Kanzul Hidaya
Kanzul Hidaya
May 16, 2025 at 03:10 PM
अल्लाह तआला इरशाद फरमाता है: ★ اَحَسِبَ النَّاسُ اَنْ یُّتْرَكُوْۤا اَنْ یَّقُوْلُوْۤا اٰمَنَّا وَ هُمْ لَا یُفْتَنُوْنَ(۲) क्या लोग इस घमन्ड में हैं कि इतनी बात पर छोड़ दिये जायेंगे कि कहें हम ईमान लाये और उनकी आज़माइश न होगी। ( AL-ANKABUT-29:2 ) अल्लामा शाह तुराबुल हक़ इस आयत के तहत तहरीर फरमाते हैं: मालूम हुआ कि दीन ए हक़ के मानने वाले को ज़रूर आज़माया जाता है, इस लिए ये मुम्किन है कि कोई मोमिन दीन ए हक़ की तबलीग व इशाअत के लिए कोशिश करे और लोग उसका साथ न दें, बल्कि उसे सताएं और मुसीबतों में मुब्तिला करें, इसके बावजूद वो दीन ए हक़ फैलाने की कोशिश जारी रखे, क़ुरआन ए हकीम के नज़दीक ये नाकामी नहीं बल्कि हक़ीक़ी फलाह (कामयाबी) है, (फलाहे दारैन, पेज:37)
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