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*प्रतिदिन एक कहानी प्रेषित होगी _कहानी को पढ़ने के उपरांत यदि उचित लगे तो अन्य समूहों में साझा अवश्य करें..!!_* *बालेन्दु तिवारी* *8358992792*

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6/18/2025, 2:44:34 AM

।।राम_राम।। *✨✨सुप्रभात✨✨* https://whatsapp.com/channel/0029Va65K7RCHDynC3AjPI1d *🌳🦚आज की कहानी🦚🌳* *💐💐 परिश्रम का महत्त्व💐💐* एक गांव में एक धनी मनुष्य रहता था । उसका नाम भैरोमल था । भैरोमल के पास बहुत खेत थे । उसने बहुत से नौकर और मजदूर रख छोड़े थे । भैरोमल बहुत सुस्त और आलसी था । वह कभी अपने खेतों को देखने नहीं जाता था । अपने मजदूर और नौकरों को भेजकर ही वह काम कराता था । मजदूर और नौकर मनमाना काम करते थे | वे लोग खेत पर तो थोड़ी देर काम करते थे , बाकी घर बैठे रहते थे | इधर-उधर घूमते या गप्पे उड़ाया करते थे ,खेत न तो ठिकाने से जोते जाते थे | न सिंचे जाते थे और न उनमें ठीक से खाद पडती थी | खेतों में बीज भी ठिकाने से नहीं पडते थे और उनकी घास(खरपतवार) तो कोई निकालता ही नहीं था | इसका नतीजा यह हुआ कि उपज धीरे-धीरे घटने लगी | थोड़े दिनों में भैरोमल गरीब होने लगा| उसी गांव में रामप्रसाद नामक एक दूसरा किसान था | उसके पास खेत नहीं थे | वह भैरोमल के ही कुछ खेत लेकर खेती करता था | किंतु; था ! परिश्रमी | अपने मजदूरों के साथ वह खेत पर जाता था | डटकर परिश्रम करता था उसके खेत भली प्रकार जोते और सींचे जाते थे | अच्छी खाद पडती थी, घास निकाली जाती थी और बीज भी समय पर बोए जाते थे | उसके घर के लोग भी खेत पर काम करते थे | खेत में उपज अच्छी होती थी, लगान देखकर और खर्च करके भी वह बहुत अन्न बचा लेता था | थोड़े दिनों में रामप्रसाद धनी हो गया | जब भैरोमल बहुत गरीब हो गया | उसके ऊपर महाजनों का ऋण हो गया तो उसे अपने खेत बेचने की आवश्यकता जान पड़ी | यह समाचार पाकर रामप्रसाद उसके पास और बोला – ” मैंने सुना है! कि आप अपने खेत बेचना चाहते हैं | कृपया करके आप मेरे हाथ अपने खेत बेचे मैं दूसरों से कम मुल्य नहीं दूंगा |” भैरोमल ने आश्चर्य से पूछा – ” भाई रामप्रसाद मेरे पास इतने खेत भी मैं ऋणी हो गया किंतु: तुम्हारे पास धन कहां से आ गया है | तुम तो मेरे  थोड़े से खेत लेकर खेती करते हो उन खेतों की लगान भी तुम्हें देनी पड़ती है  और घर का भी काम चलाना पड़ता है | मेरे खेत खरीदने के लिए तुम्हें  किसने रुपये दिए? रामप्रसाद ने कहा – ” मुझे रुपए किसी ने नहीं दिए! रुपए तो मैंने खेतों की उपज से ही बचा कर ही इकट्ठे किए हैं | आप की खेती और मेरी खेती में एक अंतर है नवनीत | आप नौकरों मजदूरों आदि सब से काम करने के लिए जाओ-जाओ कहते हैं | आपकी संपत्ति भी चली गई | मैं मजदूरों और नौकरों से पहले काम करने को तैयार होकर उन्हें अपने साथ काम करने के लिए सदा “आओ” कह कर बुलाता हूं | इससे मेरे यहां संपत्ति आती है |” अब भैरोमल बात समझ गया | उसने थोड़े से खेत रामप्रसाद के हाथ बेच कर अपना ऋण चुका दिया | और बाकी खेतों में परिश्रमपूर्वक खेती करने लगा | थोड़े ही दिनों में उसकी दशा सुधर गई | वह फिर सुखी और संपन्न हो गया | *यह ग्रुप एक प्रेरणा स्रोत और जिंदगी जीने के नजरिया को जाहिर करता है इस ग्रुप में हर रोज धार्मिक, प्रेरणादायक कहानियां और आत्मविश्वास से जुड़ी गाथा भेजी जाती है कृपया इस ग्रुप को लिंक से जॉइन करें* https://whatsapp.com/channel/0029Va65K7RCHDynC3AjPI1d *आप चाहे किसी भी समाज से हो, अगर आप अपने समाज के किसी उभरते हुए व्यक्तित्व से जलते हो या उसकी निंदा करते हो तो आप निश्चित रूप से उस समाज के लिए कलंक हो ।* https://whatsapp.com/channel/0029Va65K7RCHDynC3AjPI1d *जय जय श्री राम 🙏🏻* *जय हिन्द 🇮🇳* *सदैव प्रसन्न रहिये।* *जो प्राप्त है, पर्याप्त है।।* 🙏🙏🙏🙏🌳🦚🦚🌳🙏🙏🙏 ।।राम_राम।।

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सुमनोहर__कहानियां
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6/17/2025, 2:39:22 AM

।।राम_राम।। *✨✨सुप्रभात✨✨* https://whatsapp.com/channel/0029Va65K7RCHDynC3AjPI1d *🌳🦚आज की कहानी🦚🌳* *💐💐असीमित पुण्य💐💐* एक बार गुजरात की एक रियासत की राजमाता मीलण देवी ने भगवान सोमनाथ जी का विधिवत् अभिषेक किया। उन्होंने सोने का तुलादान कर उसे सोमनाथ जी को अर्पित कर दिया। सोने का तुलादान कर उनके मन में अहंकार भर गया और वह सोचने लगीं कि आज तक किसी ने भी इस तरह भगवान का तुलादान नहीं किया होगा। इसके बाद वह अपने महल में आ गईं। रात में उन्हें भगवान सोमनाथ के दर्शन हुए। भगवान ने उनसे कहा, ‘मेरे मंदिर में एक गरीब महिला दर्शन के लिए आई है। उसके संचित पुण्य असीमित हैं। उनमें से कुछ पुण्य तुम उसे सोने की मुद्राएं देकर खरीद लो। परलोक में काम आएंगे। नींद टूटते ही राजमाता बेचैन हो गईं। उन्होंने अपने कर्मचारियों को मंदिर से उस महिला को राजभवन लाने के लिए कहा। कर्मचारी मंदिर पहुंचे और वहां से उस महिला को पकड़ कर ले आए। गरीब महिला थर-थर कांप रही थी। https://whatsapp.com/channel/0029Va65K7RCHDynC3AjPI1d राजमाता ने उस गरीब महिला से कहा, ‘मुझे अपने संचित पुण्य दे दो, बदले में मैं तुम्हें सोने की मुद्रएं दूंगी। राजमाता की बात सुनकर वह महिला बोली, ‘महारानी जी, मुझ गरीब से भला पुण्य कार्य कैसे हो सकते हैं। मैं तो खुद दर-दर भीख मांगती हूं। भीख में मिले चने चबाते-चबाते मैं तीर्थयात्रा को निकली थी। कल मंदिर में दर्शन करने से पहले एक मुट्ठी सत्तू मुझे किसी ने दिए थे। उसमें से आधे सत्तू से मैंने भगवान सोमेश्वर को भोग लगाया तथा बाकी सत्तू एक भूखे भिखारी को खिला दिया। जब मैं भगवान को ठीक ढंग से प्रसाद ही नहीं चढ़ा पाई तो मुझे पुण्य कहां से मिलेगा ?’ गरीब महिला की बात सुनकर राजमाता का अहंकार नष्ट हो गया। वह समझ गईं कि नि:स्वार्थ समर्पण की भावना से प्रसन्न होकर ही भगवान सोमेश्वर ने उस महिला को असीमित पुण्य प्रदान किए हैं। इसके बाद राजमाता ने अहंकार त्याग दिया और मानव सेवा को ही अपना सवोर्परि धर्म बना लिया। *यह ग्रुप एक प्रेरणा स्रोत और जिंदगी जीने के नजरिया को जाहिर करता है इस ग्रुप में हर रोज धार्मिक, प्रेरणादायक कहानियां और आत्मविश्वास से जुड़ी गाथा भेजी जाती है कृपया इस ग्रुप को लिंक से जॉइन करें* https://whatsapp.com/channel/0029Va65K7RCHDynC3AjPI1d *आप चाहे किसी भी समाज से हो, अगर आप अपने समाज के किसी उभरते हुए व्यक्तित्व से जलते हो या उसकी निंदा करते हो तो आप निश्चित रूप से उस समाज के लिए कलंक हो ।* https://whatsapp.com/channel/0029Va65K7RCHDynC3AjPI1d *जय जय श्री राम 🙏🏻* *जय हिन्द 🇮🇳* *सदैव प्रसन्न रहिये।* *जो प्राप्त है, पर्याप्त है।।* 🙏🙏🙏🙏🌳🦚🦚🌳🙏🙏🙏 ।।राम_राम।।

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सुमनोहर__कहानियां
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6/21/2025, 2:27:30 AM

।।राम_राम।। *✨✨सुप्रभात✨✨* https://whatsapp.com/channel/0029Va65K7RCHDynC3AjPI1d *🌳🦚आज की कहानी🦚🌳* *💐💐घण्टी रूपी घर💐💐* एक कथानुसार कुरुक्षेत्र के युद्धक्षेत्र को सेनाओं के आवागमन के लिए तैयार किया जा रहा था। उन्होंने हाथियों का इस्तेमाल पेड़ों को उखाड़ने और जमीन साफ करने के लिए किया। एक पेड़ पर एक गौरैया अपने चार बच्चों के साथ रहती थी जब उस पेड़ को उखाड़ा जा रहा था तो उसका घोंसला जमीन पर गिर गया, लेकिन वो और उसकी संताने अनहोनी से बच गई। लेकिन वो अभी बहुत छोटे होने के कारण उड़ने में असमर्थ थे। भयभीत गौरैया मदद के लिए यहाँ-वहाँ देखती रही। तभी उसने कृष्ण को अर्जुन के साथ आते देखा। उसने श्रीकृष्ण के रथ तक पहुँचने के लिए अपने छोटे पंख फड़फड़ाए और किसी प्रकार श्री कृष्ण के पास पहुंचकर कहा.... हे कृष्ण, कृपया मेरे बच्चों को बचाये क्योकि लड़ाई शुरू होने पर कल उन्हें कुचल दिया जायेगा। भगवन बोले मैं तुम्हारी बात सुन रहा हूं,लेकिन मैं प्रकृति के कानून में हस्तक्षेप नहीं कर सकता। गौरैया ने कहा भगवन ! मै जानती हूँ कि आप मेरे उद्धारकर्ता हैं,मैं अपने बच्चों के भाग्य को आपके हाथ सौंपती हूँ अब यह आपके ऊपर है आप मारते हैं या उन्हें बचाते हैं! काल चक्र पर किसी का बस  नहीं  है श्री कृष्ण ने एक साधारण व्यक्ति की तरह उससे कहा। गौरैया ने विश्वास और श्रद्धा से कहा प्रभु, आप कैसे और क्या करते हैं मै नहीं जानती लेकिन आप स्वयं काल नियंता हैं मैं स्वयं को परिवार सहित आपको समर्पण करती हूँ। https://whatsapp.com/channel/0029Va65K7RCHDynC3AjPI1d भगवन बोले अपने घोंसले में तीन सप्ताह के लिए भोजन का संग्रह करो। गौरैया और श्रीकृष्ण के सवाद से अनभिज्ञ अर्जुन गौरैया को भगाने की कोशिश करते रहे। दो दिन बाद,शंख के उदघोष से युद्ध शुरू होने की घोषणा की गई। कृष्ण ने अर्जुन से कहा की अपने धनुष-बाण मुझे दो। अर्जुन चौंका, क्योंकि कृष्ण ने युद्ध में हथियार नहीं उठाने की शपथ ली थी।साथ ही अर्जुन मानता था कि वह ही सबसे अच्छा धनुर्धर है। मुझे आज्ञा दें, भगवन, अर्जुन ने दृढ़ विश्वास के साथ कहा, मेरे तीरों के लिए कुछ भी अभेद्य नहीं है। लेकिन अर्जुन से धनुष लेकर कृष्ण ने एक हाथी को निशाना बनाया तीर हाथी के गले की घंटी से टकराया और एक चिंगारी सी उड़ी अर्जुन ये देख कर अपनी हंसी नहीं रोक पाया कि कृष्ण एक आसान सा निशान चूक गए। क्या मैं प्रयास करू? उसने स्वयं को प्रस्तुत किया। उसकी प्रतिक्रिया को नजरअंदाज करते हुए, कृष्ण ने उन्हें धनुष वापस देकर कहा कि कोई और कार्रवाई आवश्यक नहीं है। लेकिन केशव तुमने हाथी को क्यों तीर मारा? अर्जुन ने पूछा।। क्योंकि इस हाथी ने उस गौरैया के आश्रय उसके घोंसले को जो कि एक पेड़ पर था उसको गिरा दिया था। कौन सी गौरैया?अर्जुन ने पूछा। इसके अतिरिक्त, हाथी तो अभी स्वस्थ और जीवित है केवल घंटी ही टूट कर गिरी है। श्री कृष्ण ने उसे शंख फूंकने का निर्देश दिया। युद्ध शुरू हुआ, अगले अठारह दिनों में कई जानें गईं और अंत में पांडवों की जीत हुई। एक बार फिर, कृष्ण अर्जुन को अपने साथ सुदूर क्षेत्र में भ्रमण करने के लिए ले गए। कई शव अभी भी वहाँ हैं जो उनके अंतिम संस्कार का इंतजार कर रहे थे। कृष्ण एक निश्चित स्थान पर रुके और एक घंटी जो कि हाथी पर बाँधी जाती थी उसे देख कर विचार करने लगे। अर्जुन, क्या मेरे लिए यह घंटी उठाकर एक तरफ रख दोगे। https://whatsapp.com/channel/0029Va65K7RCHDynC3AjPI1d निर्देश बिलकुल सरल था परन्तु अर्जुन के समझ में नहीं आया क्योंकि,विशाल मैदान में जहाँ बहुत सी अन्य चीज़ों को साफ़ करने की ज़रूरत थी, कृष्ण उसे धातु के एक टुकड़े को रास्ते से हटाने के लिए क्यों कहेंगे? उसने प्रश्नवाचक दृष्टि से उनकी ओर देखा। हाँ,यह घंटी श्रीकृष्ण ने दोहराया। वही घंटी है,जो हाथी की गर्दन पर पड़ी थी,और मैंने तीर मारा था। अर्जुन बिना किसी और सवाल के भारी घंटी उठाने के लिए झुका और जैसे ही उसे उठाया, तो देखा एक,दो,तीन,चार और पाँच। चार युवा पक्षी और एक गौरैया उस घंटी के नीचे से निकले। बाहर निकल के माँ और छोटे पक्षी श्री कृष्ण के इर्द-गिर्द मंडराते हुए बड़े आनन्द से उनकी परिक्रमा करने लगे।अठारह दिन पहले काटी गई एक घंटी ने पूरे परिवार की रक्षा की। मुझे क्षमा करें हे कृष्ण अर्जुन ने कहा, आपको मानव शरीर में देखकर और सामान्य मनुष्यों की तरह व्यवहार करते हुए,मैं भूल गया था कि आप वास्तव में कौन हैं? *हम भी तब तक इस घंटी रूपी घर मे परिवार के साथ अन्न जल ग्रहण करते हुए, प्रभु के प्रति आस्था रखते हुए विश्राम करें जब तक ये हमारे लिए उठाई न जाये..!!* https://whatsapp.com/channel/0029Va65K7RCHDynC3AjPI1d *जय जय श्री राम 🙏🏻* *जय हिन्द 🇮🇳* *सदैव प्रसन्न रहिए।।* *जो प्राप्त है, पर्याप्त है।।* ।।राम_राम।।

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सुमनोहर__कहानियां
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6/19/2025, 12:03:45 AM

।।राम_राम।। *✨✨सुप्रभात✨✨* https://whatsapp.com/channel/0029Va65K7RCHDynC3AjPI1d *🌳🦚आज की कहानी🦚🌳* *💐💐चश्मा और एक गाँव वाला💐💐* एक ग्रामीण था। वह अनपढ़ था। वह पढ़ना-लिखना नहीं जानता था। उन्होंने अक्सर लोगों को किताबें या पेपर पढ़ने के लिए चश्मा पहना हुआ देखा था। उसने सोचा, “अगर मेरे पास चश्मा हो, तो मैं भी इन लोगों की तरह पढ़ सकता हूँ। मुझे शहर जाना चाहिए और अपने लिए एक जोड़ी चश्मा खरीदना चाहिए।” इसलिए एक दिन वह एक शहर में गया। एक चश्मे की दुकान में पहुंचा। उसने दुकानदार से एक जोड़ी चश्मा दिखाने के लिए कहा। दुकानदार ने उन्हें कई जोड़े चश्मे और एक किताब दी। ग्रामीण ने एक-एक कर सभी चश्मों को आजमाया। लेकिन वह कुछ पढ़ नहीं सका। उसने दुकानदार से कहा कि – ये सब चश्में तो बेकार हैं। दुकानदार ने उसे ऊपर से नीचे तक घूरा। फिर उसने किताब की तरफ देखा। वह उल्टी थी! दुकानदार ने कहा, “शायद आप नहीं जानते कि कैसे पढ़ना है।” ग्रामीण ने कहा, “नहीं, मैं नहीं जानता। मैं चश्मा खरीदना चाहता हूं ताकि मैं दूसरों की तरह पढ़ सकूं। लेकिन ये सभी चश्में तो बकवास हैं।” दुकानदार ने हंसी आ गयी. उसने बड़ी मुश्किल से अपनी हँसी रोकी. अब उसको अनपढ़ ग्राहक की असली समस्या समझ आ गई थी। उसने गाँव वाले को समझाया, “मेरे प्यारे दोस्त, तुम बहुत अनजान हो। चश्मा पढ़ने या लिखने में मदद नहीं करते हैं। वे केवल आपको ठीक से देखने में मदद करते हैं। सबसे पहले, आपको पढ़ना और लिखना सीखना चाहिए।” सीख: अज्ञानता अंधापन है। अज्ञानता का कोई चश्मा नहीं होता है| https://whatsapp.com/channel/0029Va65K7RCHDynC3AjPI1d *यह ग्रुप एक प्रेरणा स्रोत और जिंदगी जीने के नजरिया को जाहिर करता है इस ग्रुप में हर रोज धार्मिक, प्रेरणादायक कहानियां और आत्मविश्वास से जुड़ी गाथा भेजी जाती है कृपया इस ग्रुप को लिंक से जॉइन करें* https://whatsapp.com/channel/0029Va65K7RCHDynC3AjPI1d *आप चाहे किसी भी समाज से हो, अगर आप अपने समाज के किसी उभरते हुए व्यक्तित्व से जलते हो या उसकी निंदा करते हो तो आप निश्चित रूप से उस समाज के लिए कलंक हो ।* https://whatsapp.com/channel/0029Va65K7RCHDynC3AjPI1d *जय जय श्री राम 🙏🏻* *जय हिन्द 🇮🇳* *सदैव प्रसन्न रहिये।* *जो प्राप्त है, पर्याप्त है।।* 🙏🙏🙏🙏🌳🦚🦚🌳🙏🙏🙏 ।।राम_राम।।

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सुमनोहर__कहानियां
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6/22/2025, 5:34:13 AM

।।राम_राम।। *✨✨सुप्रभात✨✨* https://whatsapp.com/channel/0029Va65K7RCHDynC3AjPI1d *🌳🦚आज की कहानी🦚🌳* *💐💐हाँ भगवान है💐💐* एक मेजर के नेतृत्व में 15 जवानों की एक टुकड़ी हिमालय के अपने रास्ते पर थी। बेहताशा ठण्ड में मेजर ने सोचा की अगर उन्हें यहाँ एक कप चाय मिल जाती तो आगे बढ़ने की ताकत आ जाती। लेकिन रात का समय था आपस कोई बस्ती भी नहीं थी,लगभग एक घंटे की चढ़ाई के पश्चात् उन्हें एक जर्जर चाय की दुकान दिखाई दी। लेकिन अफ़सोस उस पर ताला लगा था भूख और थकान की तीव्रता के चलते जवानों के आग्रह पर मेजर साहब दुकान का ताला तुड़वाने को राज़ी हो गया खैर ताला तोड़ा गया, तो अंदर उन्हें चाय बनाने का सभी सामान मिल गया। जवानों ने चाय बनाई साथ वहां रखे बिस्किट आदि खाकर खुद को राहत दी। थकान से उबरने के पश्चात् सभी आगे बढ़ने की तैयारी करने लगे लेकिन मेजर साहब को यूँ चोरो की तरह दुकान का ताला तोड़ने के कारण आत्मग्लानि हो रही थी। उन्होंने अपने पर्स में से एक हज़ार का नोट निकाला और चीनी के डब्बे के नीचे दबाकर रख दिया तथा दुकान का शटर ठीक से बंद करवाकर आगे बढ़ गए। तीन महीने की समाप्ति पर इस टुकड़ी के सभी 15 जवान सकुशल अपने मेजर के नेतृत्व में उसी रास्ते से वापिस आ रहे थे। रास्ते में उसी चाय की दुकान को खुला देखकर वहां विश्राम करने के लिए रुक गए। उस दुकान का मालिक एक बूढ़ा चाय वाला था ।जो एक साथ इतने ग्राहक देखकर खुश हो गया और उनके लिए चाय बनाने लगा। चाय की चुस्कियों और बिस्कुटों के बीच वो बूढ़े चाय वाले से उसके जीवन के अनुभव पूछने लगे खासतौर पर। इतने बीहड़ में दूकान चलाने के बारे में बूढ़ा उन्हें कईं कहानियां सुनाता रहा और साथ ही भगवान का शुक्र अदा करता रहा। https://whatsapp.com/channel/0029Va65K7RCHDynC3AjPI1d तभी एक जवान बोला " *बाबा आप भगवान को इतना मानते हो अगर भगवान सच में होता तो फिर उसने तुम्हे इतने बुरे हाल में क्यों रखा हुआ है"। बाबा बोला *"नहीं साहब ऐसा नहीं कहते भगवान के बारे में,भगवान् तो है और सच में है .... मैंने देखा है। आखरी वाक्य सुनकर सभी जवान कोतुहल से बूढ़े की ओर देखने लगे। बूढ़ा बोला "साहब मै बहुत मुसीबत में था एक दिन मेरे इकलौते बेटे को आतंकवादीयों ने पकड़ लिया उन्होंने उसे बहुत मारा पिटा लेकिन उसके पास कोई जानकारी नहीं थी इसलिए उन्होंने उसे मार पीट कर छोड़ दिया।मैं दुकान बंद करके उसे हॉस्पिटल ले गया मै बहुत तंगी में था साहब और आतंकवादियों के डर से किसी ने उधार भी नहीं दिया। मेरे पास दवाइयों के पैसे भी नहीं थे और मुझे कोई उम्मीद नज़र नहीं आती थी उस रात साहब मै बहुत रोया और मैंने भगवान से प्रार्थना की और मदद मांगी "और साहब ... उस रात स्वयं भगवान मेरी दुकान में आए। मै सुबह अपनी दुकान पर पहुंचा ताला टूटा देखकर मुझे लगा की मेरे पास जो कुछ भी थोड़ा बहुत था वो भी सब लुट गया। मै दुकान में घुसा तो देखा 1000 रूपए का एक नोट, चीनी के डब्बे के नीचे भगवान ने मेरे लिए रखा हुआ है"। "साहब ..... उस दिन एक हज़ार के नोट की कीमत मेरे लिए क्या थी शायद मै बयान न कर पाऊं ... लेकिन भगवान् है साहब ... भगवान् तो है" बूढ़ा फिर अपने आप में बड़बड़ाया। भगवान् के होने का आत्मविश्वास उसकी आँखों में साफ़ चमक रहा था यह सुनकर वहां सन्नाटा छा गया पंद्रह जोड़ी आंखे मेजर की तरफ देख रही थी जिसकी आंख में उन्हें अपने लिए स्पष्ट आदेश था "चुप रहो " *मेजर साहब उठे, चाय का बिल अदा किया और बूढ़े चाय वाले को गले लगाते हुए बोले "हाँ बाबा आप सही कह रहे हैं , भगवान् तो है.... और तुम्हारी चाय भी शानदार थी"* *और उस दिन उन पंद्रह जोड़ी आँखों ने पहली बार मेजर की आँखों में चमकते पानी के दुर्लभ दृश्य का साक्ष्य किया* *और सच्चाई यही है की भगवान हमें कब किसी का सहायक बनाकर कहीं भेज दे। ये खुद तुम भी नहीं जानते........... इसलिए जीवन में प्रयास करना चाहिए कि हम किसी अच्छे कार्य में किसी की मदद कर सके* https://whatsapp.com/channel/0029Va65K7RCHDynC3AjPI1d *जय जय श्री राम 🙏🏻* *जय हिन्द 🇮🇳* *सदैव प्रसन्न रहिए।* *जो प्राप्त है, पर्याप्त है ।।* ।।राम_राम।।

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सुमनोहर__कहानियां
सुमनोहर__कहानियां
6/20/2025, 2:13:27 AM

।।राम_राम।। *✨✨सुप्रभात✨✨* https://whatsapp.com/channel/0029Va65K7RCHDynC3AjPI1d *🌳🦚आज की कहानी🦚🌳* रचित जी के एक मित्र व्यापारी हैं। हाल फिलहाल में उन्होंने अपनी पुरानी गाड़ी बेच कर नई मर्सिडीज खरीदी है। बीते बुधवार वह अपनी नई चमचमाती गाड़ी में फेक्ट्री से लंच करने घर आये। उन्होंने मर्सिडीज घर के बाहर पार्क कर दी। घर में धर्मपत्नी के हाथ का बना लज़ीज़ खाना खाया। खाना खा कर कुछ समय सुस्ताने लगे। इसी बीच फेक्ट्री से एक अर्जेंट कॉल आई। वह घर के बाहर आये। गाड़ी की ओर देखा तो उसकी दोनो टेल लाइट टूटी हुई थी। स्पष्ट था के किसी ने पत्थर मार कर लाइट्स को फोड़ दिया था। एक लग्जरी कार की लाइट्स की क्या कीमत होती है ....यह मैं बताना नहीं चाहता। उनके घर के बाहर सीसीटीवी कैमरा लगे हैं। कैमरा में एक शक्स का चेहरा कैद हुआ। वह सड़क पर चल रहा था। अचानक उसे एक चमचमाती मर्सिडीज दिखाई दी। उसने दाएं देखा.....फिर बाएं देखा। फिर आगे पीछे देखा। https://whatsapp.com/channel/0029Va65K7RCHDynC3AjPI1d फिर उसने बगल में रखी ईंट उठाई ..... टेल लाइट्स पर पर प्रहार किया और सरपट वहां से भाग गया। अब इसे सौभाग्य कहें या दुर्भाग्य.......लाइट्स फोड़ते व्यक्ति को हमारे मित्र के घर कार्यरत नौकर ने पहचान लिया। जहां रचित जी के  मित्र की कोठी है......उससे ठीक पांच कोठियां बाद एक व्यापारी का आलीशान मकान है। लाइट्स फोड़ने वाला व्यक्ति उनके घर में चौकीदारी करता था। उसे बुलाया गया। उसे पूछा के भाई ...... यह शुभकार्य जो तूने किया है.....किस खुशी में किया है? वह खामोश रहा। फिर उससे कहा के सच सच बता दे ......नहीं तो सच उगलवाने के कई तरीके हैं।। https://whatsapp.com/channel/0029Va65K7RCHDynC3AjPI1d मारे डर के वह फूट फूट के रोने लगा। बोला आप सेठ लोग के पास सारी दौलत है......सारा पैसा है.....हमारे पास तो इतना रुपया भी नहीं है के घरवाली का इलाज करवा सकें। उसकी बात सुन सब सकपका गए। उसे पानी पिलाया.....फिर लिम्का पिलाई गई.....फिर जब वह नार्मल हुआ तो उसने बताया के वह झारखंड का रहने वाला है ......चौकीदारी करता है। पत्नी बीमार है। इलाज करवाने के लिये पहले ही मालिक से एडवांस ले चुका है। ...........और पैसे मांगने की हिम्मत नहीं हो रही और पत्नी के इलाज का खर्च बढ़ता जा रहा है। इसी झल्लाहट में वह बीते बुधवार मित्र के घर के आगे से निकला ......उसे नई गाड़ी खड़ी दिखाई दी और उसने गुस्से में उसकी लाइट्स फोड़ दी। उसे लगा के उसकी गरीबी का मूल कारण ......"सेठ लोग" हैं।  अब कायदे से ऐसे आदमी का क्या इलाज बनता है। पुलिस के हवाले कर दें। मार मार कर मोर बना दें। नहीं।  https://whatsapp.com/channel/0029Va65K7RCHDynC3AjPI1d संभवत आपको जान कर हैरानी होगी के जिस घर में वह चौकीदारी करता है.....उसके मालिक से हमारे मित्र ने संपर्क किया। दोनो ने  मिल कर रांची के एक मल्टीस्पेशलिटी हॉस्पिटल में संपर्क स्थापित किया। बीते शनिवार चौकीदार की पत्नी का इलाज हॉस्पिटल में शुरू हो चुका है। इलाज के खर्च का एक हिस्सा वह व्यक्ति संभाल रहा है जिसकी चमचमाती गाड़ी की लाइट्स को बेवजह फोड़ दिया गया था। .........और यकीन मानिये के यह उस व्यक्ति की महानता नहीं है .......यह उसका स्वभाव है। उदारता उसका स्वभाव है। पार्ट आफ नेचर है ।  भारत रत्न स्वर्गीय अटल जी ने कहा था......."छोटे मन से कोई बड़ा नहीं होता, टूटे मन से कोई खड़ा नहीं होता" जो आगे बढ़ रहे हैं उनका मन उदार है.....उनका ह्रदय.....बड़ा है.....विराट है। गरीब को लगता है के उसकी गरीबी का कारण चमचमाती गाड़ी में बैठा सेठ है! समाजवाद तो गरीब का मूल कारण ही पूंजीवाद को मानता है। https://whatsapp.com/channel/0029Va65K7RCHDynC3AjPI1d लेकिन .......पूंजीवाद से घृणा बेमानी है.....बेतुकी है। उस घृणा का मूल कारण किसी की सफलता नहीं है.....उसका मूल कारण स्वयं की असफलता है। गाड़ी की लाइट्स फोड़ता व्यक्ति अपने दुःख से ........दुखी नहीं है.....वह किसी सफल व्यक्ति के........ सुख से .........दुखी है। संभव हो तो ईर्षा छोड़ के अपने हृदय को उदार कीजिये। प्रयास कीजिये के आप भी किसी दिन धन संपत्ति अर्जित कर सकें। पूंजीवाद से घृणा कर कुछ हासिल ना होगा...... हां.......अनुसरण करने से बहुत कुछ हासिल होगा। 130 करोड़ जनसंख्या के इस राष्ट्र में .......कामयाबी के करोड़ों रास्ते खुले हुऐ हैं। सवाल यह है के हम अपने लिये कौनसा रास्ता चुनते हैं। https://whatsapp.com/channel/0029Va65K7RCHDynC3AjPI1d *जय जय श्री राम 🙏🏻* *जय हिन्द 🇮🇳* *सदैव प्रसन्न रहिए।* *जो प्राप्त है, पर्याप्त है।।* ।।राम_राम।।

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सुमनोहर__कहानियां
सुमनोहर__कहानियां
6/15/2025, 1:34:07 AM

।।राम_राम।। *✨✨आज की कहानी✨✨* https://whatsapp.com/channel/0029Va65K7RCHDynC3AjPI1d *💐💐बेरोजगार बेटा💐💐* मां भी अब बुजुर्ग हो रही है बहन भी तो स्यानी हो रही है करे क्या मगर बेरोजगार बेटा उसको भी अब चिंता हो रही है कौन बैठ कर खाना चाहता है हर कोई काम पर जाना चाहता है मेहनत करने को धक्के खा रहा है कोई क्या करे जब किस्मत सो रही है कोस रहे सब जब से शहर आया है कोई गुनाह तो नहीं करके आया है आखिर उसको भी तो जल्दी है उसकी भी तो जिंदगी खो रही है समझो कभी एक बेटे का गम है उसका भी तो हृदय नम उसके भी तो कुछ सपने हैं उसको भी तो पीड़ा हो रही है थोड़ी अपनी उम्मीदें हटा लो सारा बोझ ना उस पर डालो जरा सुकून उसको भी दे दो इस बोझ से घुटन हो रही है!! ।।राम_राम।।

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सुमनोहर__कहानियां
सुमनोहर__कहानियां
6/14/2025, 1:35:20 AM

।।राम_राम।। *✨✨सुप्रभात✨✨* https://whatsapp.com/channel/0029Va65K7RCHDynC3AjPI1d *🌳🦚आज की कहानी🦚🌳* *💐💐स्वविवेक💐💐* गर्मी का दिन था।जंगल में एक लकड़बग्घा प्यास से तड़प रहा था ,साथ ही साथ वो पानी के तलाश में जंगल में इधर उधर भटक रहा था। तभी घूमते हुए उसे एक नदी दिखाई पड़ी।दूर से देखने पर नदी में पानी कम लग रहा था फ़िरभी उसने दौड़कर जल्दी से अपनी प्यास बुझाई। भरपेट पानी पीने के बाद लकड़बग्घा मानो तृप्त हो गया। अब उसने सोंचा कि गर्मी काफ़ी है तो क्यों न नदी के बीच में जाकर साफ़ व स्वच्छ पानी में स्नान भी कर लिया जाए ।लेकिन नदी की कितनी गहराई है ,उसे मालूम न था। लकड़बग्घे ने वहीं खड़े एक ऊँट से पूछा... ताऊ,नदी में पानी कितना है, कहीं मैं डूब तो नहीं जाऊँगा स्नान करने में। ऊँट ने अपना दाँत निपोरते हुए कहा... मेरे घुटने भर पानी है बच्चे ।मैं अभी अभी नहा कर निकला हूँ।जा तू भी नहा ले। ऊँट की बात सुनते ही लकड़बग्घे ने छलाँग लगाई औऱ नदी के बीचों बीच जा पहुंचा। फ़िर वो अचानक डूबने लगा ।लकड़बग्घा क़भी गोते खाता तो कभी अपना सिर पानी से बाहर निकाल कर सांस लेता।जैसे तैसे उसने अपनी जान बचाई औऱ बाहर आया । बाहर आते ही उसने ग़ुस्से में ऊँट से कहा " बेवकूफ़,तुमने क्यों कहा,पानी घुटनों तक है... मैं तो डूबकर मरने वाला था कमीने ?" ऊँट ने जवाब दिया " भड़क क्यों रहा है बच्चे, मैंने तो बिलकुल ठीक ही कहा था कि नदी में पानी मेरे घुटनों तक है,अब तुझें मेरी बात समझ में न आई तो मैं क्या करूँ। ".....!! उसके बाद लकड़बग्घे को अपनी ग़लती का एहसास हुआ । दोस्तों.... ज़िंदगी में हर किसी का तजुर्बा अलग अलग होता है और वो सिर्फ़ अपने व्यक्तिगत अनुभव की रौशनी में ही किसी विषय का जवाब देता है, मुमकिन है जो बातें उसके लिए फायदेमंद हो, हमारे लिए नुक़सान पहुंचाए । इसलिए ये हमेशा याद रखना चाहिए कि सिर्फ दूसरों के तजुर्बे को देखकर चलना जीवन में हमें कभी भी डुबो सकता है ।अपने विवेक से काम लेना ज़रुरी है। सावधान रहें, सतर्क रहें, मस्त रहें औऱ हमेशा हँसते खिलखिलाते रहें । *यह ग्रुप एक प्रेरणा स्रोत और जिंदगी जीने के नजरिया को जाहिर करता है इस ग्रुप में हर रोज धार्मिक, प्रेरणादायक कहानियां और आत्मविश्वास से जुड़ी गाथा भेजी जाती है कृपया इस ग्रुप को लिंक से जॉइन करें* https://whatsapp.com/channel/0029Va65K7RCHDynC3AjPI1d *आप चाहे किसी भी समाज से हो, अगर आप अपने समाज के किसी उभरते हुए व्यक्तित्व से जलते हो या उसकी निंदा करते हो तो आप निश्चित रूप से उस समाज के लिए कलंक हो ।* https://whatsapp.com/channel/0029Va65K7RCHDynC3AjPI1d *जय जय श्री राम 🙏🏻* *जय हिन्द 🇮🇳* *सदैव प्रसन्न रहिये।* *जो प्राप्त है, पर्याप्त है।।* 🙏🙏🙏🙏🌳🦚🦚🌳🙏🙏🙏 ।।राम_राम।।

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सुमनोहर__कहानियां
सुमनोहर__कहानियां
6/13/2025, 1:49:25 AM

।।राम_राम।। *✨✨सुप्रभात✨✨* https://whatsapp.com/channel/0029Va65K7RCHDynC3AjPI1d *🌳🦚आज की कहानी🦚🌳* *💐💐चार ढेरियां💐💐* एक राजा था, उसके कोई पुत्र नहीं था। राजा बहुत दिनों से पुत्र की प्राप्ति के लिए आशा लगाए बैठा था, लेकिन पुत्र की प्राप्ति नहीं हुई, उसके सलाहकारों ने, तांत्रिकों से सहयोग लेने को कहा। तांत्रिकों की तरफ से राजा को सुझाव मिला कि यदि किसी बच्चे की बलि दे दी जाए, तो राजा को पुत्र की प्राप्ति हो सकती है। राजा ने राज्य में ढिंढोरा पिटवाया कि जो अपना बच्चा बलि चढाने के लिये राजा को देगा, उसे राजा की तरफ से, बहुत सारा धन दिया जाएगा। एक परिवार में कई बच्चे थे, गरीबी भी बहुत थी। एक ऐसा बच्चा भी था, जो ईश्वर पर आस्था रखता था तथा सन्तों के सत्संग में अधिक समय देता था। राजा की मुनादी सुनकर परिवार को लगा कि क्यों ना इसे राजा को दे दिया जाए ? क्योंकि ये निकम्मा है, कुछ काम -धाम भी नहीं करता है और हमारे किसी काम का भी नहीं है। और इसे देने पर, राजा प्रसन्न होकर, हमें बहुत सारा धन देगा। ऐसा ही किया गया, बच्चा राजा को दे दिया गया। राजा ने बच्चे के बदले ,उसके परिवार को काफी धन दिया। राजा के तांत्रिकों द्वारा बच्चे की बलि देने की तैयारी हो गई। राजा को भी बुला लिया गया, बच्चे से पूछा गया कि तुम्हारी आखिरी इच्छा क्या है ? ये बात राजा ने बच्चे से पूछी और तांत्रिकों ने भी पूछी। बच्चे ने कहा कि, मेरे लिए रेत मँगा दी जाए, राजा ने कहा, बच्चे की इच्छा पूरी की जाये । अतः रेत मंगाया गया। बच्चे ने रेत से चार ढेर बनाए, एक-एक करके बच्चे ने तीन रेत के ढेरों को तोड़ दिया और चौथे के सामने हाथ जोड़कर बैठ गया और उसने राजा से कहा कि अब जो करना है , आप लोग कर लें। यह सब देखकर तांत्रिक डर गए और उन्होंने बच्चे से पूछा पहले तुम यह बताओ कि ये तुमने क्या किया है? राजा ने भी यही सवाल बच्चे से पूछा । तो बच्चे ने कहा कि पहली ढेरी मेरे माता-पिता की थी। मेरी रक्षा करना उनका कर्त्तव्य था । परंतु उन्होंने अपने कर्त्तव्य का पालन न करके, पैसे के लिए मुझे बेच दिया, इसलिए मैंने ये ढेरी तोड़ी दी। दूसरी ढ़ेरी, मेरे सगे-सम्बन्धियों की थी, परंतु उन्होंने भी मेरे माता-पिता को नहीं समझाया। अतः मैंने दूसरी ढ़ेरी को भी तोड़ दिया। और तीसरी ढ़ेरी, हे राजन आपकी थी क्योंकि राज्य की प्रजा की रक्षा करना, राजा का ही धर्म होता है,परन्तु जब राजा ही, मेरी बलि देना चाह रहा है तो, ये ढेरी भी मैंने तोड़ दी। और चौथी ढ़ेरी, हे राजन, मेरे ईश्वर की है। अब सिर्फ और सिर्फ,अपने ईश्वर पर ही मुझे भरोसा है। इसलिए यह एक ढेरी मैंने छोड़ दी है। बच्चे का उत्तर सुनकर, राजा अंदर तक हिल गया। उसने सोचा,कि पता नहीं बच्चे की बलि देने के पश्चात भी, पुत्र की प्राप्ति होगी भी या नहीं होगी। इसलिये क्यों न इस बच्चे को ही अपना पुत्र बना लिया जाये? इतना समझदार और ईश्वर-भक्त -बच्चा है । इससे अच्छा बच्चा और कहाँ मिलेगा ? काफी सोच विचार के बाद ,राजा ने उस बच्चे को अपना पुत्र बना लिया और राजकुमार घोषित कर दिया। जो व्यक्ति ईश्वर पर विश्वास रखते हैं,उनका कोई बाल भी बाँका नहीं कर सकता, यह एक अटल सत्य है। जो मनुष्य हर मुश्किल में, केवल और केवल, ईश्वर का ही आसरा रखते हैं,उनका कहीं से भी ,किसी भी प्रकार का ,कोई अहित नहीं हो सकता। संसार में सभी रिश्ते झूठे हैं। केवल और केवल, एक प्रभु का नाम ही सत्य है। *यह ग्रुप एक प्रेरणा स्रोत और जिंदगी जीने के नजरिया को जाहिर करता है इस ग्रुप में हर रोज धार्मिक, प्रेरणादायक कहानियां और आत्मविश्वास से जुड़ी गाथा भेजी जाती है कृपया इस ग्रुप को लिंक से जॉइन करें* https://whatsapp.com/channel/0029Va65K7RCHDynC3AjPI1d *हिन्दू है हम👇👇👇👇* https://whatsapp.com/channel/0029Va65K7RCHDynC3AjPI1d *आप चाहे किसी भी समाज से हो, अगर आप अपने समाज के किसी उभरते हुए व्यक्तित्व से जलते हो या उसकी निंदा करते हो तो आप निश्चित रूप से उस समाज के लिए कलंक हो ।* https://whatsapp.com/channel/0029Va65K7RCHDynC3AjPI1d *जय जय श्री राम 🙏🏻* *जय हिन्द 🇮🇳* *सदैव प्रसन्न रहिये।* *जो प्राप्त है, पर्याप्त है।।* 🙏🙏🙏🙏🌳🦚🦚🌳🙏🙏🙏 ।।राम_राम।।

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सुमनोहर__कहानियां
सुमनोहर__कहानियां
5/20/2025, 11:46:55 PM

।।राम_राम।। *✨✨सुप्रभात✨✨* https://whatsapp.com/channel/0029Va65K7RCHDynC3AjPI1d *🌳🦚आज की कहानी🦚🌳* *💐💐वाणी पर नियंत्रण💐💐* एक बार एक बूढ़े आदमी ने अफवाह फैलाई कि उसके पड़ोस में रहने वाला नौजवान चोर है। यह बात दूर - दूर तक फैल गई आस - पास के लोग उस नौजवान से बचने लगे। नौजवान परेशान हो गया कोई उस पर विश्वास ही नहीं करता था। तभी गाँव में चोरी की एक वारदात हुई और शक उस नौजवान पर गया उसे गिरफ्तार कर लिया गया। लेकिन कुछ दिनों के बाद सबूत के अभाव में वह निर्दोष साबित हो गया। https://whatsapp.com/channel/0029Va65K7RCHDynC3AjPI1d निर्दोष साबित होने के बाद वह नौजवान चुप नहीं बैठा उसने बूढ़े आदमी पर गलत आरोप लगाने के लिए मुकदमा दायर कर दिया। पंचायत में बूढ़े आदमी ने अपने बचाव में सरपंच से कहा.. मैंने जो कुछ कहा था, वह एक टिप्पणी से अधिक कुछ नहीं था किसी को नुकसान पहुंचाना मेरा मकसद नहीं था। सरपंच ने बूढ़े आदमी से कहा... आप एक कागज के टुकड़े पर वो सब बातें लिखें, जो आपने उस नौजवान के बारे में कहीं थीं.. ...और जाते समय उस कागज के टुकड़े - टुकड़े करके घर के रस्ते पर फ़ेंक दें कल फैसला सुनने के लिए आ जाएँ.. बूढ़े व्यक्ति ने वैसा ही किया.. अगले दिन सरपंच ने बूढ़े आदमी से कहा कि फैसला सुनने से पहले आप बाहर जाएँ और उन कागज के टुकड़ों को... जो आपने कल बाहर फ़ेंक दिए थे, इकट्ठा कर ले आएं... बूढ़े आदमी ने कहा मैं ऐसा नहीं कर सकता.. उन टुकड़ों को तो हवा कहीं से कहीं उड़ा कर ले गई होगी... अब वे नहीं मिल सकेंगें... मैं कहाँ - कहाँ उन्हें खोजने के लिए जाऊंगा ? सरपंच ने कहा 'ठीक इसी तरह, एक सरल - सी टिप्पणी भी किसी का मान - सम्मान उस सीमा तक नष्ट कर सकती है... जिसे वह व्यक्ति किसी भी दशा में दोबारा प्राप्त करने में सक्षम नहीं हो सकता। इसलिए यदि किसीके बारे में कुछ अच्छा नहीं कह सकते, तो चुप रहें। वाणी पर हमारा नियंत्रण होना चाहिए, ताकि हम शब्दों के दास न बनें  l इस कहानी का राजनीति से कोई सम्बन्ध नहीं है https://whatsapp.com/channel/0029Va65K7RCHDynC3AjPI1d *यह ग्रुप एक प्रेरणा स्रोत और जिंदगी जीने के नजरिया को जाहिर करता है इस ग्रुप में हर रोज धार्मिक, प्रेरणादायक कहानियां और आत्मविश्वास से जुड़ी गाथा भेजी जाती है कृपया इस ग्रुप को लिंक से जॉइन करें* https://whatsapp.com/channel/0029Va65K7RCHDynC3AjPI1d *हिन्दू है हम👇👇👇👇* https://whatsapp.com/channel/0029Va65K7RCHDynC3AjPI1d *आप चाहे किसी भी समाज से हो, अगर आप अपने समाज के किसी उभरते हुए व्यक्तित्व से जलते हो या उसकी निंदा करते हो तो आप निश्चित रूप से उस समाज के लिए कलंक हो ।* https://whatsapp.com/channel/0029Va65K7RCHDynC3AjPI1d *जय जय श्री राम 🙏🏻* *जय हिन्द 🇮🇳* *सदैव प्रसन्न रहिये।* *जो प्राप्त है, पर्याप्त है।।* 🙏🙏🙏🙏🌳🦚🦚🌳🙏🙏🙏 ।।राम_राम।।

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