
सुमनोहर__कहानियां
May 16, 2025 at 12:48 AM
।।राम_राम।।
*✨✨सुप्रभात✨✨*
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*🌳🦚आज की कहानी🦚🌳*
*💐💐बेसहारा का सहारा💐💐*
ट्रेन से उतरते ही मैंने घर फ़ोन किया- कि कुछ लाना तो नहीं है।
पत्नी ने कहा: एक किलो खरबूजे लेते आना।तभी मुझे सड़क किनारे मीठे और ताज़ा खरबूजा बेचते हुए एक बीमार सी दिखने वाली बुढ़िया दिख गयी।
वैसे तो मैं हमेशा, "फल" चौरासी घंटे वाले मंदिर के पास की दुकान से ही लेता था पर आज मुझे लगा कि क्यों न बुढ़िया से ही खरीद लूँ...?
मैंने उससे पूछा: माई! खरबूजा कैसे दिए ।
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वो बोली, बाबूजी 40 रूपये किलो,
मैंने कहा : माई 30 रूपये दूँगा।
बुढ़िया ने कहा: 35 रूपये दे देना,
दो पैसे मैं भी कमा लूंगी।
30 रूपये लेने हैं- तो बोलो!
बुझे चेहरे से बुढ़िया ने,"न" मे गर्दन हिला दी।
मैं बिना कुछ कहे चल पड़ा ! और फल की बड़ी दुकान पर आकर खरबूजे का भाव पूछा- तो वह बोला: 50 रूपये किलो हैं !
बाबूजी,कितने दूँ...?
5 साल से, मैं फल तुमसे ही ले रहा हूँ ! ठीक भाव लगाओ !
तो उसने सामने लगे बोर्ड की ओर इशारा कर दिया।
बोर्ड पर लिखा था- "मोल भाव" करने वाले माफ़ करें।
मुझको उसका यह व्यवहार बहुत बुरा लगा, मैं कुछ सोचकर वापस हुआ !
सोचते सोचते उस बुढ़िया के पास पहुँच गया।
बुढ़िया ने कहा बाबूजी खरबूजा तो दे दूँ...? पर भाव 35 रूपये से कम नही लगाउंगी !
मैंने मुस्कराकर कहा: माई एक नही दो किलो दे दो और भाव की चिंता मत करो।
बुढ़िया का चेहरा ख़ुशी से दमकने लगा।
खरबूजा देते हुए बोली मेरे पास थैली नहीं है।
एक टाइम था- जब मेरा पति जिन्दा था तब हमारी छोटी सी दुकान थी। सब्ज़ी,फल सब बिकता था ! आदमी की बीमारी मे दुकान चली गयी,और आदमी भी नहीं रहा अब खाने के भी लाले पड़े हैं ; किसी तरह पेट पाल रही हूँ- कोई औलाद भी नहीं है जिसकी ओर मदद के लिए देखूं कहते-कहते वह रुआंसी हो गयी, और उसकी आंखों मे आंसू आ गये।
मैंने 200 रूपये का नोट दिया- तो उसने कहा "बाबूजी" मेरे पास छुट्टे नहीं हैं।
माई चिंता मत करो", रख लो ! अब मैं तुमसे ही फल खरीदूंगा और कल मै तुम्हें 1000/ रूपये दूँगा धीरे धीरे चुका देना, और परसों से बेचने के लिए मंडी से- दूसरे फल भी ले आना।
वह कुछ कह पाती- उसके पहले ही मैं घर की ओर रवाना हो गया।
रास्ते भर,सोचते गया न जाने क्यों हम हमेशा मुश्किल से पेट पालने वाले,थड़ी लगा कर सामान बेचने वालों से ही मोल भाव करते हैं ! और बड़ी दुकानों पर मुंह मांगे पैसे दे आते हैं।
शायद हमारी मानसिकता ही बिगड़ गयी है शायद हम गुणवत्ता के स्थान पर हम- चकाचौंध पर अधिक ध्यान देने लगे हैं।
अगले दिन मैंने बुढ़िया को 1000 रूपये देते हुए कहा ,माई लौटाने की चिंता" मत करना।
जो फल खरीदूंगा, उनकी कीमत से ही चुक जाएंगे।
जब मैंने अपने दोस्तों को ये किस्सा बताया- तो सबने उसी से फल खरीदना प्रारम्भ कर दिया।
लगभग तीन महीने में उसने हाथ ठेला भी खरीद लिया।
वह अब बहुत खुश है उचित खान पान से- अब उसका स्वास्थ्य भी पहले से बहुत अच्छा हो गया है।
*जीवन मे किसी बेसहारा की मदद करके देखो यारों,अपनी पूरी जिंदगी मे किये गए सभी कार्यों से ज्यादा संतोष मिलेगा...!*
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*जय जय श्री राम 🙏🏻*
*जय हिन्द 🇮🇳*
*सदैव प्रसन्न रहिए 🙏🏻*
*जो प्राप्त है, पर्याप्त है।*
।।राम_राम।।
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