
अखण्ड सनातन समिति🚩🇮🇳
June 6, 2025 at 08:42 AM
*"अखिल विश्व अखण्ड सनातन सेवा फाउंडेशन"*(पंजीकृत) *द्वारा संचालित*
*अखण्ड सनातन समिति🚩🇮🇳*
*क्रमांक~ १०*
*_यहां भारत से पिछड़ गया अमेरिका, जिसने दिखाया इंडिया पर भरोसा उसकी भर गई झोली..._*
https://www.google.com/amp/s/hindi.news18.com/amp/news/business/latest-indian-bond-market-surge-give-better-return-then-us-ws-kl-9284431.html
*भारतीय बॉन्ड मार्केट महंगाई में कमी और आरबीआई से ब्याज दरों में कटौती की उम्मीद के चलते मजबूत प्रदर्शन कर रहा है. जेफरीज की रिपोर्ट के अनुसार, भारतीय बॉन्ड अमेरिकी बॉन्ड से बेहतर रिटर्न दे रहे हैं.*
*‘सेफ हेवन’ का दर्जा खो रहा अमेरिका, सरकारी खजाने को लेकर उठ रहे सवाल*
*निवेशक इन दिनों अमेरिकी सरकारी बॉन्ड्स की जोरदार बिक्री कर रहे हैं, जिससे अमेरिका की एक सुरक्षित निवेश (सेफ हेवन) के रूप में स्थिरता को लेकर चिंता बढ़ गई है.*
*ट्रेजरी यील्ड्स में वृद्धि का मतलब है कि उपभोक्ताओं और कंपनियों के लिए कर्ज लेना महंगा हो सकता है, जो कि अर्थव्यवस्था पर नकारात्मक प्रभाव डाल सकता है.*
*अमेरिका जैसे विकसित बाजारों के बॉन्ड की तुलना में, भारतीय बॉन्ड वर्तमान में बेहतर रिटर्न दे रहे हैं. अप्रैल 2020 से भारत के टेन-ईयर सरकारी बॉन्ड ने अमेरिकी डॉलर के संदर्भ में अमेरिकी टेन-ईयर ट्रेजरी बॉन्ड की तुलना में 51 प्रतिशत बेहतर प्रदर्शन किया है.*
*■ महंगाई में गिरावट और वास्तविक ब्याज दरें आकर्षक होने के कारण भारत के बॉन्ड बाजार को घरेलू ब्याज दरों में कटौती और उभरते बाजारों के ऋण में बढ़ती वैश्विक रुचि दोनों से लाभ होने की उम्मीद है.*
*■ भारत में मुद्रास्फीति लगातार कम हो रही है. पिछले वित्त वर्ष में औसत मुद्रास्फीति 4.6 प्रतिशत थी और अप्रैल 2025 में यह घटकर केवल 3.2 प्रतिशत रह गई, जो जुलाई 2019 के बाद सबसे निचला स्तर है. इससे आरबीआई को आर्थिक वृद्धि को बढ़ावा देने के लिए ब्याज दरों में कटौती करने में अधिक अवसर मिला है.*
*■ केंद्रीय बैंक ने नीतिगत दरों में 50 आधार अंकों की कटौती की है और 2025 के अंत तक 75 आधार अंकों की अतिरिक्त कटौती का अनुमान है. इससे खासकर लंबी अवधि के निवेशकों के लिए भारतीय सरकारी बॉन्ड अधिक आकर्षक बन गया है.*
*■ यह वास्तविकता नहीं रह गई है कि भारत के टेन-ईयर सरकारी बॉन्ड पर प्राप्ति अमेरिका के टेन-ईयर ट्रेजरी बॉन्ड से कम हो सकती है. भारतीय रुपए की मजबूती और उभरते बाजारों के बॉन्ड के बेहतर प्रदर्शन से भी निवेशकों का भरोसा बढ़ रहा है.*
*■ ग्लोबल सॉवरेन बॉन्ड पोर्टफोलियो में भारत का 15-ईयर बॉन्ड सबसे बड़ी होल्डिंग है, जो पोर्टफोलियो का 25 प्रतिशत है. बॉन्ड पर वर्तमान में 6.38 प्रतिशत का ब्याज मिल रहा है, जो भारत के फिक्स्ड इनकम मार्केट में निरंतर विश्वास को दर्शाता है, क्योंकि निवेशक जी-7 सरकारी ऋण से दूर जाने लगे हैं.*
*■ जी-7 सरकारी बॉन्ड की तुलना में भारतीय बॉन्ड बेहतर प्रदर्शन कर रहे हैं, जो ट्रेडिशनल पावरहाउस जैसे यूएस और यूरोप से अलग ग्लोबल फाइनेंशियल सिस्टम में एक व्यापक बदलाव का संकेत हो सकता है.*
*■ जी-7 बॉन्ड की अस्थिरता से दूर जाने के इच्छुक इंटरनेशनल निवेशकों के लिए भारत एक आशाजनक विकल्प है, जो हाई यील्ड, स्थिर अर्थव्यवस्था और मुद्रा लाभ की संभावना प्रदान करता है.*
*■ शेयर बाजार की उठापटक ने भले ही सारी सुर्खियां बटोरी हों, लेकिन वित्तीय बाजार के एक और कोने में एक और गंभीर संकट पनप रहा है. निवेशक अमेरिकी सरकारी बॉन्ड (Treasury Bonds) को तेजी से बेच रहे हैं. आम तौर पर जब भी आर्थिक संकट की आहट होती है, निवेशक अमेरिकी ट्रेजरी में पैसा लगाते हैं, लेकिन इस बार ऐसा नहीं हो रहा. यहां तक कि ज्यादा ब्याज रिटर्न का लालच भी निवेशकों को बॉन्ड खरीदने के लिए प्रेरित नहीं कर पा रहा.*
*यह असामान्य स्थिति विशेषज्ञों को चिंता में डाल रही है. उनका मानना है कि बड़े बैंक, फंड्स और ट्रेडर्स अब अमेरिका को एक भरोसेमंद निवेश गंतव्य के रूप में नहीं देख रहे हैं. पेन म्यूचुअल एसेट मैनेजमेंट के फंड मैनेजर जॉर्ज सिपोलोनी कहते हैं, डर है कि अमेरिका अपनी सेफ हेवन की छवि खो रहा है. हमारा बॉन्ड बाजार दुनिया का सबसे बड़ा और स्थिर है, लेकिन अगर इसमें अस्थिरता आती है, तो नुकसान हो सकता है.*
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