
मोहब्बत शायरी
May 14, 2025 at 04:25 AM
खुल के बातें करें किसी को सुनाएँ सब
आखिर कोई तो हो जिसे बताएँ सब
रात फिर कश्मकश में गुज़री है
थोड़ा सा किसी को बतला दें या छुपाएँ सब
कुछ तो अपने लिए भी रखना है
अपना ये ज़ख़्म औरों को क्यूँ दिखाएँ हम
ले चलूँ आओ तुम को मंज़िल तक
मुझ से कहती हैं ये दिशाएँ सब
मेरा काम भी लोगों के दिल को भा जाता
काश मुझे भी चमचागिरी करना आ जाता ।।
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