
अखण्ड सनातन समिति🚩🇮🇳
June 10, 2025 at 02:00 AM
*"अखिल विश्व अखण्ड सनातन सेवा फाउंडेशन"*(पंजीकृत) *द्वारा संचालित*
*अखण्ड सनातन समिति🚩🇮🇳*
*क्रमांक~ ०३*
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*_यमराज का दूसरा नाम धर्मराज क्यों..??_*
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प्राणी की मृत्यु या अंत को लाने वाले देवता *यम हैं।* यमलोक के स्वामी होने के कारण ये *यमराज कहलाए।* चूंकि मृत्यु से सब डरते हैं, इसलिए यमराज से भी सब डरने लगे। जीवित प्राणी का जब अपना काम पूरा हो जाता है, *तब मृत्यु के समय शरीर में से प्राण खींच लिए जाते हैं,* ताकि प्राणी फिर नया शरीर प्राप्त कर नए सिरे से जीवन प्रारंभ कर सके।
*यमराज सूर्य के पुत्र हैं और उनकी माता का नाम संज्ञा है।* *उनका वाहन भैंसा और संदेशवाहक पक्षी कबूतर, उल्लू और कौवा भी माना जाता है।*
उनका अचूक हथियार *गदा है।* यमराज अपने हाथ के कालसूत्र या *कालपाश* की बदौलत जीव के शरीर से प्राण निकाल लेते हैं। *यमपुरी यमराज की नगरी है,* जिसके दो महाभयंकर चार आंखों वाले कुत्ते पहरेदार हैं। *यमराज अपने सिंहासन पर न्यायमूर्ति की तरह बैठकर विचार भवन कालीची में मृतात्माओं को एक-एक कर बुलवाते हैं,* जहां *चित्रगुप्त सब प्राणियों की बही खोलकर लेखा-जोखा प्रस्तुत करते हैं।* कर्मों को ध्यान में रखकर यमराज अपना फैसला देते हैं, *क्योंकि वे जीवों के शुभाशुभ कर्मों के निर्णायक हैं।*
यमराज की यूं तो कई पत्नियां थीं, लेकिन उनमें *सुशीला, विजया और हेमनाल अधिक जानी जाती हैं।* उनके पुत्रों में *धर्मराज युधिष्ठिर को सभी जानते हैं।* न्याय के पक्ष में फैसला देने के गुणों के कारण ही *यमराज और युधिष्ठिर जगत में धर्मराज के नाम से जाने जाते हैं* यम द्वितीया के अवसर पर जिस दिन भाई-बहन का त्योहार भैया-दूज मनाया जाता है। *यम और यमुना की पूजा का विधान बनाया गया हैं।* उल्लेखनीय है कि यमुना नदी को *यमराज की बहन माना जाता है।*
*भौमवारी चतुर्दशी को यमतीर्थ के दर्शन कर* सब पापों से छुटकारा मिल जाए, उसके लिए प्राचीन काल में यमराज ने यमतीर्थ में *(संकटाघाट)* कठोर तपस्या करके भक्तों को सिद्धि प्रदान करने वाले *यमेश्वर और यमादित्य मंदिरों की स्थापना की थी।* यम द्वितीया को यहां मेला लगता है। इन मंदिरों को प्रणाम करने वाले एवं *यमतीर्थ में स्नान करने वाले मनुष्यों को नारकीय यातनाओं को न तो भोगना पड़ता है और न ही यमलोक देखना पड़ता है।* इसके अलावा मान्यता तो यहां तक है कि *यमतीर्थ में श्राद्ध करके, यमेश्वर का पूजन करने और यमादित्य को प्रणाम करके व्यक्ति अपने पितृ-ऋण से भी उऋण हो सकता है।*
श्राद्धं कृत्वा यमे तीर्थे पूजयित्वा यमेश्वरम्।
यमादित्यं नमस्कृत्य पितृणामनृणो भवेत्॥
दीपावली से पूर्व दिन यमदीप देकर तथा दूसरे पर्वों पर *यमराज की आराधना करके मनुष्य उनकी कृपा प्राप्त करने के उपाय करता है।* पुराणों में ऐसा उल्लेख मिलता है कि किसी समय *माण्डव ऋषि ने कुपित होकर यमराज को मनुष्य के रूप में जन्म लेने का शाप दिया।* इसके कारण यमराज ने ही दासीपुत्र *विदुर के रूप में धृतराष्ट्र तथा पाण्डु के भाई होकर जन्म लिया।* *यूं तो यमराज परम धार्मिक और भगवद् भक्त है। मनुष्य जन्म लेकर भी वे भगवान् के परम भक्त तथा धर्म-परायण ही बने रहे..!!*
*🙏🏿🙏🏽जय श्री कृष्ण*🙏🏼🙏🏻
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