
अखण्ड सनातन समिति🚩🇮🇳
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*"अखिल विश्व अखण्ड सनातन सेवा फाउंडेशन"*(पंजीकृत) *द्वारा संचालित* *अखण्ड सनातन समिति🚩🇮🇳* *अखण्ड सनातन समिति🚩🇮🇳 का उद्देश्य :* सम्पूर्ण भारत वर्ष में निवास करने वाले सनातनियों (हिंदूओं) को एकता के सूत्र में बाँधकर उनमें आपसी सहयोग और स्नेह पूर्ण संबंधों को बल प्रदान करना एवं देश के समस्त सनातनी (हिंदू) भाईयों का एक दूसरे से परिचय कराना है।✊🏻🚩 साथ ही अपने आत्मीय स्वजनों को धार्मिक, सामाजिक और राजनैतिक रूप से जागरूक करते हुए उन्हें अपने धर्म व राष्ट्र विरोधियों के षड्यंत्र से परिचित कराते हुए अपने भारत वर्ष के स्वर्णिम इतिहास एवं संस्कृति के महत्व को पुनः स्थापित करना है___✍🏻 *जय श्रीराम🙏🏻🙏🏻* 🕉️🌞🔥🔱🐚🔔🌷
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*क्रमांक ~ ११* *सभी हिंदू भाई इस व्हाट्सएप चैनल से अवश्य जुड़े और इसमें आने वाली पोस्ट सामग्री को अधिक से अधिक whatsapp समूहों में भेजकर जन जागरूकता अभियान में अपना योगदान दे…* *चैनल लिंक:-* https://whatsapp.com/channel/0029VabpElaD8SDtXA9OmH34 *"अखिल विश्व अखण्ड सनातन सेवा फाउंडेशन"*(पंजीकृत) *द्वारा संचालित* *अखण्ड सनातन समिति🚩🇮🇳* *अखण्ड सनातन समिति🚩🇮🇳 का उद्देश्य:-* सम्पूर्ण भारत वर्ष में निवास करने वाले सनातनियो (हिंदूओ) को एकता के सूत्र में बाँधकर उनमें आपसी सहयोग और स्नेह पूर्ण संबंधों को बल प्रदान करना एवं देश के समस्त सनातनी (हिन्दू) भाइयों का एक दूसरे से परिचय कराना है..✊🏻💪🏻🚩_ साथ ही अपने आत्मीय स्वजनों को धार्मिक, सामाजिक एवम राजनेतिक रूप से जागरूक करते हुए उन्हें अपने धर्म एवम् राष्ट्र विरोधियो के षडयंत्र से परिचित कराते हुए अपने भारत वर्ष के स्वर्णिम इतिहास एवम् संस्कृति के महत्व को पुनः स्थापित करना है....✍🏻 *जय श्रीराम🙏🏻🙏🏻* 🕉️🌞🔥🔱🐚🔔🌷

*"अखिल विश्व अखण्ड सनातन सेवा फाउंडेशन"*(पंजीकृत) *द्वारा संचालित* *अखण्ड सनातन समिति🚩🇮🇳* *क्रमांक~ ०१* *🌞~ आज का हिन्दू पंचांग ~🌞* *⛅दिनांक - 07 जून 2025* *⛅दिन - शनिवार* *⛅विक्रम संवत् - 2082* *⛅अयन - उत्तरायण* *⛅ऋतु - ग्रीष्म* *⛅मास - ज्येष्ठ* *⛅पक्ष - शुक्ल* *⛅तिथि - द्वादशी पूर्ण रात्रि तक* *⛅नक्षत्र - चित्रा सुबह 09:40 तक तत्पश्चात् स्वाती* *⛅योग - वरीयान सुबह 11:18 तक तत्पश्चात् परिघ* *⛅राहुकाल - सुबह 09:16 से सुबह 10:57 तक (अहमदाबाद मानक समयानुसार)* *⛅सूर्योदय - 05:53* *⛅सूर्यास्त - 07:24 (सूर्योदय एवं सूर्यास्त अहमदाबाद मानक समयानुसार)* *⛅दिशा शूल - पूर्व दिशा में* *⛅ब्रह्ममुहूर्त - प्रातः 04:29 से प्रातः 05:11 तक (अहमदाबाद मानक समयानुसार)* *⛅अभिजीत मुहूर्त - दोपहर 12:11 दोपहर 01:06* *⛅निशिता मुहूर्त - रात्रि 12:18 जून 08 से रात्रि 01:00 जून 08 तक (अहमदाबाद मानक समयानुसार)* *⛅व्रत पर्व विवरण - वैष्णव निर्जला एकादशी, रामलक्ष्मण द्वादशी, सर्वार्थसिद्धि योग (प्रातः 9:40 से प्रातः 05:53 जून 08 तक)* *⛅विशेष - द्वादशी को पुतिका (पोई) खाने से पुत्र का नाश होता है। (ब्रह्मवैवर्त पुराण, ब्रह्म खंड: 27.29-34)* https://photos.app.goo.gl/fEX7bsZsiP6qE1m29 यह पंचांग केवल आप सभी की जानकारी के लिए दिया गया है। यहां पर सूर्योदय और सूर्यास्त का जो समय दिया गया है वह *अहमदाबाद शहर* मानक समयानुसार का है। *किसी भी तरह के संशय से बचने के लिए और अपने शहर के सही समय के लिए आप अपने शहर के ज्योतिषी से अवश्य संपर्क करें।* *आपका दिन शुभ एवं मंगलमय हो🤗* 🕉️🌞🔥🔱🐚🔔🌷

*"अखिल विश्व अखण्ड सनातन सेवा फाउंडेशन"*(पंजीकृत) *द्वारा संचालित* *अखण्ड सनातन समिति🚩🇮🇳* *क्रमांक~ १२* https://photos.app.goo.gl/6pe3ZYNV7GqqDHtH6 साभार......… *हमारे बुद्धिजीवी अक्सर देश में मजहबी समस्या के बारे में काफी चिंतित दिखाई देते हैं—* *तो* अगर वाकई हमें मजहबी चिंता है तो हमें कुछ बेसिक बातें समझनी होगी तभी हम इस समस्या को बेहतर ढंग से सुलझा पाएंगे। देखा जाए तो *हमारे सनातन धर्म* और *अरबी मजहब में कुछ बेसिक अंतर है* जहाँ हम सभ्य और सुसंस्कृत हैं वहीं मजहब जाहिलाना सोच से परिपूर्ण है। हम नारियों के सम्मान पर और प्रकृति पूजन पर जोर देते हैं *दान-पुण्य पर विश्वास करते हैं* जीव-हत्या से परहेज करते हैं। वहीं वे गैर-महजब तो छोड़ो अपनी माँ-बहनों को भी खेती मानते है *प्रकृति का विघटन करते है* और जीव हत्या को सबसे बड़ा मजहबी कार्य मानते है। और तो और *जहाँ दुनिया इस गर्मी में कम और हल्के कपड़े पहनते हैं* वहीं उनकी महिलाएँ इस भीषण गर्मी में भी *काले तंबू के लबादे में ढंकी रहती है* ऊपर से तीन निकाह, हलाला, मुताह आदि तो है ही। *मतलब कि हमारी और उनकी कोई तुलना ही नहीं है* लेकिन फिर भी… *लव जिहाद* और *धर्म परिवर्तन से हम परेशान हैं वो नहीं* बल्कि तरीके से इसका बिल्कुल उल्टा होना चाहिए था। *क्या आपने कभी सोचा है कि आखिर ये उल्टी गंगा बह क्यों बह रही है???* असल में इसका मुख्य कारण है हमारी अज्ञानता, अपने धर्म के प्रति उदासीनता और दूसरों को अपने से बेहतर मानने की प्रवृति। *तो* इसमें समस्या ये आती है कि अपने लोग अपने धर्म की महानता नहीं जानते है *या फिर हम अपने लोगों को अपना धर्म नहीं समझा पाते हैं* इसीलिए सामने वाला उन्हें अपना अधर्म समझा जाता है। जिससे हमारे लिए लव जिहाद और धर्म परिवर्तन जैसी समस्याएं आने लगती है। और हम हिंदुओं में ये समस्या सिर्फ धार्मिक तौर पर ही नहीं है बल्कि सामाजिक और राजनीतिक तौर भी है। उसी समस्या के कारण *लोग हिंदू होते हुए भी अपने ही* करवा चौथ, छठ पूजा, वट सावित्री पूजा, रक्षाबंधन *जैसे त्योहारों का मिम्स बनाते हैं* और दूसरे हिंदू उस पर ठहाके लगाते हैं। *और सिर्फ त्योहारों तक ही सीमित नहीं है* ये हम सब जानते हैं कि अपने देश में संसदीय प्रणाली है और देश कानून से चलता है। इसका मतलब हुआ कि देश वैसे ही चलेगा *जैसा देश की संसद चाहेगी* अथवा जैसी कानून बनाएगी। *तो* यदि हमें देश को अपने हिसाब से चलाना है तो फिर सत्ता अपने हाथ में चाहिए। ये समझने के लिए किसी का वैज्ञानिक होना जरूरी नहीं है बल्कि इतनी आसान सी बात को कोई बच्चा भी समझ भी समझ सकता है *लेकिन हम करते क्या हैं???* हम अपने ही त्योहार, अपनी ही पार्टी की हंसी उड़ाते हैं और उसके विरुद्ध कैम्पेनिंग करते हैं। *और* मजे की बात है कि ऐसा करने वालों को कोई विधर्मी नहीं बल्कि अपने ही लोग समर्थन करते है। *लेकिन* कोई ये समझने के लिए तैयार नहीं है कि हम हिंदू सिर्फ राजनीतिक तौर पर ऐसा नहीं करते हैं *बल्कि धार्मिक रूप से भी इसी समस्या से ग्रसित हैं* अज्ञानता, उदासीनता और दूसरों को अपने से श्रेष्ठ मानने की प्रवृति। लेकिन *यकीन मानें कि* जिस तरह धर्म के मामले में सर्वश्रेष्ठ होने के बावजूद भी हम आज लव जिहाद और धर्म परिवर्तन जैसी समस्याओं से जूझ रहे हैं *ठीक उसी तरह* राजनीतिक मामले में भी अज्ञानता, (घटनाक्रम के बारे में आधी-अधूरी जानकारी होना) उदासीनता (ज्यादा मतलब नहीं रखना) और दूसरों को अपने से श्रेष्ठ मानने की प्रवृति *(खान्ग्रेस*, *सपा*, *राजद*, *टीएमसी आदि को कार्यकर्ता मामले में बेहतर मानने की प्रवृति)* के कारण बहुत ही जल्द हम राजनीतिक मामलों में भी उसी लव जिहाद और धर्म परिवर्तन (सत्ता परिवर्तन) की समस्या झेलेंगे। और ये बताने की आवश्यकता नहीं है कि जिसकी लाठी उसकी भैंस होती है *अर्थात* जिसकी सत्ता होती है देश उन्हीं की विचारधारा के अनुसार चलता है। अंत में चलते-चलते ये बता दूँ कि मुगलिया हमले के समय भी अपने राजाओं से असन्तुष्ट होकर अथवा निजी स्वार्थ से वशीभूत होकर किले के अंदर से ही दुश्मनों के लिए दरवाजा खोलने की ये प्रथा काफी पुरानी है जो कि आज भी बदस्तूर जारी है। अंतर सिर्फ ये है कि उस समय राजा से असन्तुष्ट होकर अथवा निजी स्वार्थ से वशीभूत होकर मुगलिया सेना के लिए किले के दरवाजे खोले जाते थे। और आज अपने राजा से असन्तुष्ट होकर अथवा निजी स्वार्थ से वशीभूत होकर मुगलों के सरपरस्तों के लिए किले अर्थात संसद के दरवाजे खोलने का प्रयास जारी है। *जय महाकाल* सभी को राम राम रहेगी🙏🏻🙏🏻 अवधेश प्रताप सिंह कानपुर उत्तर प्रदेश *मोबाईल – 9451221253 : साभार* 🕉️ 🌞🔥🔱🐚🔔🌷

*"अखिल विश्व अखण्ड सनातन सेवा फाउंडेशन"*(पंजीकृत) *द्वारा संचालित* *अखण्ड सनातन समिति🚩🇮🇳* *क्रमांक~ ०९* *_ब्रह्मोस के बाद अब भारत का अगला वार, इस देसी गोले से दुनिया को चौंकाने की तैयारी; पापा-पापा करेगा पाकिस्तान!_* https://bharat24live.com/news/brahmos-india-next-attack-pakistan#google_vignette *ऑपरेशन सिंदूर के बाद ब्रह्मोस मिसाइल के आतंक से पाकिस्तान भलीभांती अवगत है. इस बीच डीआरडीओ ने 155 मिमी तोपखाने के गोले विकसित किए हैं, जो आत्मनिर्भर भारत की दिशा में एक बड़ा कदम है.* *भारत फोर्ज की सहायक कंपनी KSSL ने अमेरिकी कंपनी एएम जनरल मोटर्स के साथ भारत में बनी तोपों की आपूर्ति के लिए समझौता किया.* *अमेरिका की एएम जनरल मोटर्स और भारत की केएसएसएल के बीच समझौता.* *भारत में निर्मित उन्नत तोपों की आपूर्ति अमेरिका को की जाएगी.* *यह पहली बार है जब किसी भारतीय कंपनी ने अमेरिका को तोपों की आपूर्ति के लिए समझौता किया है.* *केएसएसएल के 155 मिमी आर्टिलरी गोले की कीमत लगभग 300-400 डॉलर प्रति यूनिट है। यह यूरोपीय समकक्षों की लागत से काफी कम है, जो प्रति गोले 3,000 डॉलर से अधिक हो सकती है.* *अमेरिका 155 मिमी एम795 उच्च विस्फोटक गोले भी खरीद रहा है, जिसकी कीमत लगभग 3,000 डॉलर है.* *फिलिपींस को ब्रह्मोस मिसाइल बेचने के बाद अब अमेरिकी कंपनी के साथ हुआ यह करार डिफेंस मैन्यूफेक्चरिंग में भारत की बढती ताकत का परिचायक है.* *ऑपरेशन सिंदूर के दौरान पाकिस्तान और पूरी दुनिया ने ब्रह्मोस मिसाइल की मारक क्षमता को देख लिया है.* *■ ब्रह्मोस मिसाइल ने चंद मिनटों के भीतर पाकिस्तान को ऐसा घाव दिया कि वह दुनिया के मंच पर नाच-नाचकर उसकी नुमाइश कर रहा है और कह रहा है कि भारत ने बड़ा गंभीर वार किया है. इस कारण दुनिया में ब्रह्मोस की मांग भी बढ़ गई है.* *■ इस बीच भारत अपने एक और देसी हथियार से धमाका करने की तैयारी में है. यह देसी हथियार है 155 तोपखाने का गोला. डीआरडीओ ने इस गोले का निर्माण किया है. यह देश को स्वदेशी हथियार के क्षेत्र आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में एक बड़ा कदम है.* *■ इस गोले को डीआरडीओ ने डिजाइन और विकसित किया है. डीआरडीओ ने पिछले दो वर्षों में 155 मिमी के तोपखाने के गोला-बारूद के चार वेरिएंट्स का सफलतापूर्वक परीक्षण किया है. इससे भारतीय सेना की आवश्यकताओं को पूरा करने और उसे और मजबूत बनाने में मदद मिलेगी.* *■ इन वेरिएंट्स में हाई एक्सप्लोसिव (HE) राउंड्स, स्मोक राउंड्स और ड्यूल पर्पस इम्प्रूव्ड कन्वेंशनल म्युनिशन (DPICM) राउंड्स शामिल हैं जो बड़े क्षेत्र को लक्षित करने के लिए उपयोग किए जाते हैं.* *■ सेना पहले से ही इस प्रोजेक्ट में सक्रिय रूप से शामिल है. यह बेहतरी गोला है, जो कई मायनों में इंटरनेशनल स्टैंडर्ड से भी आगे है. दुनिया में 155 एमएम के तोप सबसे ताकतवर माने जाते हैं. इसके एक गोले का वजन करीब 45 किलो होता है और इसे 24 से 32 किमी दूर तक दागा जा सकता है.* *■ एक गोले की लंबाई करीब दो फीट होती है. इन गोलों का इस्तेमाल भारी से भारी तोपो में किया जाता है. इंटरनेशनल मानक के अनुसार इसे बनाना एक बहुत जटिल काम है. लेकिन, डीआरडीओ के वैज्ञानिकों ने इसमें बड़ी सफलता हासिल की है.* *■ भारत में तोपखाने के लिए गोला-बारूद की मांग बहुत अधिक है और वैश्विक स्तर पर भी इसकी जरूरत बढ़ रही है. अनुमान है कि अगले दशक में भारत की मांग लगभग 10,000 करोड़ रुपये की होगी, जबकि निर्यात इससे कई गुना अधिक हो सकता है.* *यह प्रोजेक्ट न केवल भारत की रक्षा क्षमता को मजबूत करेगा बल्कि मेक इन इंडिया और आत्मनिर्भर भारत पहल को भी बढ़ावा देगा. स्वदेशी गोला-बारूद का विकास रूस-यूक्रेन जैसे संघर्षों के कारण वैश्विक आपूर्ति श्रृंखला में आई बाधाओं को देखते हुए और भी महत्वपूर्ण हो गया है.* 🕉️🌞🔥🔱🐚🔔🌷

*"अखिल विश्व अखण्ड सनातन सेवा फाउंडेशन"*(पंजीकृत) *द्वारा संचालित* *अखण्ड सनातन समिति🚩🇮🇳* *क्रमांक~ १३* https://photos.app.goo.gl/QNEeDrFn3FJXtAfx6 🇮🇳🚩🇮🇳 *`6 जून 1674`* *_आज़ छत्रपति शिवाजी महाराज का राज्याभिषेक हुआ था।_* *छत्रपति शिवाजी महाराज ने केवल जनतंत्र की स्थापना की थी, जो सफल रही, बल्कि उनके 6 जून 1674 को आज से 350 वर्ष पूर्व हिंदू पद-पादशाही की स्थापना ने यह भी सिद्ध कर दिया कि उनके कौशल से सांस्कृतिक और सांस्कृतिक शक्ति के बल पर कोई भी संगठन खड़ा नहीं किया जा सकता।* *हमारे देश में राज्याभिषेक का गौरवशाली इतिहास कायम है। वैदिक युग से लेकर अब तक हमें इसके बहुत ही सुंदर विवरण मिलते हैं। प्राचीन काल में सभी प्रकार के यज्ञों में राजसूय यज्ञ प्रधान थे। उनके भी उद्हारण मिलते हैं, वे सभी यज्ञ राज्याभिषेक की ओर संकेत करते हैं। राजसूय यज्ञ में राजा को लेने होते थे और अग्नि को संकल्प लेने के लिए प्रजा को वचन भी देने होते थे। प्राचीन काल से ही हमें भी राज्य अभिषेक का उदहारण मिलता है,उनमें मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान श्रीराम का राज्य अभिषेक तो सिरमौर माना जाता है। श्रीराम का राज्याभिषेक 14 वर्ष के वनवास और रावणवध के बाद जिन रेनॉल्डा में हुआ, वह आज भी अत्यंत पूजा भाव से देखे गए हैं।* *इतिहास में वे ही राज्याभिषेक नामांकन हुए, जो किसी नायक के कठिनतम संघर्ष की अंतिम और सुखद परिणति के रूप में देखे गए। सम्राट अशोक, चंद्रगुप्त मौर्य और विक्रमादित्य के राज्याभिषेकों को भी भारतीय गणराज्यों के इतिहास में महत्वपूर्ण स्थान प्राप्त है। इन राज्य अभिषेकों ने केवल युग ही नहीं बदले, उनके मूल्यों को भी उन्नत शिखर तक पहुँचाया, जो बाद में राजघरानों में आदर्श के रूप में देखे गए। दुर्भाग्यवश विदेशी अक्रांताओं के धावा बोलने के बाद राज्यअभिषेकों की यह परंपरा पूरी तरह समाप्त हो गई।* *आज से 351 वर्ष पूर्व महाराजा छत्रपति शिवाजी का राज्याभिषेक भारतीय सांस्कृतिक इतिहास में एक अनमोल घटना के रूप में माना जाता है। छत्रपति शिवाजी महाराज के राज्याभिषेक ने भारत के जन-मन को बहुत प्रभावित किया। 351 वर्ष पूर्व छत्रपति शिवाजी महाराज का राज्य अभिषेक हमें वेदकालीन राज्य अभिषेक की याद दिलाता है। यह मुगल साम्राज्य में सल्तनत की ताजपोशी की तरह नहीं था।* *छत्रपति शिवाजी महाराज का राज्याभिषेक उस दौर में ऐसे महान सांस्कृतिक और राजनीतिक महोत्सव के रूप में देखा गया, जिसका उल्लास आज तक बना है। मुगलकाल में इस प्रकार के राज्य अलंकरण भरे हुए थे, क्योंकि अवसर ही कहाँ थे? शिवाजी ने जिस तरह स्वराज्य का संकल्प लेकर मुगलों से लोहा लिया, उसी संकल्प से राज्यारोहण भी किया। राज्य स्थापना से पहले शिवाजी के लोकतंत्र की रक्षा के लिए कांस्टीट्यूशन फ़्रांसीसी युद्ध चल रहा था, लेकिन वे कभी भी राजा द्वारा स्वीकार नहीं किए जा सके।* *शिवाजी का राज्याभिषेक शिवाजी की ही बनाई गई बड़ी महत्वकांक्षी योजना थी, ताकि वे पूरी ताकत के साथ बिना किसी विघ्न-बाधा के हिंदवी स्वराज्य का संकल्प पूरा कर सकें। मुगलकाल का सबसे विदरूप चेहरा तो औरंगजेब ही था, वही शिवाजी की ताकत पर आया था। दबी-कुली और राजनीतिक जनता का भरपूर साथ मिला। जनता के ही समर्थन से छह जून, 1674 को रायगढ़ दुर्ग में शिवाजी महाराज का राज्याभिषेक हुआ।* *छत्रपति शिवाजी महाराज के राज्याभिषेक को राज्यारोहण, हिंदू पद-पादशाही का स्थापना दिवस भी कहा गया और हिंदी स्वराज्य का श्रीगणेश भी। पश्चिम भारत में मराठा साम्राज्य की पुरातात्विक धरोहरों का यह महोत्सव अब केवल महाराष्ट्र में ही नहीं,संपूर्ण भारतवर्ष में मनाया जाता है। शिवाजी के राज्याभिषेक राष्ट्र द्वारा सिंह-गर्जना के उत्सव के रूप में मनाया जाता है।* *छत्रपति शिवाजी महाराज का राज्याभिषेक वेदकालीन राजसूय की तरह ही था, जो पंडित गैंग भट्ट के निर्देशक और मां जीजाबाई की उपस्थिति में हुए थे। राजसूय का दृश्य दिखने के बाद दिखाई दिया, इसलिए लोगों में इसे देखने का चाव भी बहुत था। राज्याभिषेक से पहले शिवाजी का यज्ञोपवीत संस्कार हुआ, तुलादान हुआ। वैदिक रीति के अनुसार शिवाजी को पंचामृत स्नान और शुद्धोदक स्नान कराया गया।* *बताया गया है कि जब वस्त्राभूषण धारण कर शिवाजी पैलेस में आये, तब वे मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीराम ही लग रहे थे। सारणी के अनुसार 50 हजार से भी अधिक लोग सम्मिलित थे, जिनमें संत, विद्वान, धर्माचार्य, सम्राट, राजदूत, सेना-नायक, गायक-नर्तक और आबाल वृद्ध थे। इस राज्य को बहुत महत्वपूर्ण महत्व देने का बड़ा कारण यह है कि इस दिन स्वतंत्र प्रभुसत्ता की स्थापना की गई थी। वह हमारे राम का राज्याभिषेक था। उन्होंने हिंदू राजवंशों के लिए राज्याभिषेक के बाद मीलों का पत्थर साबित किया। राज्य स्थापित करने के लिए शिवाजी महाराज ने जो पवित्र घोषित किया था, वे बहुत आगे तक के लिए दिशासूचक बनें। यहां 20वीं सदी की शुरुआत तक लोकमान्य बालगंगाधर तिलक ने जब स्वराज्य को जन्मसिद्ध अधिकार देने का उद्घोष किया तो छत्रपति शिवाजी महाराज की मंडली में ही शामिल थे।* *छत्रपति शिवाजी महाराज का युद्धशास्त्र और नीतिशास्त्र अपना था। शिवाजी के शास्त्र की नीति और उनकी राजनीति के सिंहासन से भारत स्वतंत्रता संग्राम की स्थापना हुई। उनके म्यान से भवानी तलवारें अंततः अधम थी, जब धर्म और नीति का आदेश हुआ था। संगठन में उनका दृढ़ विश्वास था। राज्याभिषेक के दिन जिन आठ प्रधानों को उन्होंने शपथ दिलाई, वे शिवाजी की राजनीतिक मान्यताओं के साकार रूप थे। राज्य की स्थापना के बाद दक्षिण में स्वराज्य की स्थापना के लिए शिवाजी का प्रस्थान और भारत के इतिहास में उनकी दक्षिण विजय को युग परिवर्तनकारी घटना माना जाता है। शिवाजी जैसे वीर थे, वैसे ही धर्मनिष्ठ भी थे।* *समर्थ गुरु रामदास से वे सदैव प्रेरणा लेते रहे। 'दासबोध' उनका कवच था। सनातन धर्म पर उनकी आस्था अटल थी, लेकिन वे धर्म-सहिष्णु भी कम नहीं थे। वे साम्प्रदायिकता से बहुत ऊपर उठे हुए सहृदय सम्राट की तरह थे। सर्वधर्म समभाव के जैसे उदाहरण शिवाजी के जीवन में मिलते हैं, वैसे अन्यत्र दुर्लभ हैं।* *साभार~* देवभूमि मीडिया डेस्क 🕉️🌞🔥🔱🐚🔔🌷

*"अखिल विश्व अखण्ड सनातन सेवा फाउंडेशन"*(पंजीकृत) *द्वारा संचालित* *अखण्ड सनातन समिति🚩🇮🇳* *क्रमांक~ ०३* https://photos.app.goo.gl/bm14bSBqytGnnsX97 🚩 *_चम्पक द्वादशी आज..._* *~~~~~~~~~~~~~~~* *ज्येष्ठ मास के शुक्ल पक्ष की द्वादशी तिथि को चंपक द्वादशी का पर्व मनाया जाता है।* इस वर्ष चम्पा द्वादशी 07 जून 2025 को मनाई जाएगी। इस तिथि में भगवन *श्री विष्णु का पूजन होता है और भगवान की चंपा के फूलों से पूजा होती है।* श्री कृष्ण को चंपा के फूल अति प्रिय हैं और इस दिन *उनका श्रृंगार करने से वो प्रसन्न होते हैं* और मनोवांछित फल प्राप्त होता है। *चम्पा द्वादशी के अन्य नाम* *=======================* हर महीने दो द्वादशी तिथि आती है। जिनमें से *एक द्वादशी को भगवान श्री विष्णु जी के पूजन से जोड़ा गया है।* द्वादशी तिथि को विष्णु द्वादशी के नाम से जाना जाता है। इस दिन शास्त्रों में भगवान विष्णु के *भिन्न-भिन्न रुपों की पूजा आराधना करने का महत्व बताया गया है।* इसलिए श्रद्धालुओं को इस दिन भगवान *श्री विष्णु के कृष्ण रुप की पूजा करने से सुख-संपत्ति, वैभव और एश्वर्य की प्राप्ति होती है।* चम्पा द्वादशी को राघव द्वादशी और रामलक्ष्मण द्वादशी के नाम से भी संबोधित किया गया है। *इस दिन विष्णु के अवतार श्रीराम और श्री लक्ष्मण की मूर्तियों का पूजन भी होता है।* राम और लक्ष्मण की पूजा करने के बाद एक घी से भरा हुआ घड़ा या कलश दान करने से सौभाग्य में वृद्धि होती है। *पाप समाप्त होते हैं, मोक्ष पद की प्राप्ति होती है।* उदया तिथि के साथ व्रत का प्रारंभ होता है। सर्वप्रथम ब्रह्ममुहूर्त में उठकर स्नान आदि से निवृत्त होकर *पूजा के लिए आसन पर बैठना चाहिए।* धरती पर कुछ अनाज रखकर उसके ऊपर *एक कलश की स्थापना करें।* कलश में पूजा के लिए एक भगवान विष्णुजी की प्रतिमा को डाल दें। *अबीर, गुलाल, कुमकुम, सुगंधित फूल, चंदन से भगवान की पूजा करें।* भगवान को खीर का भोग लगाना चाहिए। *ब्राह्मण भोजन का आयोजन करना चाहिए।* ब्राह्मणों वस्त्र, दक्षिणा आदि का दान करना चाहिए। मान्यता है कि *त्रयोदशी तिथि को प्रतिमा को किसी योग्य ब्राह्मण को दान कर करना उत्तम होता है।* *चंपक द्वादशी पूजा विधि* *=====================* चंपक द्वादशी तिथि के दिन भगवान *श्री कृष्ण का स्मरण करते हुए दिन का आरंभ करना चाहिए।* दैनिक क्रियाओं से निवृत होकर, पूजा का संकल्प करना चाहिए। *श्री कृष्ण का पूजन करना चाहिए।* भगवान श्री विष्णु के कृष्ण रुप की प्रतिमा स्थापित करनी चाहिए। *इस दिन श्री विष्णु के राम अवतार का भी पूजन करना चाहिए।* श्री रामदरबार को सजाना चाहिए। *चंदन, अक्षत, तुलसी दल व पुष्प को भगवान श्री विष्णु के कृष्ण नाम व श्री राम नाम को बोलते हुए भगवान को अर्पित करने चाहिए।* भगवान की प्रतिमा को पंचामृत से स्नान करवाना चाहिए। इसके पश्चात प्रतिमा को पोंछ कर सुन्दर वस्त्र पहनाने चाहिए। *भगवान को दीप, गंध , पुष्प अर्पित करना, धूप दिखानी चाहिए।* अगर चम्पा के फूल उपलब्ध ना हों तो पीले-सफेद फूलों का उपयोग कर सकते हैं। साथ ही चंदन को अर्पित करना चाहिए। *आरती करने के पश्चात भगवान को भोग लगाना चाहिए।* भगवान के भोग को प्रसाद रुप में को सभी में बांटना चाहिए। *सामर्थ्य अनुसार ब्राह्मणों को भोजन कराना चाहिए व दान-दक्षिणा इत्यादि भेंट करनी चाहिए।* चंपक द्वादशी व्रत में एकादशी से ही व्रत का आरंभ करना श्रेयस्कर होता है। *अगर संभव न हो सके तो द्वादशी को व्रत आरंभ करें।* पूरे दिन उपवास रखने के बाद रात को जागरण कीर्तन करना चाहिए। और दूसरे दिन स्नान करने के पश्चात *ब्राह्मणों को फल और भोजन करवा कर उन्हें अपनी क्षमता अनुसार दान देना चाहिए।* जो पूरे विधि-विधान से चम्पा द्वादशी का व्रत करता है। वह बैकुंठ को पाता है। *इस व्रत की महिमा से व्रती के सारे पाप नष्ट हो जाते हैं। और वह सभी सांसारिक सुखों को भोग कर पाता है।* *चंपा के फूलों का पूजा में महत्व* *=======================* चंपा द्वादशी के दिन भगवान श्री कृष्ण के पूजन में चम्पा फूलों का मुख्य रुप से उपयोग होता है. *एक अन्य मान्यता है कि चंपा के पुष्प का संबंध शिव भगवान से भी रहा है।* लेकिन ज्येष्ठ मास की द्वादशी के दिन श्री विष्णु पूजन में इन पुष्पों का उपयोग विशेष आराधना और *मनोकामनाओं की पूर्ति के लिए होता है।* चंपा के फूलों के विषय में एक पौराणिक मान्यता भी बहुत प्रचलित है जिसके अनुसार *चंपा के फूलों पर न ही कोई भंवरा और न ही तितली, मधुमक्खी बैठते हैं. एक कहावत है कि ’’चम्पा तुझमें तीन गुण-रंग रूप और वास, अवगुण तुझमें एक ही भँवर न आयें पास’’। रूप तेज तो राधिके, अरु भँवर कृष्ण को दास, इस मर्यादा के लिये भँवर न आयें पास।।* मान्यताओं अनुसार चम्पा को राधिका और कृष्ण को भंवरा और *मधुमक्खियों को गोप और गोपिकाओं के रूप में माना गया है।* राधिका कृष्ण की सखी होने के कारण मधुमक्खियां चम्पा पर कभी नहीं बैठती हैं। *वास्तुशास्त्र में भी इस पुष्प को अत्यंत शुभ माना गया है।* यह सौभाग्य का प्रतीक माना गया है। *इसे घर पर लगाने से धन संपदा का आगमन होता है।* इस फूल में परागण नहीं होता जिस कारण तितली अथवा भवरे इत्यादि इस पर नहीं आते हैं। इसके साथ ही यह भी कहा जाता है *कि चंपा फूल वासना रहित माना होता है यह सभी गुणों से मुक्त होते हुए भी त्याग की भावना को दर्शाता है।* इसलिए भगवान श्री विष्णु जी को इन फूलों की माला, कंगन, पैर के कड़े इत्यादि आभूषण बना कर शृंगार किया जाता है। *इस दिन इन पुष्पों से भगवान को सजाने एवं उनका पूजन करने से वह शीघ्र प्रसन्न होते हैं।* *चंपक/ चम्पा द्वादशी महत्व* *====================* ऐसी मान्यता है कि चम्पा द्वादशी के दिन चंपा के फूलों से विधिवत *भगवान श्री कृष्ण की पूजा करने से व्यक्ति को मोक्ष प्राप्त होता है।* चम्पा द्वादशी की कथा श्रीकृष्ण ने माहाराज युधिष्ठिर को बतलाई थी। *श्रीकृष्ण ने युधिष्ठिर से कहा था कि, हे युधिष्ठिर ज्येष्ठ मास के शुक्ल पक्ष की द्वादशी तिथि को जो भक्त उपवास करके श्री कृ्ष्ण , राम नाम से मेरी आराधना करता है, उनको एक हजार गो के दान के बराबर फल प्राप्त होता है।* चम्पा द्वादशी का व्रत कर विधि-विधान से पूजा करने पर *मानव की सभी इच्छाएं इस लोक में पूरी होती है और विष्णु लोक की प्राप्ति होती है।* *राजेन्द्र गुप्ता,* ज्योतिषी और हस्तरेखाविद मो. 9116089175 🕉️🌞🔥🔱🐚🔔🌷

*"अखिल विश्व अखण्ड सनातन सेवा फाउंडेशन"*(पंजीकृत) *द्वारा संचालित* *अखण्ड सनातन समिति🚩🇮🇳* *क्रमांक~ ०२* https://photos.app.goo.gl/YEuuYWwWnH71suy67 🚩🚩 🚩🚩 *`!! श्रीमद्भागवत महापुराण !!`* `{अष्टम स्कन्ध}` *【षोडश: अध्याय:】* *(श्लोक~ 01 से 31तक)* *_कश्यपजी के द्वारा अदिति को पयोव्रत का उपदेश..._* *श्रीशुकदेवजी कहते हैं-* परीक्षित्! जब देवता इस प्रकार भागकर छिप गये *और दैत्यों ने स्वर्ग पर अधिकार कर लिया; तब देवमाता अदिति को बड़ा दुःख हुआ।* वे अनाथ-सी हो गयीं। एक बार बहुत दिनों के बाद जब *परमप्रभावशाली कश्यप मुनि की समाधि टूटी, तब वे अदिति के आश्रम पर आये।* उन्होंने देखा कि न तो वहाँ सुख-शान्ति है और न किसी प्रकार का उत्साह या सजावट ही। परीक्षित्! जब वे वहाँ जाकर आसन पर बैठ गये *और अदिति ने विधिपूर्वक उनका सत्कार कर लिया,* तब वे अपनी पत्नी अदिति से जिसके चेहरे पर बड़ी उदासी छायी हुई थी - बोले *"कल्याणी! इस समय संसार में ब्राह्मणों पर कोई विपत्ति तो नहीं आयी है ?* धर्म का पालन तो ठीक-ठीक होता है ? काल के कराल गाल में पड़े हुए लोगों का कुछ अमङ्गल तो नहीं हो रहा है ? *प्रिये ! गृहस्थाश्रम तो, जो लोग योग नहीं कर सकते, उन्हें भी योग का फल देने वाला है।* इस गृहस्थाश्रम में रहकर धर्म, अर्थ और काम के सेवन में किसी प्रकार का विघ्न तो नहीं हो रहा है ? *यह भी सम्भव है कि तुम कुटुम्ब के भरण-पोषण में व्यग्र रही हो, अतिथि आये हों और तुमसे बिना सम्मान पाये ही लौट गये हों;* तुम खड़ी होकर उनका सत्कार करने में भी असमर्थ रही हो। इसी से तो तुम उदास नहीं हो रही हो ? *जिन घरों में आये हुए अतिथि का जल से भी सत्कार नहीं किया जाता और वे ऐसे ही लौट जाते हैं, वे घर अवश्य ही गीदड़ों के घर के समान हैं।* प्रिये! सम्भव है, मेरे बाहर चले जाने पर कभी तुम्हारा चित्त उद्विग्न रहा हो *और समय पर तुमने हविष्य से अभियों में हवन न किया हो।* सर्वदेवमय भगवान् के मुख हैं—ब्राह्मण और अग्नि गृहस्थ पुरुष यदि इन दोनों की पूजा करता है तो उसे उन लोकों की प्राप्ति होती है, जो समस्त कामनाओं को पूर्ण करने वाले है। *प्रिये ! तुम तो सर्वदा प्रसन्न रहती हो; परन्तु तुम्हारे बहुत-से लक्षणों से मैं देख रहा हूँ कि इस समय तुम्हारा चित्त अस्वस्थ है । तुम्हारे सब लड़के तो कुशल-मङ्गल से हैं न ?'* *अदितिने कहा-* भगवन्! ब्राह्मण, गौ, धर्म और आपकी यह दासी सब सकुशल हैं। *मेरे स्वामी! यह गृहस्थ आश्रम हो अर्थ, धर्म और काम की साधना में परम सहायक है।* प्रभो! आपके निरन्तर स्मरण और कल्याण-कामना से अग्नि, *अतिथि, सेवक, भिक्षुक और दूसरे याचको का भी मैंने तिरस्कार नहीं किया है।* भगवन् ! जब आप जैसे प्रजापति मुझे इस प्रकार धर्म पालन का उपदेश करते हैं; तब भला मेरे मन की ऐसी कौन-सी कामना है जो पूरी न हो जाय ? *आर्यपुत्र! समस्त प्रजा- -वह चाहे सत्त्वगुणी, रजोगुणी या तमोगुणी हो– आपकी ही सन्तान है।* कुछ आपके सङ्कल्प से उत्पन्न हुए हैं और कुछ शरीर से! भगवन् ! *इसमें सन्देह नहीं कि आप सब सन्तानों के प्रति — चाहे असुर हों या देवता – एक-सा भाव रखते हैं,* सम हैं। तथापि स्वयं परमेश्वर भी अपने भक्तों की अभिलाषा पूर्ण किया करते हैं। मेरे स्वामी! मैं आपकी दासी हूँ। *आप मेरी भलाई के सम्बन्ध में विचार कीजिये।* मर्यादापालक प्रभो। शत्रुओं ने हमारी सम्पत्ति और रहने का स्थान तक छीन लिया है। *आप हमारी रक्षा कीजिये।* बलवान् दैत्यों ने मेरे ऐश्वर्य, धन, यश और पद छीन लिये हैं तथा हमें घर से बाहर निकाल दिया है। *इस प्रकार मैं दुःख के समुद्र में डूब रही हूँ।* आपसे बढ़कर हमारी भलाई करनेवाला और कोई नहीं है। इसलिए मेरे हितैषी स्वामी! *आप सोच-विचारकर अपने सङ्कल्प से ही मेरे कल्याण का कोई ऐसा उपाय कीजिये* जिससे कि मेरे पुत्रों को वे वस्तुएँ फिरसे प्राप्त हो जायें। *श्रीशुकदेवजी कहते हैं—* इस प्रकार अदिति ने जब कश्यपजी से प्रार्थना की, तब वे कुछ होकर बोले- बड़े आश्चर्य की बात है। *भगवान्की माया भी कैसी प्रबल है ! यह सारा जगत् स्नेह की रज्जु से बंधा हुआ है।* कहाँ यह पञ्चभूतों से बना हुआ अनात्मा शरीर और कहाँ प्रकृति से परे आत्मा ? *न किसी का कोई पति है, न पुत्र है और न तो सम्बन्धी ही है।* मोह ही मनुष्य को नचा रहा है। प्रिये ! तुम सम्पूर्ण प्राणियों के हृदय में विराजमान अपने भक्तों के मिटानेवाले *जगद्गुरु भगवान् वासुदेव की आराधना करो।* वे बड़े दीनदयालु हैं। अवश्य ही श्रीहरि तुम्हारी कामनाएँ पूर्ण करेंगे। मेरा यह दृढ़ निश्चय है कि भगवान् की भक्ति कभी व्यर्थ नहीं होती। इसके सिवा कोई दूसरा उपाय नहीं है'। *अदितिने पूछा-* भगवन्! मैं जगदीश्वर भगवान्की आराधना किस प्रकार करूँ, *जिससे वे सत्यसङ्कल्प प्रभु मेरा मनोरथ पूर्ण करें।* पतिदेव ! मैं अपने पुत्रों के साथ बहुत ही दुःख भोग रही हूँ। *जिससे वे शीघ्र ही मुझपर प्रसन्न हो जायँ,* उनकी आराधना की वही विधि मुझे बतलाइये। *कश्यपजीने कहा-* देवि! जब मुझे सन्तानकी कामना हुई थी, तब मैंने भगवान् ब्रह्माजी से यही बात पूछी थी। *उन्होंने मुझे भगवान् को प्रसन्न करने वाले जिसका उपदेश किया था,* वही मैं तुम्हें बतलाता हूँ। फाल्गुन के शुरूपक्ष में बारह दिन तक केवल दूध पीकर रहे और *परम भक्ति से भगवान् कमलनयन की पूजा करे।* अमावस्या के दिन यदि मिल सके तो *सूअर की खोदी हुई मिट्टी से अपना शरीर मलकर नदी में स्नान करे।* उस समय यह मन्त्र पढ़ना चाहिये। हे देवि! प्राणियों को स्थान देने की इच्छा से वराहभगवान्ने रसातल से तुम्हारा उद्धार किया था। *तुम्हें मेरा नमस्कार है।* तुम मेरे पापों को नष्ट कर दो। इसके बाद अपने नित्य और नैमित्तिक नियमों को पूरा करके *एकाग्रचित्त से मूर्ति, वेदी, सूर्य, जल, अग्नि और गुरुदेव के रूप में भगवान की पूजा करे।* (और इस प्रकार स्तुति करे) 'प्रभो! आप सर्वशक्तिमान् हैं। अन्तर्यामी और आराधनीय है। *समस्त प्राणी आपमें और आप समस्त प्राणियों में निवास करते हैं।* इसी से आपको *'वासुदेव' कहते हैं।* आप समस्त चराचर जगत् और उसके कारण के भी साक्षी हैं। *भगवन्! मेरा आपको नमस्कार है।* आप अव्यक्त और सूक्ष्म हैं। प्रकृति और पुरुषके रूप में भी आप ही स्थित है। *आप चौबीस गुणों के जानने वाले और गुणों की संख्या करने वाले सांख्यशास्त्र के प्रवर्तक हैं।* आपको मेरा नमस्कार है। आप वह यज्ञ हैं, *जिसके प्रायणीय और उदयनीय — ये दो कर्म सिर है। प्रातः, मध्याह्न और सायं- ये तीन सवन ही तीन पाद हैं। चारों वेद चार सींग हैं। गायत्री आदि सात छन्द ही सात हाथ हैं। यह धर्ममय वृषभरूप यज्ञ वेदों के द्वारा प्रतिपादित है और इसकी आत्मा हैं स्वयं आप! आपको मेरा नमस्कार हैं।।* *।। इस प्रकार श्रीमदभागवत महापुराण के अष्टम स्कंध का सोलहवां अध्याय का पूरा हुआ।।* *ॐ नमो भगवते वासुदेवाय🙏🏻🙏🏻* 🕉️🌞🔥🔱🐚🔔🌷

*"अखिल विश्व अखण्ड सनातन सेवा फाउंडेशन"*(पंजीकृत) *द्वारा संचालित* *अखण्ड सनातन समिति🚩🇮🇳* *क्रमांक~ १०* *_यहां भारत से पिछड़ गया अमेरिका, जिसने दिखाया इंडिया पर भरोसा उसकी भर गई झोली..._* https://www.google.com/amp/s/hindi.news18.com/amp/news/business/latest-indian-bond-market-surge-give-better-return-then-us-ws-kl-9284431.html *भारतीय बॉन्ड मार्केट महंगाई में कमी और आरबीआई से ब्याज दरों में कटौती की उम्मीद के चलते मजबूत प्रदर्शन कर रहा है. जेफरीज की रिपोर्ट के अनुसार, भारतीय बॉन्ड अमेरिकी बॉन्ड से बेहतर रिटर्न दे रहे हैं.* *‘सेफ हेवन’ का दर्जा खो रहा अमेरिका, सरकारी खजाने को लेकर उठ रहे सवाल* *निवेशक इन दिनों अमेरिकी सरकारी बॉन्ड्स की जोरदार बिक्री कर रहे हैं, जिससे अमेरिका की एक सुरक्षित निवेश (सेफ हेवन) के रूप में स्थिरता को लेकर चिंता बढ़ गई है.* *ट्रेजरी यील्ड्स में वृद्धि का मतलब है कि उपभोक्ताओं और कंपनियों के लिए कर्ज लेना महंगा हो सकता है, जो कि अर्थव्यवस्था पर नकारात्मक प्रभाव डाल सकता है.* *अमेरिका जैसे विकसित बाजारों के बॉन्ड की तुलना में, भारतीय बॉन्ड वर्तमान में बेहतर रिटर्न दे रहे हैं. अप्रैल 2020 से भारत के टेन-ईयर सरकारी बॉन्ड ने अमेरिकी डॉलर के संदर्भ में अमेरिकी टेन-ईयर ट्रेजरी बॉन्ड की तुलना में 51 प्रतिशत बेहतर प्रदर्शन किया है.* *■ महंगाई में गिरावट और वास्तविक ब्याज दरें आकर्षक होने के कारण भारत के बॉन्ड बाजार को घरेलू ब्याज दरों में कटौती और उभरते बाजारों के ऋण में बढ़ती वैश्विक रुचि दोनों से लाभ होने की उम्मीद है.* *■ भारत में मुद्रास्फीति लगातार कम हो रही है. पिछले वित्त वर्ष में औसत मुद्रास्फीति 4.6 प्रतिशत थी और अप्रैल 2025 में यह घटकर केवल 3.2 प्रतिशत रह गई, जो जुलाई 2019 के बाद सबसे निचला स्तर है. इससे आरबीआई को आर्थिक वृद्धि को बढ़ावा देने के लिए ब्याज दरों में कटौती करने में अधिक अवसर मिला है.* *■ केंद्रीय बैंक ने नीतिगत दरों में 50 आधार अंकों की कटौती की है और 2025 के अंत तक 75 आधार अंकों की अतिरिक्त कटौती का अनुमान है. इससे खासकर लंबी अवधि के निवेशकों के लिए भारतीय सरकारी बॉन्ड अधिक आकर्षक बन गया है.* *■ यह वास्तविकता नहीं रह गई है कि भारत के टेन-ईयर सरकारी बॉन्ड पर प्राप्ति अमेरिका के टेन-ईयर ट्रेजरी बॉन्ड से कम हो सकती है. भारतीय रुपए की मजबूती और उभरते बाजारों के बॉन्ड के बेहतर प्रदर्शन से भी निवेशकों का भरोसा बढ़ रहा है.* *■ ग्लोबल सॉवरेन बॉन्ड पोर्टफोलियो में भारत का 15-ईयर बॉन्ड सबसे बड़ी होल्डिंग है, जो पोर्टफोलियो का 25 प्रतिशत है. बॉन्ड पर वर्तमान में 6.38 प्रतिशत का ब्याज मिल रहा है, जो भारत के फिक्स्ड इनकम मार्केट में निरंतर विश्वास को दर्शाता है, क्योंकि निवेशक जी-7 सरकारी ऋण से दूर जाने लगे हैं.* *■ जी-7 सरकारी बॉन्ड की तुलना में भारतीय बॉन्ड बेहतर प्रदर्शन कर रहे हैं, जो ट्रेडिशनल पावरहाउस जैसे यूएस और यूरोप से अलग ग्लोबल फाइनेंशियल सिस्टम में एक व्यापक बदलाव का संकेत हो सकता है.* *■ जी-7 बॉन्ड की अस्थिरता से दूर जाने के इच्छुक इंटरनेशनल निवेशकों के लिए भारत एक आशाजनक विकल्प है, जो हाई यील्ड, स्थिर अर्थव्यवस्था और मुद्रा लाभ की संभावना प्रदान करता है.* *■ शेयर बाजार की उठापटक ने भले ही सारी सुर्खियां बटोरी हों, लेकिन वित्तीय बाजार के एक और कोने में एक और गंभीर संकट पनप रहा है. निवेशक अमेरिकी सरकारी बॉन्ड (Treasury Bonds) को तेजी से बेच रहे हैं. आम तौर पर जब भी आर्थिक संकट की आहट होती है, निवेशक अमेरिकी ट्रेजरी में पैसा लगाते हैं, लेकिन इस बार ऐसा नहीं हो रहा. यहां तक कि ज्यादा ब्याज रिटर्न का लालच भी निवेशकों को बॉन्ड खरीदने के लिए प्रेरित नहीं कर पा रहा.* *यह असामान्य स्थिति विशेषज्ञों को चिंता में डाल रही है. उनका मानना है कि बड़े बैंक, फंड्स और ट्रेडर्स अब अमेरिका को एक भरोसेमंद निवेश गंतव्य के रूप में नहीं देख रहे हैं. पेन म्यूचुअल एसेट मैनेजमेंट के फंड मैनेजर जॉर्ज सिपोलोनी कहते हैं, डर है कि अमेरिका अपनी सेफ हेवन की छवि खो रहा है. हमारा बॉन्ड बाजार दुनिया का सबसे बड़ा और स्थिर है, लेकिन अगर इसमें अस्थिरता आती है, तो नुकसान हो सकता है.* 🕉️🌞🔥🔱🐚🔔🌷

*"अखिल विश्व अखण्ड सनातन सेवा फाउंडेशन"*(पंजीकृत) *द्वारा संचालित* *अखण्ड सनातन समिति🚩🇮🇳* *क्रमांक~ ०८* *_बांग्लादेश को आजाद कराकर भारत को क्या मिला..??_* https://truehistoryofindia.in/what-india-got-by-fighting-for-freedom-of-bangladesh *_मेरी इच्छा भारत के साथ हजार बरसों तक युद्ध करने की है-जुल्फिकार अली भुट्टो, पूर्व प्रधानमंत्री पाकिस्तान._* *शेख मुजीबुर्रहमान ने बांग्ला भाषा और संस्कृति की लड़ाई लड़ी थी बंगलादेश की नहीं. बंगलादेश के निर्माण का श्रेय सच कहें तो जुल्फिकार अली भुट्टो को ही दिया जाना चाहिए क्योंकि इसके अत्याचार और षड्यंत्र की परिणिति ही बंगलादेश के निर्माण के रूप में हुई थी.* *1928 में सिंध के लरकाना में जन्मे मुस्लिम बाप और हिंदू माँ (लखीबाई) का बेटा मुंबई में अपनी शिक्षा पूर्ण की थी परन्तु इसी बात पर अयूब खान और जिया उल हक के द्वारा राजनितिक दुष्प्रचार के कारण भुट्टो को पाकिस्तान में बार बार परेशान होना पड़ा था. शायद हिंदुओं और हिन्दुस्तान की प्रति उनकी हिंसा और नफरत में वृद्धि का कारण इतिहास के उस कड़वे सच की भांति ही था की धर्मान्तरित हिंदू, हिंदू माँ या धर्मान्तरित बाप या दादा के मुस्लिम औलादों ने खुद को सच्चा मुसलमान साबित करने के लिए मलिक अम्बर, फिरोज शाह तुगलक, रिनचिन, काला पहाड़, फारुक अब्दुल्ला, जिन्ना आदि की भांति हिंदुओं और हिन्दुस्तान पर जघन्य अत्याचार और नुकसान किये.* *इसी घृणा के परिणाम स्वरुप १९६५ में जेनरल अयूब खान को भुट्टो ने भारत पर आक्रमण के लिए उकसाया था. 1965 में पाकिस्तान की करारी हार के साथ ही अयूब खान का सितारा डूब गया और जुल्फिकार अली भुट्टो का सितारा आसमान में उभरने लगा और फिर जेनरल याहया खान के साथ मिलकर इसने जेनरल अयूब खान को राजनितिक परिदृश्य से समाप्त कर दिया. अयूब खान की तरह याह्या खान को भी धर्मनिरपेक्षता शब्द से घृणा था और उससे भी आगे बढ़कर इन्होने हिंदुओं और हिन्दुस्तान के प्रति घृणा को प्रमुख राजनितिक हथकंडा बनाया.* *अस्तु, अयूब खान के समय से ही पूर्वी पाकिस्तान पर उनके निरंकुश दखलंदाजी विशेषकर बांग्ला भाषा और बांग्ला संस्कृति के विरुद्ध उनकी घृणा के कारण पूर्वी पाकिस्तान में सत्ता के केंद्र में बैठे पश्चिमी पाकिस्तान के नेताओं के प्रति आवाज उठने लगी थी. १९५८-१९७१ के पूर्वी पाकिस्तान के शाशन को शोषण, अत्यचार और निरंकुशता का शासन कहा गया है. पाकिस्तना के नेता बंगालियों को हेय दृष्टि से देखते थे और उन्हें सत्ता में भागीदारी देने के पक्ष में नहीं थे. यही कारण था की मुजीबुर्रहमान के नेतृत्व ने पूर्वी बंगाल ने छः सूत्रीय कार्यक्रम के तहत पूर्वी पाकिस्तान को अधिक स्वायत्तता देने की मांग की जिसने पाकिस्तानी सत्ता की जड़ें हिला दी. (साभार: पाकिस्तान जिन्ना से जिहाद तक)* *सन १९७१ के बंगलादेश युद्ध में भुट्टो की धूर्ततापूर्ण हरकतों ने जनरल याह्या खान के दृष्टिकोण को और मजबूत किया, जिनका एकमात्र हित भुट्टो की मदद से सत्ता में बने रहना था. जनरल याहिया ने पूछा की “वह पूर्वी पाकिस्तान का क्या करना चाहते हैं?” भुट्टो ने जवाब दिया, “पूर्वी पाकिस्तान कोई समस्या नहीं है. हमें वहाँ बीस हजार लोगों को मारना होगा, फिर सबकुछ ठीक हो जायेगा” (एडमिरल एस.एन. कोहली).* *जब मुजीबुर्रहमान को नेशनल असेम्बली के चुनाव में बहुमत प्राप्त हुआ (पूर्वी पाकिस्तान में १६९ सीटों में से १६७ सीटें) तो भुट्टो याह्या खान को यह समझाने में सफल हो गए की मुजीबुर्रहमान को प्रधानमंत्री बनने का न्योता नहीं देना चाहिए, क्योंकि पूर्वी पाकिस्तान का शासन पश्चिम पाकिस्तान पर नहीं होना चाहिए. उस समय बंगालियों को असैनिक जाती समझा जाता था. अतः जनरल याह्या खान भुट्टो के जाल में फंस गए. बंगालियों को विद्रोह की स्थिति में दबाने के लिए उन्होंने याह्या खान को विशाल और क्रूर जन-संहार के लिए २५ मार्च, १९७१ को तैयार कर लिया. उन्होंने ढाका के अपने होटल के खिडकी से पाकिस्तनी सेना द्वारा बंगालियों का रक्तपात होते देखा और जनरल टिक्का खान को इस काम के लिए शाबाशी दी (पाकिस्तान जिन्ना से जिहाद तक).* *दैनिक भास्कर में छपी रिपोर्ट के मुताबिक १९७१ में लगभग २०-३० लाख बंगाली पाकिस्तानी सेना के द्वारा मारे गए और लगभर दो लाख बंगाली युवतियों को हवस का शिकार बनया गया. हालाँकि कई अन्य स्रोतों से हिंसा और बलात्कार की संख्या और भी अधिक जान पड़ती है. पाकिस्तान ने बंगालियों के साथ वही किया जो आज आईएसआईएस इराक में शिया मुसलमानों और हिंदू यजदियों के साथ किया और कर रहा है.* *द चिल्ड्रेन ऑफ वार फिल्म में पाकिस्तानी सेना के कुकृत्यों को दर्शाने की अच्छी कोशिश हुई है. पाकिस्तानी सेना ने गैर सुन्नी मुसलमानों और बंगाली हिंदुओं पर सबसे अधिक कहर ढहाए. कहा जाता है कि बंगाली औरतों का बलात्कार अरब की धरती से उत्पन्न उसी जिहादी मानसिकता का प्रदर्शन था जिसके तहत यह माना जाता है कि बलत्कृत औरतों से उत्पन्न सन्तान बलात्कारी के डिएनए/खून होने के कारण उन्ही की मानसिकता वाले और अनुयायी होंगे. इन्ही का परिणाम आज बंगलादेश के आतंकवादी संगठन जेएमबी हैं जो पाकिस्तान समर्थक है, तथा हुजी, सिमी, इंडियन मुजाहिद्दीन आदि इसी का परिणाम हैं.* *अरबी जिहाद में यह मानसिकता सैकड़ो सालों से चला आ रहा है. ईसायत ने अपना प्रसार में इस मानसिकता का खूब प्रदर्शन किया था. इस मानसिकता का सबसे घिनौना प्रदर्शन जर्मनी के प्रोटेस्टेन्टो के विरुद्ध फ़्रांस के कैथोलिकों ने किया था जब लाखों प्रोटेस्टेन्ट जर्मन औरतों पर कैथोलिकों ने इसी उद्देश्य से बलात्कार को अंजाम दिया. यही कारण था की जर्मनी में शुद्ध आर्य रक्त वाले लोगों का एक अलग संगठन और सोच बन गया था जिसका एक परिणाम हिटलर भी था.* *भारत में इस विचारधारा का पुर्तगालियों द्वारा सबसे अधिक घृणित प्रदर्शन गोवा में किया गया जहाँ पुर्तगालिओं ने भारतीय स्त्रियों से बलात्कार करने और संभोग कर बच्चे पैदा करने की खुली छूट दे दी थी और विरोध करनेवालों को Inquisition के तहत भयंकर यातना देकर मारने के लिए विस्तृत व्यवस्था की गयी थी जिसके परिणाम स्वरूप आज आधा गोवा ईसाई के रूप में हैं. भारत में इस्लामिक आक्रमणकारियों द्वारा आक्रमितों के स्त्रियों का बलात्कार और अपने हरम में ठूंसने का एक घृणित इतिहास है जिसका परिणाम आज पाकिस्तान, बंगलादेश कश्मीर और केरल आदि है.* *अस्तु, भुट्टो जानते थे कि पूर्वी पाकिस्तान में विवश होकर भारत को हस्तक्षेप करना पड़ेगा; क्योंकि लगभग एक करोड हिंदू और शिया मुसलमान शरणार्थियों ने पूर्वी पाकिस्तान से भागकर भारत में शरण ली थी. मुजीब से समझौता करने के लिए याहया के पास पर्याप्त समय था, परन्तु भुट्टो ने ऐसा होने नहीं दिया बल्कि पूर्वी पाकिस्तान के अलगाव के लिए देश को तैयार करते हुए खतरनाक सिद्धांत दिया-इधर हम उधर तुम.* *१९७१ की लड़ाई में पाकिस्तान के हार के साथ याह्या खान का भी सूर्यास्त हो गया और भुट्टो इसका फायदा उठाकर राष्ट्रपति (दिसम्बर, १९७१-अगस्त, १९७३) और प्रधानमंत्री (अगस्त १९७३-जुलाई, १९७७) बनने में सफल रहे परन्तु जेनेरल जिया उल हक ने उसके बाद षड्यंत्र कर उनकी जिंदगी नरक से भी बदतर बना दिया और उन्हें येन-केन-प्रकारेण फांसी पर लटकाकर मार दिया. पाकिस्तान: जिन्ना से जिहाद तक का लेखक लिखते हैं “रावलपिंडी जेल की संकरी कोठरी में जुल्फिकार अली भुट्टो का आखिरी दिन एक कुलीन सिंधी परिवार में जन्मे राजनीतिज्ञ की अमानवीय यंत्रणाओं का दिन था. भुट्टो को एक कुत्ते की मौत नहीं देनी चाहिए थी क्योंकि वह पाकिस्तान के प्रथम निर्वाचित प्रधानमंत्री थे.”* *भारत के नजरिये से अगर देखे तो १९७१ में बंगलादेश की आजादी में भारत के बृहत् पैमाने पर जन-धन लगाने के बाबजूद भारत को कुछ नहीं मिला. मिला तो दो करोड के लगभग बंगलादेशी आबादी का बोझ जिसमे से अधिकांश आज भारत विरोधी कार्यों में लगे हैं. बंगलादेश भारत विरोधी गतिविधियों का अड्डा बन गया है और भारत का बंगाल उसका मुख्य अड्डा बन गया है. सच कहें तो आज का बंगलादेश जल्द ही पाकिस्तानी अत्याचार को भूलकर फिर से पाकिस्तान के गोद में जा बैठने को आतुर है और भारत के बर्बादी के ताने-बाने बनाने में लगा है.* *शेख हसीना की सरकार आने पर भारत विरोधी गतिविधियों में थोड़ी कमी आई है परन्तु हम यह नहीं भूल सकते की सरकारें अस्थायी होती है. खैर, इससे भी दुखद बात तो यह रहा की १९७१ की लड़ाई में भारत ने लगभग ९२००० से उपर पाक सैनिकों को बंदी बनाया था. भारत चाहता तो इसका सौदा भारत के हित में कर सकता था और पाकिस्तान इन सैनिकों के बदले खुशी खुशी पाक अधिकृत कश्मीर देने को तैयार हो जाता, परन्तु इंदिरा सरकार ने ऐसा कुछ भी होने नहीं दिया. यहाँ तक की पाकिस्तान के हजारों सेना लौटाने के बदले पाकिस्तान द्वारा अपने सैनिकों को बनाये गए युद्धबंदियों को भी वापस लेने की जरुरत महसूस नहीं की जो आजादी की उम्मीद में घुट घुट कर मरने को विवश हो गए.* *इतना ही नहीं इंदिरा नेहरु से भी दो कदम आगे निकल गयी. इंदिरा १९७१ के युद्ध में पाकिस्तान के पराजय का लाभ उठाकर भारतीय भू-भाग उससे लेने के बजाय उसने पाकिस्तान के राष्ट्रपति जुल्फिकार अली भुट्टो को नियंत्रण रेखा को अंतर्राष्ट्रीय सीमा मानने का प्रस्ताव दिया था जिसपर १९७२ में जुल्फिकार अली भुट्टो ने इंदिरा गाँधी से कहा की उन्हें इस बात के लिए समय दिया जाए की वह नियंत्रण रेखा को स्थायी सीमा मानने के लिए पाकिस्तानियों को तैयार कर सकें (पुस्तक-पाकिस्तान: जिन्ना से जेहाद तक).* *यह कैसी बिडम्बना थी कि आक्रमित परन्तु शक्तिशाली और विजेता देश आक्रमणकारी परन्तु पराजित देश से जबरन अधिकार किये गए अपने भू-भाग पर उसे वैधानिक मान्यता देने हेतु खुद अपने भू-भाग पर स्थायी सीमा बनाने का प्रस्ताव देता हो और पराजित देश यह कहता हो की हम अपने लोगों से पूछेंगे की वे अवैध रूप से अधिगृहित विजित देश का इतना भू-भाग उन्हें संतुष्ट कर सकेगा की नहीं.* 🕉️🌞🔥🔱🐚🔔🌷