अखण्ड सनातन समिति🚩🇮🇳
अखण्ड सनातन समिति🚩🇮🇳
June 6, 2025 at 08:12 AM
*"अखिल विश्व अखण्ड सनातन सेवा फाउंडेशन"*(पंजीकृत) *द्वारा संचालित* *अखण्ड सनातन समिति🚩🇮🇳* *क्रमांक~ ०९* *_ब्रह्मोस के बाद अब भारत का अगला वार, इस देसी गोले से दुनिया को चौंकाने की तैयारी; पापा-पापा करेगा पाकिस्तान!_* https://bharat24live.com/news/brahmos-india-next-attack-pakistan#google_vignette *ऑपरेशन सिंदूर के बाद ब्रह्मोस मिसाइल के आतंक से पाकिस्तान भलीभांती अवगत है. इस बीच डीआरडीओ ने 155 मिमी तोपखाने के गोले विकसित किए हैं, जो आत्मनिर्भर भारत की दिशा में एक बड़ा कदम है.* *भारत फोर्ज की सहायक कंपनी KSSL ने अमेरिकी कंपनी एएम जनरल मोटर्स के साथ भारत में बनी तोपों की आपूर्ति के लिए समझौता किया.* *अमेरिका की एएम जनरल मोटर्स और भारत की केएसएसएल के बीच समझौता.* *भारत में निर्मित उन्नत तोपों की आपूर्ति अमेरिका को की जाएगी.* *यह पहली बार है जब किसी भारतीय कंपनी ने अमेरिका को तोपों की आपूर्ति के लिए समझौता किया है.* *केएसएसएल के 155 मिमी आर्टिलरी गोले की कीमत लगभग 300-400 डॉलर प्रति यूनिट है। यह यूरोपीय समकक्षों की लागत से काफी कम है, जो प्रति गोले 3,000 डॉलर से अधिक हो सकती है.* *अमेरिका 155 मिमी एम795 उच्च विस्फोटक गोले भी खरीद रहा है, जिसकी कीमत लगभग 3,000 डॉलर है.* *फिलिपींस को ब्रह्मोस मिसाइल बेचने के बाद अब अमेरिकी कंपनी के साथ हुआ यह करार डिफेंस मैन्‍यूफेक्‍चरिंग में भारत की बढती ताकत का परिचायक है.* *ऑपरेशन सिंदूर के दौरान पाकिस्तान और पूरी दुनिया ने ब्रह्मोस मिसाइल की मारक क्षमता को देख लिया है.* *■ ब्रह्मोस मिसाइल ने चंद मिनटों के भीतर पाकिस्तान को ऐसा घाव दिया कि वह दुनिया के मंच पर नाच-नाचकर उसकी नुमाइश कर रहा है और कह रहा है कि भारत ने बड़ा गंभीर वार किया है. इस कारण दुनिया में ब्रह्मोस की मांग भी बढ़ गई है.* *■ इस बीच भारत अपने एक और देसी हथियार से धमाका करने की तैयारी में है. यह देसी हथियार है 155 तोपखाने का गोला. डीआरडीओ ने इस गोले का निर्माण किया है. यह देश को स्वदेशी हथियार के क्षेत्र आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में एक बड़ा कदम है.* *■ इस गोले को डीआरडीओ ने डिजाइन और विकसित किया है. डीआरडीओ ने पिछले दो वर्षों में 155 मिमी के तोपखाने के गोला-बारूद के चार वेरिएंट्स का सफलतापूर्वक परीक्षण किया है. इससे भारतीय सेना की आवश्यकताओं को पूरा करने और उसे और मजबूत बनाने में मदद मिलेगी.* *■ इन वेरिएंट्स में हाई एक्सप्लोसिव (HE) राउंड्स, स्मोक राउंड्स और ड्यूल पर्पस इम्प्रूव्ड कन्वेंशनल म्युनिशन (DPICM) राउंड्स शामिल हैं जो बड़े क्षेत्र को लक्षित करने के लिए उपयोग किए जाते हैं.* *■ सेना पहले से ही इस प्रोजेक्ट में सक्रिय रूप से शामिल है. यह बेहतरी गोला है, जो कई मायनों में इंटरनेशनल स्टैंडर्ड से भी आगे है. दुनिया में 155 एमएम के तोप सबसे ताकतवर माने जाते हैं. इसके एक गोले का वजन करीब 45 किलो होता है और इसे 24 से 32 किमी दूर तक दागा जा सकता है.* *■ एक गोले की लंबाई करीब दो फीट होती है. इन गोलों का इस्तेमाल भारी से भारी तोपो में किया जाता है. इंटरनेशनल मानक के अनुसार इसे बनाना एक बहुत जटिल काम है. लेकिन, डीआरडीओ के वैज्ञानिकों ने इसमें बड़ी सफलता हासिल की है.* *■ भारत में तोपखाने के लिए गोला-बारूद की मांग बहुत अधिक है और वैश्विक स्तर पर भी इसकी जरूरत बढ़ रही है. अनुमान है कि अगले दशक में भारत की मांग लगभग 10,000 करोड़ रुपये की होगी, जबकि निर्यात इससे कई गुना अधिक हो सकता है.* *यह प्रोजेक्ट न केवल भारत की रक्षा क्षमता को मजबूत करेगा बल्कि मेक इन इंडिया और आत्मनिर्भर भारत पहल को भी बढ़ावा देगा. स्वदेशी गोला-बारूद का विकास रूस-यूक्रेन जैसे संघर्षों के कारण वैश्विक आपूर्ति श्रृंखला में आई बाधाओं को देखते हुए और भी महत्वपूर्ण हो गया है.* 🕉️🌞🔥🔱🐚🔔🌷

Comments