कविता का संगम
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कविता का संगम ✒️📖
May 19, 2025 at 04:53 AM
"जिंदगी की यह शांति एक धोखा है, अंदर तो तूफान सा उठता है हर पल। हम मुस्कराते हैं ताकि दुख न दिखे, चलते हैं ताकि रुकने का दर न लगे। हर दिन एक बोझ है, खुशी नहीं मिलती, अपनों की आवाज़ सुनने को तरसते हैं। एक खालीपन है जो बढ़ता जा रहा है, और हम उसमें खुद को ढूंढने को भटकते हैं। ~ आयुष 🕊️

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