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*प्रतिदिन एक कहानी प्रेषित होगी _कहानी को पढ़ने के उपरांत यदि उचित लगे तो अन्य समूहों में साझा अवश्य करें..!!_* *बालेन्दु तिवारी* *8358992792*

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सुमनोहर__कहानियां
सुमनोहर__कहानियां
6/13/2025, 1:49:25 AM

।।राम_राम।। *✨✨सुप्रभात✨✨* https://whatsapp.com/channel/0029Va65K7RCHDynC3AjPI1d *🌳🦚आज की कहानी🦚🌳* *💐💐चार ढेरियां💐💐* एक राजा था, उसके कोई पुत्र नहीं था। राजा बहुत दिनों से पुत्र की प्राप्ति के लिए आशा लगाए बैठा था, लेकिन पुत्र की प्राप्ति नहीं हुई, उसके सलाहकारों ने, तांत्रिकों से सहयोग लेने को कहा। तांत्रिकों की तरफ से राजा को सुझाव मिला कि यदि किसी बच्चे की बलि दे दी जाए, तो राजा को पुत्र की प्राप्ति हो सकती है। राजा ने राज्य में ढिंढोरा पिटवाया कि जो अपना बच्चा बलि चढाने के लिये राजा को देगा, उसे राजा की तरफ से, बहुत सारा धन दिया जाएगा। एक परिवार में कई बच्चे थे, गरीबी भी बहुत थी। एक ऐसा बच्चा भी था, जो ईश्वर पर आस्था रखता था तथा सन्तों के सत्संग में अधिक समय देता था। राजा की मुनादी सुनकर परिवार को लगा कि क्यों ना इसे राजा को दे दिया जाए ? क्योंकि ये निकम्मा है, कुछ काम -धाम भी नहीं करता है और हमारे किसी काम का भी नहीं है। और इसे देने पर, राजा प्रसन्न होकर, हमें बहुत सारा धन देगा। ऐसा ही किया गया, बच्चा राजा को दे दिया गया। राजा ने बच्चे के बदले ,उसके परिवार को काफी धन दिया। राजा के तांत्रिकों द्वारा बच्चे की बलि देने की तैयारी हो गई। राजा को भी बुला लिया गया, बच्चे से पूछा गया कि तुम्हारी आखिरी इच्छा क्या है ? ये बात राजा ने बच्चे से पूछी और तांत्रिकों ने भी पूछी। बच्चे ने कहा कि, मेरे लिए रेत मँगा दी जाए, राजा ने कहा, बच्चे की इच्छा पूरी की जाये । अतः रेत मंगाया गया। बच्चे ने रेत से चार ढेर बनाए, एक-एक करके बच्चे ने तीन रेत के ढेरों को तोड़ दिया और चौथे के सामने हाथ जोड़कर बैठ गया और उसने राजा से कहा कि अब जो करना है , आप लोग कर लें। यह सब देखकर तांत्रिक डर गए और उन्होंने बच्चे से पूछा पहले तुम यह बताओ कि ये तुमने क्या किया है? राजा ने भी यही सवाल बच्चे से पूछा । तो बच्चे ने कहा कि पहली ढेरी मेरे माता-पिता की थी। मेरी रक्षा करना उनका कर्त्तव्य था । परंतु उन्होंने अपने कर्त्तव्य का पालन न करके, पैसे के लिए मुझे बेच दिया, इसलिए मैंने ये ढेरी तोड़ी दी। दूसरी ढ़ेरी, मेरे सगे-सम्बन्धियों की थी, परंतु उन्होंने भी मेरे माता-पिता को नहीं समझाया। अतः मैंने दूसरी ढ़ेरी को भी तोड़ दिया। और तीसरी ढ़ेरी, हे राजन आपकी थी क्योंकि राज्य की प्रजा की रक्षा करना, राजा का ही धर्म होता है,परन्तु जब राजा ही, मेरी बलि देना चाह रहा है तो, ये ढेरी भी मैंने तोड़ दी। और चौथी ढ़ेरी, हे राजन, मेरे ईश्वर की है। अब सिर्फ और सिर्फ,अपने ईश्वर पर ही मुझे भरोसा है। इसलिए यह एक ढेरी मैंने छोड़ दी है। बच्चे का उत्तर सुनकर, राजा अंदर तक हिल गया। उसने सोचा,कि पता नहीं बच्चे की बलि देने के पश्चात भी, पुत्र की प्राप्ति होगी भी या नहीं होगी। इसलिये क्यों न इस बच्चे को ही अपना पुत्र बना लिया जाये? इतना समझदार और ईश्वर-भक्त -बच्चा है । इससे अच्छा बच्चा और कहाँ मिलेगा ? काफी सोच विचार के बाद ,राजा ने उस बच्चे को अपना पुत्र बना लिया और राजकुमार घोषित कर दिया। जो व्यक्ति ईश्वर पर विश्वास रखते हैं,उनका कोई बाल भी बाँका नहीं कर सकता, यह एक अटल सत्य है। जो मनुष्य हर मुश्किल में, केवल और केवल, ईश्वर का ही आसरा रखते हैं,उनका कहीं से भी ,किसी भी प्रकार का ,कोई अहित नहीं हो सकता। संसार में सभी रिश्ते झूठे हैं। केवल और केवल, एक प्रभु का नाम ही सत्य है। *यह ग्रुप एक प्रेरणा स्रोत और जिंदगी जीने के नजरिया को जाहिर करता है इस ग्रुप में हर रोज धार्मिक, प्रेरणादायक कहानियां और आत्मविश्वास से जुड़ी गाथा भेजी जाती है कृपया इस ग्रुप को लिंक से जॉइन करें* https://whatsapp.com/channel/0029Va65K7RCHDynC3AjPI1d *हिन्दू है हम👇👇👇👇* https://whatsapp.com/channel/0029Va65K7RCHDynC3AjPI1d *आप चाहे किसी भी समाज से हो, अगर आप अपने समाज के किसी उभरते हुए व्यक्तित्व से जलते हो या उसकी निंदा करते हो तो आप निश्चित रूप से उस समाज के लिए कलंक हो ।* https://whatsapp.com/channel/0029Va65K7RCHDynC3AjPI1d *जय जय श्री राम 🙏🏻* *जय हिन्द 🇮🇳* *सदैव प्रसन्न रहिये।* *जो प्राप्त है, पर्याप्त है।।* 🙏🙏🙏🙏🌳🦚🦚🌳🙏🙏🙏 ।।राम_राम।।

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सुमनोहर__कहानियां
सुमनोहर__कहानियां
5/18/2025, 4:57:44 AM

।।राम_राम।। *✨✨सुप्रभात✨✨* https://whatsapp.com/channel/0029Va65K7RCHDynC3AjPI1d *🌳🦚आज की कहानी🦚🌳* *💐💐खाली कुर्सी💐💐* एक बेटी ने एक संत से आग्रह किया कि वो घर आकर उसके बीमार पिता से मिलें, प्रार्थना करें...बेटी ने ये भी बताया कि उसके बुजुर्ग पिता पलंग से उठ भी नहीं सकते... जब संत घर आए तो पिता पलंग पर दो तकियों पर सिर रखकर लेटे हुए थे। एक खाली कुर्सी पलंग के साथ पड़ी थी...संत ने सोचा कि शायद मेरे आने की वजह से ये कुर्सी यहां पहले से ही रख दी गई। संत...मुझे लगता है कि आप मेरी ही उम्मीद कर रहे थे। पिता...नहीं, आप कौन हैं...? संत ने अपना परिचय दिया...और फिर कहा...मुझे ये खाली कुर्सी देखकर लगा कि आप को मेरे आने का आभास था। पिता...ओह ये बात...खाली कुर्सी...आप...आपको अगर बुरा न लगे तो कृपया कमरे का दरवाज़ा बंद करेंगे। संत को ये सुनकर थोड़ी हैरत हुई, फिर भी दरवाज़ा बंद कर दिया। पिता दरअसल इस खाली कुर्सी का राज़ मैंने किसी को नहीं बताया।अपनी बेटी को भी नहीं:पूरी ज़िंदगी, मैं ये जान नहीं सका कि प्रार्थना कैसे की जाती है। मंदिर जाता था, पुजारी के श्लोक सुनता वो सिर के ऊपर से गुज़र जाते। कुछ पल्ले नहीं पड़ता था।मैंने फिर प्रार्थना की कोशिश करना छोड़ दिया। लेकिन चार साल पहले मेरा एक दोस्त मिला;उसने मुझे बताया कि प्रार्थना कुछ नहीं भगवान से सीधे संवाद का माध्यम होती है। उसी ने सलाह दी कि एक खाली कुर्सी अपने सामने रखो..फिर विश्वास करो कि वहां भगवान खुद ही विराजमान हैं...अब भगवान से ठीक वैसे ही बात करना शुरू करो, जैसे कि अभी तुम मुझसे कर रहे हो! मैंने ऐसा करके देखा मुझे बहुत अच्छा लगा। फिर तो मैं रोज़ दो-दो घंटे ऐसा करके देखने लगा। लेकिन ये ध्यान रखता कि मेरी बेटी कभी मुझे ऐसा करते न देख ले। अगर वो देख लेती तो उसका ही नर्वस ब्रेकडाउन हो जाता या वो फिर मुझे साइकाइट्रिस्ट के पास ले जाती। ये सब सुनकर संत ने बुजुर्ग के लिए प्रार्थना की...सिर पर हाथ रखा और भगवान से बात करने के क्रम को जारी रखने के लिए कहा...संत को उसी दिन दो दिन के लिए शहर से बाहर जाना था...इसलिए विदा लेकर चले गए। दो दिन बाद बेटी का संत को फोन आया कि उसके पिता की उसी दिन कुछ घंटे बाद मृत्यु हो गई थी, जिस दिन वो आप से मिले थे। संत ने पूछा कि उन्हें प्राण छोड़ते वक्त कोई तकलीफ़ तो नहीं हुई। बेटी ने जवाब दिया नहीं, मैं जब घर से काम पर जा रही थी तो उन्होंने मुझे बुलाया मेरा माथा प्यार से चूमा ये सब करते हुए उनके चेहरे पर ऐसी शांति थी, जो मैंने पहले कभी नहीं देखी थी।जब मैं वापस आई तो वो हमेशा के लिए आंखें मूंद चुके थे। लेकिन मैंने एक अजीब सी चीज़ भी देखी वो ऐसी मुद्रा में थे जैसे कि खाली कुर्सी पर किसी की गोद में अपना सिर झुकाया हो संत जी, वो क्या था। ये सुनकर संत की आंखों से आंसू बह निकले बड़ी मुश्किल से बोल पाए...काश, मैं भी जब दुनिया से जाऊं तो ऐसे ही जाऊं। किन साँसों का मैं एतबार करूँ जो अंत में मेरा साथ छोड़ जाऐंगी..!! किस धन का मैं अंहकार करूँ जो अंत में मेरे प्राणों को बचा ही नहीं पाएगा..!! किस तन पे मैं अंहकार करूँ जो अंत में मेरी आत्मा का बोझ भी नहीं उठा पाएगा..!! ऊपरवाले की अदालत में वकालत नहीं होती.. ....और यदि सजा हो जाये तो जमानत नहीं होती.....। https://whatsapp.com/channel/0029Va65K7RCHDynC3AjPI1d *यह ग्रुप एक प्रेरणा स्रोत और जिंदगी जीने के नजरिया को जाहिर करता है इस ग्रुप में हर रोज धार्मिक, प्रेरणादायक कहानियां और आत्मविश्वास से जुड़ी गाथा भेजी जाती है कृपया इस ग्रुप को लिंक से जॉइन करें* https://whatsapp.com/channel/0029Va65K7RCHDynC3AjPI1d *आप चाहे किसी भी समाज से हो, अगर आप अपने समाज के किसी उभरते हुए व्यक्तित्व से जलते हो या उसकी निंदा करते हो तो आप निश्चित रूप से उस समाज के लिए कलंक हो ।* https://whatsapp.com/channel/0029Va65K7RCHDynC3AjPI1d *जय जय श्री राम 🙏🏻* *जय हिन्द 🇮🇳* *सदैव प्रसन्न रहिये।* *जो प्राप्त है, पर्याप्त है।।* 🙏🙏🙏🙏🌳🦚🦚🌳🙏🙏🙏 ।।राम_राम।।

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सुमनोहर__कहानियां
सुमनोहर__कहानियां
5/22/2025, 2:15:12 AM

।।राम_राम।। *✨✨सुप्रभात✨✨* https://whatsapp.com/channel/0029Va65K7RCHDynC3AjPI1d *🌳🦚आज की कहानी🦚🌳* *💐💐शत्रु चुनना💐💐* अक्सर लोग अपने दोस्तों के साथ काफी समय और शक्ति गंवाते हैं। लेकिन ये दोस्त तभी तक होते हैं, जब तक सब ठीक चल रहा होता है। जब कोई आपदा आती है, तब पता चलता है कि सब भाग गए। वस्तुतः हमारी दोस्ती इतनी गहरी नहीं होती, जितनी दुश्मनी । इसलिए ओशो कहते हैं, अगर दुश्मनी करनी हो, तो छोटे-मोटे दुश्मन मत चुनना। जितना बड़ा दुश्मन चुनोगे, उतनी ही बड़ी तुम्हारी विजय होगी उससे लड़ने में चुनौती है। छोटे-मोटे को हरा भी दिया, तो क्या सार है? जितना छोटा दुश्मन होगा, आपको उतना ही छोटा बनना पड़ेगा। *इस पर एक कथा है । एक गधे ने सिंह को चुनौती दी - 'अगर हिम्मत है, तो आओ मैदान में, हो जाए दो-दो हाथ।' लेकिन सिंह चुपचाप चला गया। एक सियार यह देख- सुन रहा था। उसने कुछ आगे बढ़कर सिंह से पूछा 'महाराज, बात क्या है? एक गधे की चुनौती भी आपने स्वीकार नहीं की ?' सिंह ने कहा- 'अगर उसकी चुनौती स्वीकार करता, तो अफवाह यह उड़ती कि सिंह गधे से लड़ा मेरी भयंकर बदनामी होती। हमारे कुल, परंपरा में ऐसा नहीं हुआ कि गधे से लड़ें। हम सिंह गधे को समाप्त कर सकते हैं, लड़ना क्या है? अगर गधा हारता, तो उसका कोई अपमान नहीं होता; हम जीतते भी, तो कोई सम्मान नहीं होता। लोग कहते, गधे से जीते तो क्या जीते ! और कहीं भूल से गधा जीत जाता, अब गधे ही हैं, इनका भरोसा क्या, तो हम सदा के लिए मारे जाते । इसलिए मैं चुपचाप चला आया।'* *इसलिए दुश्मन जरा बड़ा चुनें, क्योंकि बड़े शत्रु से लड़ने के लिए आपको पूरी ताकत लगानी पड़ेगी। यह चुनौती, संघर्ष आपको अवसर देगा आत्म-विकास का।* https://whatsapp.com/channel/0029Va65K7RCHDynC3AjPI1d *जय जय श्री राम 🙏🏻* *जय हिन्द 🇮🇳* *सदैव प्रसन्न रहिए।* *जो प्राप्त है पर्याप्त है।।* ।।राम_राम।।

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सुमनोहर__कहानियां
सुमनोहर__कहानियां
5/23/2025, 1:57:01 AM

।।राम_राम।। *✨✨सुप्रभात✨✨* https://whatsapp.com/channel/0029Va65K7RCHDynC3AjPI1d *🌳🦚आज की कहानी🦚🌳* *💐💐 एक अदृश्य स्टिकर💐💐* मेरे आगे वाली कार कछुए की तरह चल रही थी और मेरे बार-बार हॉर्न देने पर भी रास्ता नहीं दे रही थी। मैं अपना आपा खो कर चिल्लाने ही वाला था कि मैंने कार के पीछे लगा एक छोटा सा स्टिकर देखा जिस पर लिखा था _"शारीरिक विकलांग; कृपया धैर्य रखें"!_ और यह पढ़ते ही जैसे सब-कुछ बदल गया!! मैं तुरंत ही शांत हो गया और कार को धीमा कर लिया। यहाँ तक की मैं उस कार और उसके ड्राईवर का विशेष खयाल रखते हुए चलने लगा कि कहीं उसे कोई तक़लीफ न हो। मैं ऑफिस कुछ मिनट देर से ज़रुर पहुँचा मगर मन में एक संतोष था। इस घटना ने दिमाग को हिला दिया। क्या मुझे हर बार शांत करने और धैर्य रखने के लिए किसी स्टिकर की ही ज़रुरत पड़ेगी? हमें लोगों के साथ धैर्यपूर्वक व्यवहार करने के लिए हर बार किसी स्टिकर की ज़रुरत क्यों पड़ती है? https://whatsapp.com/channel/0029Va65K7RCHDynC3AjPI1d क्या हम लोगों से धैर्यपूर्वक अच्छा व्यवहार सिर्फ तब ही करेंगे जब वे अपने माथे पर कुछ ऐसे स्टिकर्स चिपकाए घूम रहे होंगे कि "मेरी नौकरी छूट गई है", "मैं कैंसर से संघर्ष कर रहा हूँ", "मेरी शादी टूट गई है", "मैं भावनात्मक रुप से टूट गया हूँ", "मुझे प्यार में धोखा मिला है", "मेरे प्यारे दोस्त की अचानक ही मौत हो गई", "लगता है इस दुनिया को मेरी ज़रुरत ही नहीं", "मुझे व्यापार में बहुत घाटा हो गया है"......आदि! दोस्तों, हर इंसान अपनी ज़िंदगी में कोई न कोई ऐसी जंग लड़ रहा है जिसके बारे में हम कुछ नहीं जानते। बस हम यही कर सकते हैं कि लोगों से धैर्य और प्रेम से बात करें। संभव हो तो इन अदृश्य स्टिकर्स को सम्मान दें! https://whatsapp.com/channel/0029Va65K7RCHDynC3AjPI1d *जय जय श्री राम 🙏🏻* *जय हिन्द 🇮🇳* *सदैव प्रसन्न रहिए।* *जो प्राप्त है, पर्याप्त है।।* ।।राम_राम।।

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सुमनोहर__कहानियां
सुमनोहर__कहानियां
5/20/2025, 11:46:55 PM

।।राम_राम।। *✨✨सुप्रभात✨✨* https://whatsapp.com/channel/0029Va65K7RCHDynC3AjPI1d *🌳🦚आज की कहानी🦚🌳* *💐💐वाणी पर नियंत्रण💐💐* एक बार एक बूढ़े आदमी ने अफवाह फैलाई कि उसके पड़ोस में रहने वाला नौजवान चोर है। यह बात दूर - दूर तक फैल गई आस - पास के लोग उस नौजवान से बचने लगे। नौजवान परेशान हो गया कोई उस पर विश्वास ही नहीं करता था। तभी गाँव में चोरी की एक वारदात हुई और शक उस नौजवान पर गया उसे गिरफ्तार कर लिया गया। लेकिन कुछ दिनों के बाद सबूत के अभाव में वह निर्दोष साबित हो गया। https://whatsapp.com/channel/0029Va65K7RCHDynC3AjPI1d निर्दोष साबित होने के बाद वह नौजवान चुप नहीं बैठा उसने बूढ़े आदमी पर गलत आरोप लगाने के लिए मुकदमा दायर कर दिया। पंचायत में बूढ़े आदमी ने अपने बचाव में सरपंच से कहा.. मैंने जो कुछ कहा था, वह एक टिप्पणी से अधिक कुछ नहीं था किसी को नुकसान पहुंचाना मेरा मकसद नहीं था। सरपंच ने बूढ़े आदमी से कहा... आप एक कागज के टुकड़े पर वो सब बातें लिखें, जो आपने उस नौजवान के बारे में कहीं थीं.. ...और जाते समय उस कागज के टुकड़े - टुकड़े करके घर के रस्ते पर फ़ेंक दें कल फैसला सुनने के लिए आ जाएँ.. बूढ़े व्यक्ति ने वैसा ही किया.. अगले दिन सरपंच ने बूढ़े आदमी से कहा कि फैसला सुनने से पहले आप बाहर जाएँ और उन कागज के टुकड़ों को... जो आपने कल बाहर फ़ेंक दिए थे, इकट्ठा कर ले आएं... बूढ़े आदमी ने कहा मैं ऐसा नहीं कर सकता.. उन टुकड़ों को तो हवा कहीं से कहीं उड़ा कर ले गई होगी... अब वे नहीं मिल सकेंगें... मैं कहाँ - कहाँ उन्हें खोजने के लिए जाऊंगा ? सरपंच ने कहा 'ठीक इसी तरह, एक सरल - सी टिप्पणी भी किसी का मान - सम्मान उस सीमा तक नष्ट कर सकती है... जिसे वह व्यक्ति किसी भी दशा में दोबारा प्राप्त करने में सक्षम नहीं हो सकता। इसलिए यदि किसीके बारे में कुछ अच्छा नहीं कह सकते, तो चुप रहें। वाणी पर हमारा नियंत्रण होना चाहिए, ताकि हम शब्दों के दास न बनें  l इस कहानी का राजनीति से कोई सम्बन्ध नहीं है https://whatsapp.com/channel/0029Va65K7RCHDynC3AjPI1d *यह ग्रुप एक प्रेरणा स्रोत और जिंदगी जीने के नजरिया को जाहिर करता है इस ग्रुप में हर रोज धार्मिक, प्रेरणादायक कहानियां और आत्मविश्वास से जुड़ी गाथा भेजी जाती है कृपया इस ग्रुप को लिंक से जॉइन करें* https://whatsapp.com/channel/0029Va65K7RCHDynC3AjPI1d *हिन्दू है हम👇👇👇👇* https://whatsapp.com/channel/0029Va65K7RCHDynC3AjPI1d *आप चाहे किसी भी समाज से हो, अगर आप अपने समाज के किसी उभरते हुए व्यक्तित्व से जलते हो या उसकी निंदा करते हो तो आप निश्चित रूप से उस समाज के लिए कलंक हो ।* https://whatsapp.com/channel/0029Va65K7RCHDynC3AjPI1d *जय जय श्री राम 🙏🏻* *जय हिन्द 🇮🇳* *सदैव प्रसन्न रहिये।* *जो प्राप्त है, पर्याप्त है।।* 🙏🙏🙏🙏🌳🦚🦚🌳🙏🙏🙏 ।।राम_राम।।

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सुमनोहर__कहानियां
सुमनोहर__कहानियां
5/17/2025, 1:49:37 AM

।।राम_राम।। *✨✨सुप्रभात✨✨* https://whatsapp.com/channel/0029Va65K7RCHDynC3AjPI1d *🌳🦚आज की कहानी🦚🌳* *💐💐सुखी आदमी के जूते💐💐* एक व्यक्ति अपने गुरु के पास गया और बोला, गुरुदेव, दुख से छूटने का कोई उपाय बताइए। शिष्य ने थोड़े शब्दों में बहुत बड़ा प्रश्न किया था। दुखों की दुनिया में जीना लेकिन उसी से मुक्ति का उपाय भी ढूंढना! बहुत मुश्किल प्रश्न था। गुरु ने कहा, एक काम करो, जो आदमी सबसे सुखी है, उसके पहने हुए जूते लेकर आओ। फिर मैं तुझे दुख से छूटने का उपाय बता दूंगा। शिष्य चला गया। एक घर में जाकर पूछा, भाई, तुम तो बहुत सुखी लगते हो। अपने जूते सिर्फ आज के लिए मुझे दे दो। उसने कहा, कमाल करते हो भाई! मेरा पड़ोसी इतना बदमाश है कि क्या कहूं? ऐसी स्थिति में मैं सुखी कैसे रह सकता हूं? मैं तो बहुत दुखी इंसान हूं। वह दूसरे घर गया। दूसरा बोला, अब क्या कहूं भाई? सुख की तो बात ही मत करो। मैं तो पत्नी की वजह से बहुत परेशान हूं। ऐसी जिंदगी बिताने से तो अच्छा है कि कहीं जाकर साधु बन जाऊं। सुखी आदमी देखना चाहते हो तो किसी और घर जाओ। वह तीसरे घर गया, चैथे घर गया। किसी की पत्नी के पास गया तो वह पति को क्रूर बताती, पति के पास गया तो वह पत्नी को दोषी कहता। पिता के पास गया तो वह पुत्र को बदमाश बताता। पुत्र के पास गया तो पिता की वजह से खुद को दुखी बताता। सैकड़ों-हजारों घरों के चक्कर लगा आया। सुखी आदमी के जूते मिलना तो दूर खुद के ही जूते घिस गए। शाम को वह गुरु के पास आया और बोला, मैं तो घूमते-घूमते परेशान हो गया। न तो कोई सुखी मिला और न सुखी आदमी के जूते। गुरु ने पूछा, लोग क्यों दुखी हैं? उन्हें किस बात का दुख है? उसने कहा, किसी का पड़ोसी खराब है। कोई पत्नी से परेशान, कोई पति से दुखी तो कोई पुत्र से परेशान है। आज हर आदमी दूसरे आदमी के कारण दुख भोग रहा है। गुरु ने बताया, सुख का सूत्र है - दूसरे की ओर नहीं, बल्कि अपनी ओर देखो। खुद में झांको। खुद की काबिलियत पर गौर करो। प्रतिस्पर्द्धा करनी है तो खुद से करो, दूसरों से नहीं। जीवन तुम्हारी यात्रा है। दूसरों को देखकर अपने रास्ते मत बदलो। खुद को सुनो, खुद को देखो। यही सुख का सूत्र है। शिष्य बोला, महाराज, बात तो आपकी सत्य है लेकिन यही आप मुझे सुबह भी बता सकते थे। फिर इतनी परिक्रमा क्यों करवाई? गुरु ने कहा, वत्स, सत्य दुष्पाच्य होता है। वह सीधा नहीं पचता। अगर यह बात मैं सुबह बता देता तो तू हर्गिज नहीं मानता। जब स्वयं अनुभव कर लिया, सबकी परिक्रमा कर ली, सबके चक्कर लगा लिए, तो बात समझ में आ गई। अब ये बात तुम पूरे जीवन में नहीं भूलोगे। जीवन तुम्हारी यात्रा है। दूसरों को देखकर अपने रास्ते मत बदलो। *यह ग्रुप एक प्रेरणा स्रोत और जिंदगी जीने के नजरिया को जाहिर करता है इस ग्रुप में हर रोज धार्मिक, प्रेरणादायक कहानियां और आत्मविश्वास से जुड़ी गाथा भेजी जाती है कृपया इस ग्रुप को लिंक से जॉइन करें* *`ऐसे और पोस्ट देखने के लिए जुड़िये समूह में,,,, जुड़ने के लिए क्लिक करें 👇👇`* https://whatsapp.com/channel/0029Va65K7RCHDynC3AjPI1d *हिन्दू है हम👇👇👇👇* https://whatsapp.com/channel/0029Va65K7RCHDynC3AjPI1d *आप चाहे किसी भी समाज से हो, अगर आप अपने समाज के किसी उभरते हुए व्यक्तित्व से जलते हो या उसकी निंदा करते हो तो आप निश्चित रूप से उस समाज के लिए कलंक हो ।* *जय जय श्री राम 🙏🏻* *जय हिन्द 🇮🇳* *सदैव प्रसन्न रहिये।* *जो प्राप्त है, पर्याप्त है।।* 🙏🙏🙏🙏🌳🦚🦚🌳🙏🙏🙏 ।।राम_राम।।

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सुमनोहर__कहानियां
सुमनोहर__कहानियां
5/19/2025, 1:55:53 AM

।।राम_राम।। *✨✨सुप्रभात✨✨* https://whatsapp.com/channel/0029Va65K7RCHDynC3AjPI1d *🌳🦚आज की कहानी🦚🌳* *💐💐भ्रम💐💐* एक दिन एक राजा ने राजपंडित को बुलाया और उसे बहुत सख्ती से आदेश दिया, "राजा परीक्षित ने सुखदेव से भगवत गीता सुनकर मोक्ष प्राप्त किया था। उन्हें केवल सात दिन लगे। मैं आपको सभी बंधनों से मुझे मुक्त कराने के लिए एक महीने का समय दे रहा हूँ ताकि मैं मोक्ष प्राप्त कर सकूँ। यदि आप ऐसा नहीं कर पाए तो, मैं आपकी सारी संपत्ति जब्त कर लूँगा, और आप को मृत्यु दण्ड दूँगा।” इस आदेश ने राजपंडित को अत्यधिक चिंतित कर दिया और वह इस चिंता में अब न तो खा सकता था और न ही सो सकता था। उसका तनाव दिन-ब-दिन बढ़ता ही जा रहा था। एक दिन संयोग से जब वह अपने परिवार के साथ भोजन कर रहा था तो उसका बेटा, जो आमतौर पर अपना भोजन अलग से करता था और जो अपने पिता से यदा-कदा ही मिलता था। एक दिन बेटे ने गौर किया कि उसके पिता बहुत उदास दिख रहे थे। उसने अपने पिता से उदासी का कारण पूछा। राजपंडित उत्तर देने के लिए अनिच्छुक थे क्योंकि उन्होंने अपने बेटे से कुछ उम्मीद नहीं। हालांकि उसकी माँ ने उसे परेशानी का पूरा कारण बता दिया। पुत्र बिल्कुल भी विचलित नहीं हुआ और उसने शांति से अपने पिता से कहा, "पिताजी, आप चिंता न करें। और राजा से कहें के मुझे अपना गुरु स्वीकार करके मेरे निर्देशों का अक्षरशः पालन करने के लिये कहें।" पिता ने सोचा कि बेटा शायद उन्हें बचाने के लिए कोई तरकीब सोच रहा होगा, इसलिए वह उसे राजा के पास लेे गया और राजा को अपने बेटे के प्रस्ताव के बारे में बताया। राजा मान गया और अगले दिन राजपंडित अपने पुत्र के साथ दरबार में आया। सभी बंधनों से मुक्त होने के लिए, राजा ने राजपंडित के पुत्र को अपने गुरु के रूप में स्वीकार किया और निर्देशों की प्रतीक्षा में उसके चरणों में बैठ गया। दरबार में भीड़ थी और सभी की निगाहें राजा और उनके गुरु पर टिकी थीं। सभी को आश्चर्य हुआ जब राजपंडित के पुत्र ने राजा से एक बहुत मजबूत रस्सी लाने को कहा। https://whatsapp.com/channel/0029Va65K7RCHDynC3AjPI1d राजपंडित यह सोचकर बहुत परेशान हो गया कि उसका बेटा भला यह क्या मूर्खता कर रहा है। वह डर गया, और सोचा कि क्या उसका बेटा किसी को रस्सी से बांधेगा, या कहीं वो स्वयं राजा को ही तो नहीं बांध देगा? तभी पुत्र ने आज्ञा दी, "राजा को उस खम्भे से बान्ध दिया जाए।" राजा वचन से बंधा था इसलिए वह खंभे से बंधने के लिए सहमत हो गया। इसके बाद पुत्र ने अपने पिता को दूसरे खम्भे से बाँधने का आदेश दिया। तो अब स्वयं राजपंडित भी बंधा हुआ था। https://whatsapp.com/channel/0029Va65K7RCHDynC3AjPI1d अब तो राजपंडित बहुत उत्तेजित हो गया। वह अपने बेटे को मन ही मन कोस रहा था और उसे दंडित करने की सोच रहा था। तभी उसके बेटे ने उसे निर्देश दिया, "अब, पिताजी आप राजा को खोल दीजिए।" राजपंडित क्रोधित हो गया और क्रोध में चिल्लाया, "अरे मूर्ख! क्या तुम देख नहीं सकते कि मैं स्वयं बंधा हुआ हूं? क्या एक आदमी जो खुद बंधा हुआ है, दूसरे आदमी के बंधन को खोल सकता है? क्या तुम नहीं समझते कि यह एक असंभव कार्य है? " राजा ने अपने युवा गुरु को संबोधित करते हुए एक शांत और सम्मानजनक स्वर में कहा, "मैं समझ गया मेरे गुरु। जो स्वयं सांसारिक मामलों में बंधा हुआ है, 'माया' से बंधा हुआ है, वह संभवतः दूसरे व्यक्ति को मुक्त नहीं कर सकता है । जो संसार का त्याग कर माया के संसार से परे चले गए हैं, जिन्होंने स्वतंत्रता प्राप्त कर ली है, वे ही दूसरे मनुष्य को मुक्त कर सकते हैं। वे ही दूसरों के बंधनों को तोड़ सकते हैं।" https://whatsapp.com/channel/0029Va65K7RCHDynC3AjPI1d *यह ग्रुप एक प्रेरणा स्रोत और जिंदगी जीने के नजरिया को जाहिर करता है इस ग्रुप में हर रोज धार्मिक, प्रेरणादायक कहानियां और आत्मविश्वास से जुड़ी गाथा भेजी जाती है कृपया इस ग्रुप को लिंक से जॉइन करें* *`ऐसे और पोस्ट देखने के लिए और जुड़ने के लिए क्लिक करें 👇👇`* https://whatsapp.com/channel/0029Va65K7RCHDynC3AjPI1d *हिन्दू है हम👇👇👇👇* https://whatsapp.com/channel/0029Va65K7RCHDynC3AjPI1d *आप चाहे किसी भी समाज से हो, अगर आप अपने समाज के किसी उभरते हुए व्यक्तित्व से जलते हो या उसकी निंदा करते हो तो आप निश्चित रूप से उस समाज के लिए कलंक हो ।* https://whatsapp.com/channel/0029Va65K7RCHDynC3AjPI1d *जय जय श्री राम 🙏🏻* *जय हिन्द 🇮🇳* *सदैव प्रसन्न रहिये।* *जो प्राप्त है, पर्याप्त है।।* 🙏🙏🙏🙏🌳🦚🦚🌳🙏🙏🙏 ।।राम_राम।।

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सुमनोहर__कहानियां
5/15/2025, 2:09:29 AM

।।राम_राम।। *✨✨सुप्रभात✨✨* https://whatsapp.com/channel/0029Va65K7RCHDynC3AjPI1d *🌳🦚आज की कहानी🦚🌳* *💐💐निःस्वार्थ सेवा💐💐* दो तीन दिन पहले की बात है। अपनी 8 बर्षीय पुत्री को  स्कूल से घर वापस लाने तीन बजे स्कूल के गेट पर पहुंच गया था। तीन बजकर दस मिनट से जुनियर के.जी.के छात्र बाहर आना शुरू करते हैं जबकि सीनियर छात्र तीन बजे से।गेट पर अभिभावकों की भीड़ लगी थी। एकाएक तेज बारिश शुरु हो गई। सभी ने अपनी छतरी तान ली। मेरे बगल में एक सज्जन बिना छतरी के खड़े थे। मैंने शिष्टाचार वश उन्हें अपनी  छतरी में ले लिया।   ''गाडी से जल्दी जल्दी में आ गया, छतरी नहीं ला सका। " उन्होंने कहा"कोई बात नहीं, ऐसा अक्सर हो जाता है।" जब उनका बेटा रेन कोट पहने निकला तो मैंने उन्हें छाता से गाड़ी तक पहुंचा दिया। उन्होंने मुझे गौर से देखा और धन्यवाद कहकर चले गए। https://whatsapp.com/channel/0029Va65K7RCHDynC3AjPI1d कल रात में नो बजे पाटिल साहब का बेटा आया।"अंकल गाड़ी की जरूरत थी।रूबी(उस की छ:माह की बेटी) की तवियत बहुत ख़राब है।उसे डाक्टर के पास ले जाना है।" "चलो चलते हैं"अंधेरी बरसाती रात में जब डाक्टर के यहां हमलोग पहुंचे तो दरवान गेट बंद कर रहा था।कम्पाऊंडर ने बताया कि डॉ.साहब लास्ट पेशेंट दैख रहे हैं ,अब उठने ही वाले है।अब सोमवार का नम्बर लगेगा। मैं कम्पाउंडर से आज ही दिखाने का आग्रह कर ही रहा था कि डाक्टर साहब चैम्बर से घर जाने के लिए बाहर आए। मुझे देखा तो ठिठक गए फिर बोले," अरे आप आए हैं? सर,क्या बात है?" कहना नहीं होगा कि डाक्टर साहब वही सज्जन थे जिन्हें स्कूल में मैंने छतरी से गाड़ी तक पहुंचाया था। डाक्टर साहब ने बच्ची से मेरा रिश्ता पूछा। "मेरे मित्र पाटिल साहब की बेटी है। हमलोग एक ही सोसायटी में रहते हैं।" उन्होंने बच्ची को देखा, कागज पर दवा लिखी और कम्पाउन्डर को हिदायत दी,"यह इंजेक्शन बच्ची को तुरंत लगा दो और दो तीन दिन की दवा अपने पास से दे दो।" मैंने एतराज किया तो बोले,"अब कहां इस बरसाती रात में आप दवा खोजते फिरेंगे सर। कुछ तो अपना रंग मुझ पर भी चढ़ने दीजिए।" बहुत कहने पर भी डॉ.साहब ने ना फीस ली ना दवा का दाम ,और अपने कम्पाउंडर से बोले,"सर हमारे मित्र हैं,जब भी आयें तो आने देना।"गाड़ी तक पहुंचाने आये और कहा,"सर आप जैसे निस्वार्थ  समाजसेवी क्या इसी दुनिया में रहते हैं?" निस्वार्थ सेवा करते रहिए शायद आप का रंग औरो पर भी चढ़जाये ,जिसे भी आवश्यकता हो  निःस्वार्थ सेवा भाव से उसकी मदद करें आपको एक विशिष्ट शांति प्राप्त होगी। *यह ग्रुप एक प्रेरणा स्रोत और जिंदगी जीने के नजरिया को जाहिर करता है इस ग्रुप में हर रोज धार्मिक, प्रेरणादायक कहानियां और आत्मविश्वास से जुड़ी गाथा भेजी जाती है कृपया इस ग्रुप को लिंक से जॉइन करें* https://whatsapp.com/channel/0029Va65K7RCHDynC3AjPI1d *आप चाहे किसी भी समाज से हो, अगर आप अपने समाज के किसी उभरते हुए व्यक्तित्व से जलते हो या उसकी निंदा करते हो तो आप निश्चित रूप से उस समाज के लिए कलंक हो ।* https://whatsapp.com/channel/0029Va65K7RCHDynC3AjPI1d *जय जय श्री राम 🙏🏻* *जय हिन्द 🇮🇳* *सदैव प्रसन्न रहिये।* *जो प्राप्त है, पर्याप्त है।।* 🙏🙏🙏🙏🌳🦚🦚🌳🙏🙏🙏 ।।राम_राम।।

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सुमनोहर__कहानियां
सुमनोहर__कहानियां
5/14/2025, 2:17:09 AM

।।राम_राम।। *✨✨सुप्रभात✨✨* https://whatsapp.com/channel/0029Va65K7RCHDynC3AjPI1d *🌳🦚आज की कहानी🦚🌳* *💐💐मस्तराम का खजाना💐💐* राजा-महाराजाओं के जमाने की बात है। किसी गांव में मस्तराम नाम का एक युवक रहता था। वह था तो बहुत गरीब और उसे मुश्किल से ही भरपेट भोजन मिल पाता था। मगर फिर भी वह चिंता नहीं करता था और सदा हंसता-मुस्कराता रहता था।  उसमें एक खास बात यह थी कि वह लोगों की मदद करने के लिए हमेशा तैयार रहता था। कोई उससे जो भी काम करने को कहता था वह तुरंत कर देता था और बदले में जो भी मजदूरी मिलती थी उसे खुशी-खुशी ले लेता था। बस यही उसकी आमदनी थी और इसी में उसका गुजारा होता था। एक दिन मस्तराम किसी धनी सेठ के यहां काम के लिए गया और सेठ उसके काम से बहुत खुश हो गए। उन्होंने खुश होकर मस्तराम से पूछा-“भाई,मस्तराम मैं तुम्हारे काम से बहुत खुश हूं। मैं तुम्हें इनाम देना चाहता हूं। बोलो तुम्हें क्या इनाम चाहिए?” मस्तराम ने मजाक-मजाक में कह दिया कि-“सेठ जी, मेरे लिए ऐसी पोशाक बनवा दीजिए जिसे पहनकर मैं भी आप जैसा सेठ दिखने लगूं।” मस्तराम की बात सुनकर सेठ हंसने लगे और फिर उन्होंने सचमुच ही उसके लिए एक कीमती पोशाक बनवा कर दे दी। उस पोशाक को पाकर मस्तराम बहुत खुश हुआ। घर जाकर खूब अच्छे से नहा-धोकर उसने वह पोशाक पहनी और फिर लोगों को दिखाने के लिए घर से निकल लिया। घर से निकलने के बाद उसकी मुलाकात एक किसान से हुई। किसान मस्तराम की महंगी पोशाक देखकर कहने लगा-“बड़ी कीमती पोशाक है! बहुत बड़े से सेठ लगते हो?” किसान की बात सुनकर मस्तराम पर मस्ती छा गयी और फिर सेठों के जैसा रौब दिखाते हुए बोला-“सेठ क्या चीज़ है मेरे सामने! मेरे पास तो वो कीमती खजाना है जो यहां के राजा के पास भी नहीं है।” यह सुनकर किसान हैरत में पड़ गया और उसने तीन बार ताली बजाई। जैसे ही किसान ने ताली बजाई वहां पर चार लोग आए और वे मस्तराम को पकड़ कर अपने साथ ले गए। दरअसल वह किसान राजा था और उस समय किसान के भेष में घूम रहा था। उसके साथ उसके चार सैनिक भी भेष बदल कर घूम रहे थे। सैनिक मस्तराम को दरबार में ले आए और फिर राजा ने मस्तराम सवाल किया-“सुनो नौजवान, जल्दी से हमें बता दो कि तुमने खजाने को कहां छिपा रखा है?” “महाराज, मैंने खजाने को कहीं नहीं छिपाया है।” “कुछ देर पहले तो कह रहे थे कि तुम्हारे पास तो वो कीमती खजाना है जो राजा के पास भी नहीं है।” “महाराज, वो तो मैं अब भी कह रहा हूं।” “तो फिर बताते क्यों नहीं कि कहां छिपा रखा है? जल्दी से बता दो,अन्यथा फिर कोड़ों की मार पड़ेगी और रोते-रोते बताना पड़ेगा।” कोड़ों की बात सुनकर मस्तराम हंसने लगा और यह देखकर राजा को उस पर बहुत क्रोध आया। वह बोले-“मूर्ख आदमी, तू कोड़ों खाने की बात पर भी हंस रहा है! क्या तुझे डर नहीं लगता?” इस बार मस्तराम हाथ जोड़ कर खड़ा हो गया और बोला-“क्षमा करें महाराज, सच में ही मेरे पास आपके और दुनिया के सब खजानों से कीमती खजाना है। मगर वह धन का नहीं, बल्कि मन का खजाना है। मेरे पास ऐसा मन है जिसमें मैंने मस्ती और उत्साह के दो पात्रों में संतोष और प्रसन्नता को जमा करके रखा है। इसी कारण मैं कभी चिंता में नहीं पड़ता हूं और हमेशा हर स्थिति में हंसता-मुस्कराता रहता हूं। अब आप ही बताइए कि क्या दुनिया में इससे कीमती भी कोई खजाना हो सकता है क्या?” मस्तराम के इस खजाने के बारे में जानकर राजा को बड़ी खुशी हुई और बोले-“मस्तराम, सच में ही तुम्हारा खजाना सब खजानों से कीमती खजाना है और तुम दुनिया के सबसे अमीर आदमी हो।” https://whatsapp.com/channel/0029Va65K7RCHDynC3AjPI1d *यह ग्रुप एक प्रेरणा स्रोत और जिंदगी जीने के नजरिया को जाहिर करता है इस ग्रुप में हर रोज धार्मिक, प्रेरणादायक कहानियां और आत्मविश्वास से जुड़ी गाथा भेजी जाती है कृपया इस ग्रुप को लिंक से जॉइन करें* https://whatsapp.com/channel/0029Va65K7RCHDynC3AjPI1d *हिन्दू है हम👇👇👇👇* https://whatsapp.com/channel/0029Va65K7RCHDynC3AjPI1d *आप चाहे किसी भी समाज से हो, अगर आप अपने समाज के किसी उभरते हुए व्यक्तित्व से जलते हो या उसकी निंदा करते हो तो आप निश्चित रूप से उस समाज के लिए कलंक हो ।* https://whatsapp.com/channel/0029Va65K7RCHDynC3AjPI1d *जय जय श्री राम 🙏🏻* *जय हिन्द 🇮🇳* *सदैव प्रसन्न रहिये।* *जो प्राप्त है, पर्याप्त है।।* 🙏🙏🙏🙏🌳🦚🦚🌳🙏🙏🙏 ।।राम_राम।।

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सुमनोहर__कहानियां
सुमनोहर__कहानियां
5/16/2025, 12:48:15 AM

।।राम_राम।। *✨✨सुप्रभात✨✨* https://whatsapp.com/channel/0029Va65K7RCHDynC3AjPI1d *🌳🦚आज की कहानी🦚🌳* *💐💐बेसहारा का सहारा💐💐* ट्रेन से उतरते ही मैंने घर फ़ोन किया- कि कुछ लाना तो नहीं है। पत्नी ने कहा: एक किलो खरबूजे लेते आना।तभी मुझे सड़क किनारे मीठे और ताज़ा खरबूजा बेचते हुए एक बीमार सी दिखने वाली बुढ़िया दिख गयी। वैसे तो मैं हमेशा, "फल" चौरासी घंटे वाले मंदिर के पास की दुकान से ही लेता था पर आज मुझे लगा कि क्यों न बुढ़िया से ही खरीद लूँ...? मैंने उससे पूछा: माई! खरबूजा कैसे दिए । https://whatsapp.com/channel/0029Va65K7RCHDynC3AjPI1d वो बोली, बाबूजी 40 रूपये किलो, मैंने कहा : माई 30 रूपये दूँगा। बुढ़िया ने कहा: 35 रूपये दे देना, दो पैसे मैं भी कमा लूंगी। 30 रूपये लेने हैं- तो बोलो! बुझे चेहरे से बुढ़िया ने,"न" मे गर्दन हिला दी। मैं बिना कुछ कहे चल पड़ा ! और फल की बड़ी दुकान पर आकर खरबूजे का भाव पूछा- तो वह बोला: 50 रूपये किलो हैं ! बाबूजी,कितने दूँ...? 5 साल से, मैं फल तुमसे ही ले रहा हूँ ! ठीक भाव लगाओ ! तो उसने सामने लगे बोर्ड की ओर इशारा कर दिया। बोर्ड पर लिखा था- "मोल भाव" करने वाले माफ़ करें। मुझको उसका यह व्यवहार बहुत बुरा लगा, मैं कुछ सोचकर वापस हुआ ! सोचते सोचते उस बुढ़िया के पास पहुँच गया। बुढ़िया ने कहा बाबूजी खरबूजा तो दे दूँ...? पर भाव 35 रूपये से कम नही लगाउंगी ! मैंने मुस्कराकर कहा: माई एक नही दो किलो दे दो और भाव की चिंता मत करो। बुढ़िया का चेहरा ख़ुशी से दमकने लगा। खरबूजा देते हुए बोली मेरे पास थैली नहीं है। एक टाइम था- जब मेरा पति जिन्दा था तब हमारी छोटी सी दुकान थी। सब्ज़ी,फल सब बिकता था ! आदमी की बीमारी मे दुकान चली गयी,और आदमी भी नहीं रहा अब खाने के भी लाले पड़े हैं ; किसी तरह पेट पाल रही हूँ- कोई औलाद भी नहीं है जिसकी ओर मदद के लिए देखूं कहते-कहते वह रुआंसी हो गयी, और उसकी आंखों मे आंसू आ गये। मैंने 200 रूपये का नोट दिया- तो उसने कहा "बाबूजी" मेरे पास छुट्टे नहीं हैं। माई चिंता मत करो", रख लो ! अब मैं तुमसे ही फल खरीदूंगा और कल मै तुम्हें 1000/ रूपये दूँगा धीरे धीरे चुका देना, और परसों से बेचने के लिए मंडी से- दूसरे फल भी ले आना। वह कुछ कह पाती- उसके पहले ही मैं घर की ओर रवाना हो गया। रास्ते भर,सोचते गया न जाने क्यों हम हमेशा मुश्किल से पेट पालने वाले,थड़ी लगा कर सामान बेचने वालों से ही मोल भाव करते हैं ! और बड़ी दुकानों पर मुंह मांगे पैसे दे आते हैं। शायद हमारी मानसिकता ही बिगड़ गयी है शायद हम गुणवत्ता के स्थान पर हम- चकाचौंध पर अधिक ध्यान देने लगे हैं। अगले दिन मैंने बुढ़िया को 1000 रूपये देते हुए कहा ,माई लौटाने की चिंता" मत करना। जो फल खरीदूंगा, उनकी कीमत से ही चुक जाएंगे। जब मैंने अपने दोस्तों को ये किस्सा बताया- तो सबने उसी से फल खरीदना प्रारम्भ कर दिया। लगभग तीन महीने में उसने हाथ ठेला भी खरीद लिया। वह अब बहुत खुश है उचित खान पान से- अब उसका स्वास्थ्य भी पहले से बहुत अच्छा हो गया है। *जीवन मे किसी बेसहारा की मदद करके देखो यारों,अपनी पूरी जिंदगी मे किये गए सभी कार्यों से ज्यादा संतोष मिलेगा...!* https://whatsapp.com/channel/0029Va65K7RCHDynC3AjPI1d *जय जय श्री राम 🙏🏻* *जय हिन्द 🇮🇳* *सदैव प्रसन्न रहिए 🙏🏻* *जो प्राप्त है, पर्याप्त है।* ।।राम_राम।।

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