अखण्ड सनातन समिति🚩🇮🇳
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June 8, 2025 at 11:04 AM
*"अखिल विश्व अखण्ड सनातन सेवा फाउंडेशन"*(पंजीकृत) *द्वारा संचालित* *अखण्ड सनातन समिति🚩🇮🇳* *क्रमांक~ १३* https://photos.app.goo.gl/QA82gJCm4NnMFALz9 *(भाग - 01)* *_13000+ प्रॉपर्टी, कीमत ₹1 लाख करोड़… जानिए क्या होती है शत्रु संपत्ति, कैसे हड़पना चाहता था वक्फ बोर्ड: यदि कॉन्ग्रेस सांसदों की चलती तो आज नीलाम नहीं हो पाती परवेज मुशर्रफ की जमीन..._* *उत्तर प्रदेश के बागपत में 2 दिन पहले पाकिस्तान के पूर्व तानाशाह परवेज मुशर्रफ की जमीन सरकार ने नीलाम कर दी। कुछ दिन पहले उत्तराखंड में राजा महमूदाबाद की संपत्ति को सरकार ने पार्किंग प्लेस में बदल दिया, तो बीते साल दिसंबर में पाकिस्तान के पहले प्रधानमंत्री लियाकत अली खान की संपत्ति (जिसमें 1918 में बनी मस्जिद भी शामिल थी) को कोर्ट के आदेश के बाद सरकार ने अपने कब्जे में ले लिया।* *इस जमीन को लेकर दावा किया गया था कि देश की आजादी से पहले ही इसे वक्फ कर दिया गया था, जो दावा फर्जी निकला। ऐसे में मस्जिद होने और वक्फ के दावे के बावजूद ये जमीन सरकार को मिली, क्योंकि ये जमीन एनिमी प्रॉपर्टी (शत्रु संपत्ति) के दायरे में आती थी।* *तीनों मामलों को देखें तो इनमें एक लिंक कॉमन था। वो था शत्रु संपत्ति का होना और अब ऐसी संपत्तियों को भारत सरकार अपने हितों के मुताबिक इस्तेमाल कर सकती है। ऐसा इसलिए हो पाया, क्योंकि साल 2017 में मोदी सरकार एक कानून लाई थी, जिसका नाम शत्रु संपत्ति (संशोधन और सत्यापन) विधेयक 2016 था। इस कानून के मुताबिक, सिर्फ दुश्मन देश में गया व्यक्ति ही नहीं, दुश्मन देश गए व्यक्ति के वारिस भी दुश्मन की श्रेणी में आएँगे और वो दुश्मन संपत्ति यानी शत्रु संपत्ति पर कोई दावा नहीं कर पाएँगे।* *मोदी सरकार के इस कदम से देश भर की 13 हजार से अधिक संपत्तियाँ, जिनकी कीमत 1 लाख करोड़ रुपए से अधिक है, वो अब सरकार की होंगी। इस बारे में आगे विस्तार से बताएँगे…* *फिलहाल ये बता दें कि मोदी सरकार जो वक्फ संसोधन कानून लेकर आई है, जिसमें भी एविक्टी (शत्रु संपत्ति) पर वक्फ के दावों को नकार दिया गया है। इसका असर दूरगामी है।* *मोदी सरकार ने दोनों कानून लाकर वो काम किया है, जो कॉन्ग्रेस की पूर्ववर्ती सरकारें तमाम वजहों से करने से बचती रही हैं। कॉन्ग्रेस का जिक्र आया ही है और शत्रु संपत्ति के मामले में, तो एक अहम जानकारी आपको जो होनी चाहिए- वो दे देते हैं। लेकिन उससे पहले बताते हैं कि आखिर शत्रु संपत्ति है क्या और कैसे मोदी सरकार वो कानून लेकर आई, जिसे न लाकर कॉन्ग्रेस नीत यूपीए सरकार ने हजारों करोड़ की संपत्ति देश के दुश्मनों के वारिसों दे दी थी।* *`शत्रु संपत्ति क्या है?`* *शत्रु संपत्ति वो संपत्तियाँ हैं, जो उन लोगों के पास थीं, जिन्होंने 1947 के भारत-पाकिस्तान विभाजन के दौरान या 1962 (चीन के साथ युद्ध), 1965 और 1971 (पाकिस्तान के साथ युद्ध) के बाद भारत छोड़कर पाकिस्तान या चीन की नागरिकता ले ली। भारत सरकार ने इन्हें ‘शत्रु’ माना, क्योंकि ये लोग उन देशों के साथ चले गए, जो भारत के खिलाफ युद्ध में थे। ऐसी संपत्तियों को जब्त करने का मकसद था कि इनका इस्तेमाल देश की सुरक्षा और विकास के लिए हो।* *शत्रु संपत्ति अधिनियम 1968 के तहत इन संपत्तियों की देखरेख के लिए कस्टोडियन ऑफ एनिमी प्रॉपर्टी फॉर इंडिया (CEPI) बनाया गया, जो गृह मंत्रालय के अधीन काम करता है। देश भर में ऐसी 13,252 संपत्तियाँ हैं, जिनमें से 12,485 पाकिस्तानी नागरिकों और 126 चीनी नागरिकों की हैं। इनकी कुल कीमत 1.04 लाख करोड़ रुपये से ज्यादा है। इसमें भी सबसे ज्यादा संपत्तियाँ उत्तर प्रदेश (6,255) और पश्चिम बंगाल (4,088) में हैं।* *उदाहरण के लिए, मुजफ्फरनगर में पाकिस्तान के पहले प्रधानमंत्री लियाकत अली खान की आठ बिसवा जमीन थी, जिस पर मस्जिद और दुकानें बनी थीं। जाँच में पाया गया कि ये शत्रु संपत्ति थी। इसी तरह भोपाल में नवाब हमीदुल्लाह खान की बेटी आबिदा सुल्तान (जो 1950 में पाकिस्तान चली गई थीं) की संपत्तियाँ- जैसे फ्लैग स्टाफ हाउस और नूर-उस-सबाह पैलेस (कीमत 15,000 करोड़ रुपये से ज्यादा) भी शत्रु संपत्ति घोषित हुईं। परवेज मुशर्रफ की बागपत में 13 बीघा जमीन को 2024 में 1.38 करोड़ रुपये में नीलाम किया गया। ये सारी संपत्तियाँ भारत सरकार के कब्जे में हैं, ताकि इनका दुरुपयोग न हो।* *शत्रु संपत्ति और वक्फ का टकराव–* *अब सवाल ये है कि शत्रु संपत्ति और वक्फ संपत्ति का आपस में क्या झगड़ा है? दरअसल, कई बार ऐसा हुआ कि जो संपत्तियाँ शत्रु संपत्ति थीं, उन्हें वक्फ बोर्ड ने अपने कब्जे में लेने की कोशिश की। इसका सबसे बड़ा कारण 1984 और 1995 के वक्फ कानूनों में कुछ खामियाँ थीं।* *1984 में इंदिरा गाँधी सरकार ने वक्फ कानून में एक संशोधन किया, जिसके तहत ‘इवैक्यूई प्रॉपर्टी’ (यानी वो संपत्तियाँ जो विभाजन के दौरान छोड़ी गई थीं) को वक्फ घोषित करने की छूट दी गई। अगर कोई संपत्ति पहले वक्फ थी, लेकिन बाद में शत्रु संपत्ति बन गई, तो उसे फिर से वक्फ में बदला जा सकता था। इसका मतलब ये हुआ कि जो संपत्तियाँ देश छोड़कर गए लोगों की थीं, उन्हें वक्फ बोर्ड अपने नाम कर सकता था।* *लेख जारी है ------* *साभार~* श्रवण शुक्ल 🕉️🌞🔥🔱🐚🔔🌷

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