कविता का संगम
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कविता का संगम ✒️📖
May 15, 2025 at 03:57 AM
प्रकृति (उमा) माया, और महेश्वर (शिव) माया (निर्माता) यह सारा जगत् उनके अंगों (रूपों) से भरा हुआ है ।।
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