
अखण्ड सनातन समिति🚩🇮🇳
June 12, 2025 at 01:36 AM
*"अखिल विश्व अखण्ड सनातन सेवा फाउंडेशन"*(पंजीकृत) *द्वारा संचालित*
*अखण्ड सनातन समिति🚩🇮🇳*
*क्रमांक~ ०३*
*।। भगवान शिव का 'बिल्वाष्टकम्' ।।*
त्रिदलं त्रिगुणा-कारं त्रिनेत्रं च त्रयायुधम्।
त्रिजन्म-पाप-संहारं बिल्व-पत्रं शिवार्पणम्।।१।।
*मैं भगवान शिव को एक बिल्व पत्र अर्पित करता हूं, जिसमें तीन पत्तियां तीन गुणों (सत्त्व, रज एवं तम: स्वरूप), तीन आंखों का प्रतीक हैं, और तीन गुना जीवन काल का प्रतिनिधित्व करती हैं। यह तीन जन्मों से संचित पापों को नष्ट कर देता है।*
त्रिशाखैर्-बिल्व-पत्रैश्च ह्यच्छिद्रैः कोमलैः शुभैः।
शिव-पूजां करिष्यामि बिल्व-पत्रं शिवार्पणम्।।२।।
*छिद्ररहित, सुकोमल, तीनपत्तेवाले, मंगल प्रदान करनेवाले बिल्वपत्रसे मैं भगवान् शिवकी पूजा करूँगा। यह बिल्वपत्र शिवको समर्पित करता हूँ।*
अखण्ड-बिल्व-पत्रेण पूजिते नन्दिकेश्वरे।
शुद्ध्यन्ति सर्व-पापेभ्यो बिल्व-पत्रं शिवार्पणम्।।३।।
*अखण्ड बिल्वपत्र से नन्दिकेश्वर भगवान् की पूजा करने पर मनुष्य सभी पापों से मुक्त होकर शुद्ध हो जाते हैं। मैं बिल्वपत्र शिवको समर्पित करता हूँ।*
शालग्राम-शिलामेकां विप्राणां जातु अर्पयेत्।
सोम-यज्ञ-महापुण्यं बिल्व-पत्रं शिवार्पणम्।।४।।
*मेरे द्वारा किया गया भगवान् शिव को यह बिल्वपत्र का समर्पण, कदाचित् ब्राह्मणों को शालग्राम की शिला के समान तथा सोमयज्ञ के अनुष्ठान के समान महान्पुण्यशाली हो। (अत: मैं बिल्वपत्र भगवान् शिव को समर्पित करता हूँ)*
दन्ति-कोटि-सहस्राणि वाजपेय-शतानि च।
कोटि-कन्या-महादानं बिल्व-पत्रं शिवार्पणम्।।५।।
*मेरे द्वारा किया गया भगवान् शिव को यह बिल्वपत्र का समर्पण हजारों करोड़ गजदान, सैकड़ों वाजपेय- यज्ञ के अनुष्ठान तथा करोड़ों कन्याओं के महादान के समान हो। (अत: मैं बिल्वपत्र भगवान् शिव को समर्पित करता हूँ)*
लक्ष्म्याः स्तनत उत्पन्नं महादेवस्य च प्रियम्।
बिल्व-वृक्षं प्रयच्छामि बिल्व-पत्रं शिवार्पणम्।।६।।
*विष्णु- प्रिया भगवती लक्ष्मी के वक्ष:स्थल से प्रादुर्भूत तथा महादेवजी के अत्यन्त प्रिय बिल्ववृक्ष को मैं समर्पित करता हूँ। यह बिल्वपत्र भगवान् शिव को समर्पित है।*
दर्शनं बिल्व-वृक्षस्य स्पर्शनं पाप-नाशनम्।
अघोर-पाप-संहारं बिल्व-पत्रं शिवार्पणम्।।७।।
*बिल्ववृक्ष का दर्शन और उसका स्पर्श समस्त पापों को नष्ट करनेवाला तथा शिवापराध का संहार करनेवाला है। यह बिल्वपत्र भगवान् शिव को समर्पित है।*
मूलतोः ब्रह्म-रूपाय मध्यतो विष्णु-रूपिणे।
अग्रतः शिव-रूपाय बिल्व-पत्रं शिवार्पणम्।।८।।
*बिल्वपत्र का मूलभाग ब्रह्मरूप, मध्यभाग विष्णुरूप एवं अग्रभाग शिवरूप है, ऐसा बिल्वपत्र भगवान् शिव को समर्पित है।*
बिल्वाष्टक-मिदं पुण्यं यः पठेच्छिव-सन्निधौ।
सर्व-पाप-विनिर्मुक्तः शिव-लोकम-वाप्नुयात्।।९।।
*जो भगवान् शिव के समीप इस पुण्य प्रदान करनेवाले “बिल्वाष्टक” का पाठ करता है, वह समस्त पापों से मुक्त होकर अन्त में शिवलोक को प्राप्त करता है।*
https://youtu.be/rkoHqyKPG34?si=-xGrrzvTPwFjeK8i
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