
मोहब्बत शायरी
May 27, 2025 at 04:48 AM
क्या कह गई किसी की नज़र कुछ न पूछिए
क्या कुछ हुआ है दिल पे असर कुछ न पूछिए
वो देखना किसी का कनखियों से बार बार
वो बार बार उस का असर कुछ न पूछिए
रो रो के किस तरह से कटी रात क्या कहें
मर मर के कैसे की है सब्र कुछ न पूछिए
'प्रेम' उसकी नजरों की इश्क में पहुँचे हैं मर के हम
क्यूँ, क्या और कैसे हुआ है तय ये सफ़र कुछ न पूछिए।।
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