
All India Congress Seva Dal
May 14, 2025 at 08:34 AM
एक पहाड़ की ऊंची चोटी पर एक बाज रहता था। पहाड़ की तराई में बरगद के पेड़ पर एक कौआ अपना घोंसला बना कर रहता था। वह बड़ा चालाक और धूर्त था। उसकी कोशिश सदा यही रहती थी कि उसे बिना मेहनत किए खाने को मिल जाए।
बरगद पेड़ के आस – पास खोह मे खरगोश रहते थे और पास ही कहीं एक बाज अपने परिवार के साथ रहता था।
जब भी खरगोश बाहर आते तो बाज ऊंची उड़ान भरता और एकाध खरगोश को उठाकर ले जाता। कौवा दूर से ये सब खेल देखता रहता था।
एक दिन कौए ने सोचा, ‘वैसे तो ये चालाक खरगोश मेरे हाथ आएंगे नही, अगर इनका नर्म मांस खाना है तो मुझे भी बाज की नक़ल करना होगा। आस्मां में ऊपर जाऊंगा और फिर बाज की तरह ज़मीन पर गोता लगाऊंगा और एकाएक झपट्टा मारकर खरगोश को पकड़ लूंगा’।
दूसरे दिन कौए ने भी एक खरगोश को दबोचने की बात सोचकर ऊंची उड़ान भरी।
फिर उसने खरगोश को पकड़ने के लिए बाज की तरह जोर से झपट्टा मारा।
अब भला कौआ बाज का क्या मुकाबला करता।
खरगोश ने उसे देख लिया और वह झट से वहां से भागकर एक चट्टान के पीछे छिप गया।
कौआ अपनी ही झोंक मे उस चट्टान से जा टकराया।
नतीजा, उसकी चोंच और गरदन टूट गईं और उसने तड़पकर दम तोड़ दिया।
शिक्षा – नकल करने के लिए भी अकल के साथ तज़ुर्बे और मज़बूत इरादों की ज़रूरत होती है।
फ़क़त दूर से तमाशा देखने से कोई हुनरमंद नहीं होता।
आयरन लेडी बनने की सोचने से पहले स्वनामधारी विश्वगुरु का सायरन बजाना छोडो और सीखो की इंदिरा जी न कैसे डील किया था।
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