
कविता का संगम
✒️📖
May 14, 2025 at 07:12 AM
मैं वृंदा की गलियों सी, तू बरसाने के घाट सा....
तेरे बिना है अधूरा, जैसे राधा बिना कृष्ण का साथ सा...
तेरे संग जब गुज़ारूँ, वो वक़्त है कुछ खास सा...
तेरे साथ चलूँ मैं जैसे गोपी संग बाजे बाँसुरी का साज़ सा..! ❣️
~ आयुष 🧿