। शुक्र ग्रह को मजबूत करने के आसान उपाय; किसी भी मंदिर में जाकर गाय का शुद्ध घी दान में दें श्रीमहालक्ष्मीसुप्रभातम् ॥ श्रीलक्ष्मि श्रीमहालक्ष्मि क्षीरसागरकन्यके उत्तिष्ठ हरिसम्प्रीते भक्तानां भाग्यदायिनि । उत्तिष्ठोत्तिष्ठ श्रीलक्ष्मि विष्णुवक्षस्थलालये उत्तिष्ठ करुणापूर्णे लोकानां शुभदायिनि ॥ १॥ श्रीपद्ममध्यवसिते वरपद्मनेत्रे श्रीपद्महस्तचिरपूजितपद्मपादे । श्रीपद्मजातजननि शुभपद्मवक्त्रे श्रीलक्ष्मि भक्तवरदे तव सुप्रभातम् ॥ २॥ जाम्बूनदाभसमकान्तिविराजमाने तेजोस्वरूपिणि सुवर्णविभूषिताङ्गि । सौवर्णवस्त्रपरिवेष्टितदिव्यदेहे श्रीलक्ष्मि भक्तवरदे तव सुप्रभातम् ॥ ३॥ सर्वार्थसिद्धिदे विष्णुमनोऽनुकूले सम्प्रार्थिताखिलजनावनदिव्यशीले । दारिद्र्यदुःखभयनाशिनि भक्तपाले श्रीलक्ष्मि भक्तवरदे तव सुप्रभातम् ॥ ४॥ चन्द्रानुजे कमलकोमलगर्भजाते चन्द्रार्कवह्निनयने शुभचन्द्रवक्त्रे । हे चन्द्रिकासमसुशीतलमन्दहासे श्रीलक्ष्मि भक्तवरदे तव सुप्रभातम् ॥ ५॥ श्रीआदिलक्ष्मि सकलेप्सितदानदक्षे श्रीभाग्यलक्ष्मि शरणागत दीनपक्षे । ऐश्वर्यलक्ष्मि चरणार्चितभक्तरक्षिन् श्रीलक्ष्मि भक्तवरदे तव सुप्रभातम् ॥ ६॥ श्रीधैर्यलक्ष्मि निजभक्तहृदन्तरस्थे सन्तानलक्ष्मि निजभक्तकुलप्रवृद्धे । श्रीज्ञानलक्ष्मि सकलागमज्ञानदात्रि श्रीलक्ष्मि भक्तवरदे तव सुप्रभातम् ॥ ७॥ सौभाग्यदात्रि शरणं गजलक्ष्मि पाहि दारिद्र्यध्वंसिनि नमो वरलक्ष्मि पाहि । सत्सौख्यदायिनि नमो धनलक्ष्मि पाहि श्रीलक्ष्मि भक्तवरदे तव सुप्रभातम् ॥ ८॥ श्रीराज्यलक्ष्मि नृपवेश्मगते सुहासिन् श्रीयोगलक्ष्मि मुनिमानसपद्मवासिन् । श्रीधान्यलक्ष्मि सकलावनिक्षेमदात्रि श्रीलक्ष्मि भक्तवरदे तव सुप्रभातम् ॥ ९॥ श्रीपार्वती त्वमसि श्रीकरि शैवशैले क्षीरोदधेस्त्वमसि पावनि सिन्धुकन्या । स्वर्गस्थले त्वमसि कोमले स्वर्गलक्ष्मी श्रीलक्ष्मि भक्तवरदे तव सुप्रभातम् ॥ १०॥ गङ्गा त्वमेव जननी तुलसी त्वमेव कृष्णप्रिया त्वमसि भाण्डिरदिव्यक्षेत्रे । राजगृहे त्वमसि सुन्दरि राज्यलक्ष्मी श्रीलक्ष्मि भक्तवरदे तव सुप्रभातम् ॥ ११॥ पद्मावती त्वमसि पद्मवने वरेण्ये श्रीसुन्दरी त्वमसि श्रीशतश‍ृङ्गक्षेत्रे । त्वं भूतलेऽसि शुभदायिनि मर्त्यलक्ष्मी श्रीलक्ष्मि भक्तवरदे तव सुप्रभातम् ॥ १२॥ चन्द्रा त्वमेव वरचन्दनकाननेषु देवि कदम्बविपिनेऽसि कदम्बमाला । त्वं देवि कुन्दवनवासिनि कुन्ददन्ती श्रीलक्ष्मि भक्तवरदे तव सुप्रभातम् ॥ १३॥ श्रीविष्णुपत्नि वरदायिनि सिद्धलक्ष्मि सन्मार्गदर्शिनि शुभङ्करि मोक्षलक्ष्मि । श्रीदेवदेवि करुणागुणसारमूर्ते श्रीलक्ष्मि भक्तवरदे तव सुप्रभातम् ॥ १४॥ अष्टोत्तरार्चनप्रिये सकलेष्टदात्रि हे विश्वधात्रि सुरसेवितपादपद्मे । सङ्कष्टनाशिनि सुखङ्करि सुप्रसन्ने श्रीलक्ष्मि भक्तवरदे तव सुप्रभातम् ॥ १५॥ आद्यन्तरहिते वरवर्णिनि सर्वसेव्ये सूक्ष्मातिसूक्ष्मतररूपिणि स्थूलरूपे । सौन्दर्यलक्ष्मि मधुसूदनमोहनाङ्गि श्रीलक्ष्मि भक्तवरदे तव सुप्रभातम् ॥ १६॥ सौख्यप्रदे प्रणतमानसशोकहन्त्रि अम्बे प्रसीद करुणासुधयाऽऽर्द्रदृष्ट्या । सौवर्णहारमणिनूपुरशोभिताङ्गि श्रीलक्ष्मि भक्तवरदे तव सुप्रभातम् ॥ १७॥ नित्यं पठामि जननि तव नाम स्तोत्रं नित्यं करोमि तव नामजपं विशुद्धे । नित्यं श‍ृणोमि भजनं तव लोकमातः श्रीलक्ष्मि भक्तवरदे तव सुप्रभातम् ॥ १८॥ माता त्वमेव जननी जनकस्त्वमेव देवि त्वमेव मम भाग्यनिधिस्त्वमेव । सद्भाग्यदायिनि त्वमेव शुभप्रदात्री श्रीलक्ष्मि भक्तवरदे तव सुप्रभातम् ॥ १९॥ वैकुण्ठधामनिलये कलिकल्मषघ्ने नाकाधिनाथविनुते अभयप्रदात्रि । सद्भक्तरक्षणपरे हरिचित्तवासिन् श्रीलक्ष्मि भक्तवरदे तव सुप्रभातम् ॥ २०॥ निर्व्याजपूर्णकरुणारससुप्रवाहे राकेन्दुबिम्बवदने त्रिदशाभिवन्द्ये । आब्रह्मकीटपरिपोषिणि दानहस्ते श्रीलक्ष्मि भक्तवरदे तव सुप्रभातम् ॥ २१॥ लक्ष्मीति पद्मनिलयेति दयापरेति भाग्यप्रदेति शरणागतवत्सलेति । ध्यायामि देवि परिपालय मां प्रसन्ने श्रीलक्ष्मि भक्तवरदे तव सुप्रभातम् ॥ २२॥ श्रीपद्मनेत्ररमणीवरे नीरजाक्षि श्रीपद्मनाभदयिते सुरसेव्यमाने । श्रीपद्मयुग्मधृतनीरजहस्तयुग्मे श्रीलक्ष्मि भक्तवरदे तव सुप्रभातम् ॥ २३॥ इत्थं त्वदीयकरुणात्कृतसुप्रभातं ये मानवाः प्रतिदिनं प्रपठन्ति भक्त्या । तेषां प्रसन्नहृदये कुरु मङ्गलानि श्रीलक्ष्मि भक्तवरदे तव सुप्रभातम् ॥ २४॥ जलधीशसुते जलजाक्षवृते जलजोद्भवसन्नुते दिव्यमते । जलजान्तरनित्यनिवासरते शरणं शरणं वरलक्ष्मि नमः ॥ २५॥ प्रणताखिलदेवपदाब्जयुगे भुवनाखिलपोषण श्रीविभवे । नवपङ्कजहारविराजगले शरणं शरणं गजलक्ष्मि नमः ॥ २६॥ घनभीकरकष्टविनाशकरि निजभक्तदरिद्रप्रणाशकरि । ऋणमोचनि पावनि सौख्यकरि शरणं शरणं धनलक्ष्मि नमः ॥ २७॥ अतिभीकरक्षामविनाशकरि जगदेकशुभङ्करि धान्यप्रदे । सुखदायिनि श्रीफलदानकरि शरणं शरणं शुभलक्ष्मि नमः ॥ २८॥ सुरसङ्घशुभङ्करि ज्ञानप्रदे मुनिसङ्घप्रियङ्करि मोक्षप्रदे । नरसङ्घजयङ्करि भाग्यप्रदे शरणं शरणं जयलक्ष्मि नमः ॥ २९॥ परिसेवितभक्तकुलोद्धरिणि परिभावितदासजनोद्धरिणि । मधुसूदनमोहिनि श्रीरमणि शरणं शरणं तव लक्ष्मि नमः ॥ २८॥ शुभदायिनि वैभवलक्ष्मि नमो वरदायिनि श्रीहरिलक्ष्मि नमः । सुखदायिनि मङ्गललक्ष्मि नमो शरणं शरणं सततं शरणं ॥ २९॥ वरलक्ष्मि नमो धनलक्ष्मि नमो जयलक्ष्मि नमो गजलक्ष्मि नमः । जय षोडशलक्ष्मि नमोऽस्तु नमो शरणं शरणं सततं शरणं ॥ ३०॥ नमो आदिलक्ष्मि नमो ज्ञानलक्ष्मि नमो धान्यलक्ष्मि नमो भाग्यलक्ष्मि । महालक्ष्मि सन्तानलक्ष्मि प्रसीद नमस्ते नमस्ते नमो शान्तलक्ष्मि ॥ ३०॥ नमो सिद्धिलक्ष्मि नमो मोक्षलक्ष्मि नमो योगलक्ष्मि नमो भोगलक्ष्मि । नमो धैर्यलक्ष्मि नमो वीरलक्ष्मि नमस्ते नमस्ते नमो शान्तलक्ष्मि ॥ ३१॥ अज्ञानिना मया दोषानशेषान्विहितान् रमे । क्षमस्व त्वं क्षमस्व त्वं अष्टलक्ष्मि नमोऽस्तुते ॥ ३२॥ देवि विष्णुविलासिनि शुभकरि दीनार्तिविच्छेदिनि सर्वैश्वर्यप्रदायिनि सुखकरि दारिद्र्यविध्वंसिनि । नानाभूषितभूषणाङ्गि जननि क्षीराब्धिकन्यामणि देवि भक्तसुपोषिणि वरप्रदे लक्ष्मि सदा पाहि नः ॥ ३३॥ माम् सद्यःप्रफुल्लसरसीरुहपत्रनेत्रे हारिद्रलेपितसुकोमलश्रीकपोले । पूर्णेन्दुबिम्बवदने कमलान्तरस्थे लक्ष्मि त्वदीयचरणौ शरणं प्रपद्ये ॥ ३४॥ भक्तान्तरङ्गगतभावविधे नमस्ते रक्ताम्बुजातनिलये स्वजनानुरक्ते । मुक्तावलीसहितभूषणभूषिताङ्गि लक्ष्मि त्वदीयचरणौ शरणं प्रपद्ये ॥ ३५॥ क्षामादितापहारिणि नवधान्यरूपे अज्ञानघोरतिमिरापहज्ञानरूपे । दारिद्र्यदुःखपरिमर्दितभाग्यरूपे लक्ष्मि त्वदीयचरणौ शरणं प्रपद्ये ॥ ३६॥ चम्पालताभदरहासविराजवक्त्रे बिम्बाधरेषु कपिकाञ्चितमञ्जुवाणि । श्रीस्वर्णकुम्भपरिशोभितदिव्यहस्ते लक्ष्मि त्वत्वदीयचरणौ शरणं प्रपद्ये ॥ ३७॥ स्वर्गापवर्गपदविप्रदे सौम्यभावे सर्वागमादिविनुते शुभलक्षणाङ्गि । नित्यार्चिताङ्घ्रियुगले महिमाचरित्रे लक्ष्मि त्वत्वदीयचरणौ शरणं प्रपद्ये ॥ ३८॥ जाज्ज्वल्यकुण्डलविराजितकर्णयुग्मे सौवर्णकङ्कणसुशोभितहस्तपद्मे । मञ्जीरशिञ्जितसुकोमलपावनाङ्घ्रे लक्ष्मि त्वत्वदीयचरणौ शरणं प्रपद्ये ॥ ३९॥ सर्वापराधशमनि सकलार्थदात्रि पर्वेन्दुसोदरि सुपर्वगणाभिरक्षिन् । दुर्वारशोकमयभक्तगणावनेष्टे लक्ष्मि त्वदीयचरणौ शरणं प्रपद्ये ॥ ४०॥ बीजाक्षरत्रयविराजितमन्त्रयुक्ते आद्यन्तवर्णमयशोभितशब्दरूपे । ब्रह्माण्डभाण्डजननि कमलायताक्षि लक्ष्मि त्वदीयचरणौ शरणं प्रपद्ये ॥ ४१॥ श्रीदेवि बिल्वनिलये जय विश्वमातः var वसुदायिनि आह्लाददात्रि धनधान्यसुखप्रदात्रि । श्रीवैष्णवि द्रविणरूपिणि दीर्घवेणि लक्ष्मि त्वदीयचरणौ शरणं प्रपद्ये ॥ ४२॥ आगच्छ तिष्ठ तव भक्तगणस्य गेहे सन्तुष्टपूर्णहृदयेन सुखानि देहि । आरोग्यभाग्यमकलङ्कयशांसि देहि लक्ष्मि त्वदीयचरणौ शरणं प्रपद्ये ॥ ४३॥ श्रीआदिलक्ष्मि शरणं शरणं प्रपद्ये श्रीअष्टलक्ष्मि शरणं शरणं प्रपद्ये । श्रीविष्णुपत्नि शरणं शरणं प्रपद्ये लक्ष्मि त्वदीयचरणौ शरणं प्रपद्ये ॥ ४४॥ मङ्गलं करुणापूर्णे मङ्गलं भाग्यदायिनि । मङ्गलं श्रीमहालक्ष्मि मङ्गलं शुभमङ्गलम् ॥ ४५॥ अष्टकष्टहरे देवि अष्टभाग्यविवर्धिनि । मङ्गलं श्रीमहालक्ष्मि मङ्गलं शुभमङ्गलम् ॥ ४६॥ क्षीरोदधिसमुद्भूते विष्णुवक्षस्थलालये । मङ्गलं श्रीमहालक्ष्मि मङ्गलं शुभमङ्गलम् ॥ ४७॥ धनलक्ष्मि धान्यलक्ष्मि विद्यालक्ष्मि यशस्करि । मङ्गलं श्रीमहालक्ष्मि मङ्गलं शुभमङ्गलम् ॥ ४८॥ सिद्धलक्ष्मि मोक्षलक्ष्मि जयलक्ष्मि शुभङ्करि । मङ्गलं श्रीमहालक्ष्मि मङ्गलं शुभमङ्गलम् ॥ ४९॥ सन्तानलक्ष्मि श्रीलक्ष्मि गजलक्ष्मि हरिप्रिये । मङ्गलं श्रीमहालक्ष्मि मङ्गलं शुभमङ्गलम् ॥ ५०॥ दारिद्र्यनाशिनि देवि कोल्हापुरनिवासिनि । मङ्गलं श्रीमहालक्ष्मि मङ्गलं शुभमङ्गलम् ॥ ५१॥ वरलक्ष्मि धैर्यलक्ष्मि श्रीषोडशभाग्यङ्करि । मङ्गलं श्रीमहालक्ष्मि मङ्गलं शुभमङ्गलम् ॥ ५२॥ मङ्गलं मङ्गलं नित्यं मङ्गलं जयमङ्गलं । मङ्गलं श्रीमहालक्ष्मि मङ्गलं शुभमङ्गलम् ॥ ५३।। किसी भी प्रकार के ज्योतिषीय संबंधित समाधान हेतू। वास्तु अगर घर के किसी भी कोण में दोष है अर्थात दसों दिशाएं दूषित हे या किसी दो दिशाओं का दोष हे जो युवा पीढ़ी को नशे में धकेल देती है काम धंधे में मन नहीं लगता है मुखिया सट्टा करने लगता है या गलत आचरण में आ जाता है तो जटा मानसी और रक्त गुंजा का मिश्रण वास्तु मंत्रों से अभिमंत्रित करके घर के दरवाजे पर रखवा दे समाधान होगा।
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