मोहब्बत शायरी
मोहब्बत शायरी
June 8, 2025 at 12:06 PM
मुझ पे हैं सैकड़ों इल्ज़ाम मिरे साथ न चल तू भी हो जाएगा बदनाम मिरे साथ न चल तू नई सुबह के सूरज की है उजली सी किरन मैं हूँ इक धूल भरी शाम मिरे साथ न चल अपनी ख़ुशियाँ मिरे आलाम से मंसूब न कर मुझ से मत माँग मिरा नाम मिरे साथ न चल।। 💔😔🙏🏻

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