अखण्ड सनातन समिति🚩🇮🇳
अखण्ड सनातन समिति🚩🇮🇳
June 11, 2025 at 11:51 AM
*"अखिल विश्व अखण्ड सनातन सेवा फाउंडेशन"*(पंजीकृत) *द्वारा संचालित* *अखण्ड सनातन समिति🚩🇮🇳* *क्रमांक~ १३* https://photos.app.goo.gl/8gXVjx5a5dR2cmm4A *_विदेशों से हथियार खरीदने वाला भारत विश्व को बेच रहा ब्रह्मोस-पिनाका, 11 साल में डिफेन्स सेक्टर में मोदी सरकार ने किया आत्मनिर्भर: कॉन्ग्रेस राज में व्याप्त था भ्रष्टाचार-पॉलिसी पैरालिसिस..._* https://hindi.opindia.com/reports/national-security/india-becomes-self-reliance-in-defence-production-exports-also-boom-under-modi-government/ *देश की सैन्य आत्मनिर्भरता ना केवल देश की आंतरिक सुरक्षा की दृष्टि से भी महत्वपूर्ण मानी जाती है बल्कि बाह्य सुरक्षा की नजरिए से भी महत्वपूर्ण है। किसी भी देश का खुद के हथियार बनाना सबसे महत्वपूर्ण होता है। भारत हथियारों के मामले में दुनिया के आत्मनिर्भर देशों में शामिल हो गया है।* *यह परिवर्तन 2014 के बाद सामने आया है। 2014 से पहले भारत का रक्षा निर्यात काफी बदहाली के दौर से गुजर रहा था और हम आयात पर निर्भर थे। लेकिन इस निर्भरता को आत्मनिर्भरता में बदलने का काम 2014 के बाद आई मोदी सरकार ने किया।* *`सैन्य आयात पर निर्भर था भारत`* *स्कॉटहोम इंटरनेशनल पीस रिसर्च इंस्टीट्यूट (SIPRI) के मुताबिक, 2009 से 2013 तक भारत पूरे दुनिया केहथियारों का 13% आयात किया करता था। इसका परिणाम यह हुआ कि दुनिया की सबसे शक्तिशाली सैन्य क्षमताओं वाला देश हथियारों की आपूर्ति के मामले में दूसरे देशों पर निर्भर होता चला गया।* *विदेशी सप्लायर भारत के घरेलू उत्पादन उद्योग को कमजोर करते चले गए। रक्षा निर्यात की रिपोर्ट के अनुसार, वित्त वर्ष 2004-2005 से 2013-14 तक रक्षा निर्यात की कुल राशि ₹4,312 करोड़ थी जो अब बढ़ कर ₹23,622 करोड़ हो गई है।* *`सेना के पूर्व अफसर ने खोली कॉन्ग्रेस की पोल पट्टी`* *रक्षा निर्यात की रिपोर्ट में साफ बताया गया है कि किस तरह कॉन्ग्रेस ने देश की सुरक्षा को हाशिये पर रख दिया। रक्षा निर्यात की रिपोर्ट में उत्तरी सेवा के पूर्व कमांडर लेफ्टिनेंट जनरल एच.एस पनाग ने इस रिपोर्ट में बताया है कि 2013-14 तक हमारा निर्यात मात्र 110 मिलियन डॉलर था।* *उन्होने बताया कि हमारे देश की रक्षा निर्यात का कोई अस्तित्व ही नहीं था। उनके अनुसार, पहले की सरकार में रक्षा मंत्रालय से एनओसी लेने के बाद व्यापार करने की व्यवस्था थी, उस वक्त भी सरकार ने रक्षा निर्यात पर गंभीरता से विचार नहीं किया। यही कारण है कि 2014 के बाद भी एनडीए सरकार के गंभीर प्रयासों के बावजूद रक्षा निर्यात इतना कम है।* *`कॉन्ग्रेस सरकार में DRDO की भी टूट चुकी थी कमर`* *DRDO जो भारत की रक्षा प्रणाली को सशक्त करने के लिए जानी जाती है, उसकी हालत कॉन्ग्रेस सरकार में बद से बदतर हो चुकी थी। रिपोर्ट के अनुसार 6000 वैज्ञानिकों में केवल 3% वैज्ञानिक ही ऐसे थे जिन्होंने इंजीनियरिंग में पीएचडी कर रखी थी।* *यह बात खुद इस रिपोर्ट में विज्ञान और प्रद्योगिकी विभाग के पूर्व सचिव पी.रामा राव की अध्यक्षता वाली समीक्षा समिति ने कही है। अन्य कई देश अपनी सैन्य शक्ति को मजबूत करने के लिए अपने देश में उत्पादन और नौकरी को बढ़ावा दे रहे थे। उसी वक्त भारत एक खरीदार के रूप में फंसा हुआ था और आयात पर अरबों डॉलर खर्च कर रहा था।* *`बोफोर्स जैसे घोटालों से कमजोर होता गया देश`* *रक्षा निर्यात की रिपोर्ट में 2014 से पहले कॉन्ग्रेस की सरकार में हुए लूट और भ्रष्टाचार का पर्दाफाश किया गया है। रिपोर्ट में साफ कहा गया है कि 1980 का बोफोर्स घोटाला में 64 करोड़ की रिश्वत का मामला सीधे राजीव गाँधी से जाकर जुड़ता है।* *इसका खुलासा खुद स्वीडिश रेडियो कार्यक्रम में किया गया जिसमें खुद बोफोर्स के कर्मचारियों ने कहा कि इसके लिए रिश्वत दी गई थी। बयान के अनुसार उस वक्त कॉन्ग्रेस के कई वरिष्ठ सदस्यों और राजनेताओं को 8.2 बिलियन की रिश्वत दी गई थी।* *इसके अलावा अगस्ता वेस्टलैंड घोटाले में भी कॉन्ग्रेस के शीर्ष नेताओं के शामिल होने का दावा किया गया है। रिपोर्ट में शामिल टाट्रा ट्रक और बाराक मिसाइल स्कैम ने भी कांग्रेस की बकिय उधेर कर रख दी है। उस वक्त कॉन्ग्रेस के द्वारा किए गए इस सुरक्षा खिलवाड़ के नतीजे ने भारत की सैन्य ताकत को भीतर से कमजोर कर दिया था।* *`2014 के बाद रक्षा जगत में आया सकारात्मक परिवर्तन`* *रक्षा निर्यात रिपोर्ट के अनुसार 2014 के बाद भारत सरकार ने आयात निर्भरता में लगातार कमी लाई। भारतीय कंपनियों को निर्माण के लिए प्रोत्साहित किया गया और उनका आत्मविश्वास बढ़ाया गया।* *2014 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के द्वारा शुरू ‘मेक इन इंडिया’ ने भारत में निर्मित डिजाइन को विकसित करने में काफी मदद पहुंचाई। इसके अलावा DAP(रक्षा अधिग्रहण प्रक्रिया) के तहत खरीदी में भी बदलाव किया गया। 500 से अधिक हथियारों के आयात पर रोक दी लगा दी गई जिसमें टैंक, आर्टिलरी मशीन और रडार भी शामिल है।* *देश के रक्षा उत्पादन का मूल्य 174% की वृद्धि के साथ ₹1,27,434 करोड़ तक पहुँच गया जो 2014-15 में 46,429 करोड़ था। सरकार के द्वारा सैन्य प्लेटफार्म का विकास किया गया। नौसेना को सशक्त बनाने के लिए स्वदेशी विमान वाहक, पनडुब्बी और फास्ट अटैक क्राफ्ट आदि के निर्माण पर जोड़ दिया गया। यह सब मेक इन इंडिया की पहल के सकारात्मक परिणाम का स्वरूप है।* *`निजी कंपनियों को भी सरकार द्वारा दिया गया प्रोत्साहन`* *कॉन्ग्रेस के कार्यकाल में हाशिये पर पहुँच चुकी निजी कंपनियां को मोदी सरकार में बल मिला। विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग के पूर्व सचिव पी.रामा राव के अध्यक्षता वाली समीक्षा समिति की रिपोर्ट में यह स्पष्ट रूप से बताया गया है कि कॉन्ग्रेस की सरकार में व्याप्त भ्रष्टाचार के कारण प्राइवेट कंपनियों को रक्षा तकनीक के उत्पादन से दूर रखा गया था।* *लेकिन अब ऐसा नहीं है। सैन्य सुरक्षा के विकास को देखते हुए सरकार ने निजी कंपनियों से सहयोग लिया ताकि देश की रक्षा प्रणाली को ज्यादा से ज्यादा मजबूत बनाया जा सके। सरकार के इस निर्णायक बदलाव के फलस्वरूप रक्षा क्षेत्र के जगत में कई बड़ी कंपनियों का प्रवेश हुआ।* *टाटा, एलएनटी डिफेंस, भारत फोर्ज, कल्याणी ग्रुप और महिंद्रा जैसी बड़ी कंपनियां आर्टिलरी सिस्टम, बख्तर बंद वाहन, रडार सिस्टम, पनडुब्बी विमान के पुर्जे और ड्रोन सहित कई रक्षा सामग्रियों का निर्माण कर रही हैं।* *इसका नतीजा यह हुआ कि वित्त वर्ष 2024-25 में निजी क्षेत्र में ₹15,233 करोड़ का रक्षा निर्यात किया जिसे किसी भी देश की अर्थव्यवस्था को गति प्रदान करने के लिए महत्वपूर्ण कहा जाना गलत नहीं है।* *`लड़ाकू विमान तेजस बना घरेलू क्षमता का प्रतीक`* *देश के रक्षा उत्पादन और तकनीक का सार्थक उदाहरण, स्व-निर्मित लड़ाकू विमान तेजस भारत की शान बना। विश्व के कई देशों से इसकी माँग और तेज हो गई। दरअसल तेजस एक भारतीय फाइटर जेट है जो सिंगल इंजन, डेल्टा विंग और मल्टी रोल लाइट फाइटर जेट है।* *सुपरसोनिक लड़ाकू विमानों की श्रेणी में सबसे यह छोटा और हल्का है। इसकी मारक क्षमता को देखते हुए विश्व के कई देश इसे खरीदने में अपनी दिलचस्पी दिखा रहे हैं।* *`100+ देशों को हथियार निर्यात करने वाला देश बना भारत`* *भारतीय रक्षा प्रणाली और सैनिक उपकरणों का लोहा पूरी दुनिया मान रही है। यही कारण है कि आज भारत 100 से ज्यादा देशों को हथियार निर्यात करता है। इसी के साथ भारत विश्व के रक्षा निर्यातक देशों में 25वें स्थान पर पहुँच चुका है।* *रक्षा निर्यात रिपोर्ट के अनुसार, अप्रैल 2025 में भारत ने ब्रह्मोस सुपरसोनिक मिसाइल का दूसरा बेंच फिलिपींस को भेजा। इसके अलावा आर्मेनिया, ब्राजील और इंडोनेशिया भी भारत के साथ रक्षा सौदा कर रहे हैं।* *म्यांमार गोला-बारूद, इसराइल ड्रोन और आर्मेनिया आर्टिलरी सिस्टम हमसे खरीद रहा है। भारत में आर्मेनिया को 6 एडवांस्ड आर्टिलरी गन सिस्टम निर्यात किए हैं। रिपोर्ट से यह साफ है कि भारत का कद रक्षा निर्यातकों में विश्व के जाने-माने देशों तक बढ़ चुका है।* *`ऑपरेशन सिंदूर ने भी भारतीय हथियारों की बढ़ाई माँग`* *ऑपरेशन सिंदूर की सफलता ने भारत के डिफेंस एक्सपोर्ट को और ज्यादा मजबूती दी है। भारत की लगभग 100 कंपनियां रक्षा उत्पादों का निर्यात कर रही हैं। मोदी सरकार 2019 तक रक्षा निर्यात को दुगना करके 6 बिलियन डॉलर तक पहुंचने की तैयारी में है।* *केंद्र सरकार ने साल 2024-25 के रक्षा बजट के लिए ₹6.21 लाख करोड़ आवंटित किए हैं। यह पिछले वित्तीय वर्ष में आवंटित ₹5.94 लाख करोड़ रुपये से 4.3% अधिक है। ऑपरेशन सिंदूर के बाद पिनाका, तेजस और ब्रह्मोस मिसाइल की माँग में काफी तेजी आई है।* *भारत अपने रक्षा उत्पादों का विस्तार अफ्रीका, दक्षिण पूर्व एशिया और लैटिन अमेरिका तक करने की तैयारी में है। यह मोदी सरकार की सफलता ही है कि विश्व गुरु बनने की राह में भारत अब वैश्विक हथियार के बाजार में भी एक भरोसेमंद निर्यातक बनकर उभरा है।* *साभार~* कुणाल कुमार शांडिल्य 🕉️🌞🔥🔱🐚🔔🌷
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