कविता का संगम ✒️📖
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About कविता का संगम ✒️📖
कविता से संबंधित नाम 1. कविता की दुनिया 2. शब्दों का जादू 3. कविता का संगम 4. रचना की धारा 5. कविता की कहानीकविता के विषय से संबंधित नाम 1. प्रेम की कविता 2. जीवन की राहें 3. सपनों की उड़ान 4. आत्मा की आवाज़ 5. प्रकृति की कविताकविता के शैली से संबंधित नाम 1. हास्य कविता 2. गीत कविता 3. नाटकीय कविता 4. आत्मकथात्मक कविता 5. प्रतीकात्मक कविता
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                                प्रकृति (उमा) माया, और महेश्वर (शिव) माया (निर्माता) यह सारा जगत् उनके अंगों (रूपों) से भरा हुआ है ।।
                                
                                    
                                चाँद सितारे फूल परिंदे, शाम सवेरा एक तरफ... तेरा हँसना, तेरी बाते, तेरा चेहरा एक तरफ... ख्वाबो में तेरे गुम रहना, ख्वाबो में मिलना एक तरफ... देख तुझे अंदेखा करना, छोड़ो ये तो एक तरफ... मन में सब कुछ कह जाना, तेरे आगे चुप रहना एक तरफ... तुझसे मिले हर पल को जीना, और तुझमें खो जाना एक तरफ... तेरी हँसी का हर इक पल, दिल में बसेरा एक तरफ... ज़िक्र तेरा हर शब्दों में, तेरा बेखबर होना एक तरफ....!!❣️ ~ आयुष 🧿
                                    
                                गुज़ार दिए होंगे तुमने, कई दिन, महीने, साल.. जो काट ना सकोगे वो एक रात हूँ मै। की होगी गुफ्तगू, तुमने कई दफा कई लोगों से, दिल पर जो लगेगी वो एक बात हूँ मै। भीड़ में जब तन्हा, खुदको तुम पाओगे, अपनेपन का एहसास जो करा दे, वो एक साथ हूँ मैं। बिताये होंगे तुमने कई हसीन पल सबके साथ में, जो भुला नहीं पाओगे, वो एक याद हूँ मै। Poetry threads ✨🫶
                                    
                                "आँखें बंद करके भरोसा कर सकूं, एक ऐसा परम मित्र चाहिये! जो ख़ामोशी में भी मेरी बातें समझ ले, जिसके होने से ही जीवन आसान लगे! जो ग़लत होते हुए भी साथ न छोडे, जो सही राह पर चुपके से मोड़ दे! जो मेरी हर कमजोरी को ढाल बना ले, और हर दर्द को मुस्कान में बदल दे !! "❤️💫💞🫂
                                    
                                चौपाई आकर चारि लाख चौरासी। जाति जीव जल थल नभ बासी॥ सीय राममय सब जग जानी। करउँ प्रनाम जोरि जुग पानी॥ भावार्थ- चौरासी लाख योनियों में चार प्रकार के (स्वेदज, अण्डज, उद्भिज्ज, जरायुज) जीव जल, पृथ्वी और आकाश में रहते हैं, उन सबसे भरे हुए इस सारे जगत् को श्री सीताराममय जानकर मैं दोनों हाथ जोड़कर प्रणाम करता हूँ॥
                                
                                    
                                मैं वृंदा की गलियों सी, तू बरसाने के घाट सा.... तेरे बिना है अधूरा, जैसे राधा बिना कृष्ण का साथ सा... तेरे संग जब गुज़ारूँ, वो वक़्त है कुछ खास सा... तेरे साथ चलूँ मैं जैसे गोपी संग बाजे बाँसुरी का साज़ सा..! ❣️ ~ आयुष 🧿