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सुबह सुबह की कुछ नई तस्वीरें (इसराइल)


عالم ربانی مفسر قرآن حضرت شیخ متولی شعراوی رضی اللہ عنہ فرماتے ہیں: اللہ تعالیٰ نے جادو کے بارے میں کچھ دعائیں ہمارے لیے ظاہر فرمائیں کہ جب میں نے ان کا تجریہ کیا تو اس کی برکتیں ظاہر ہوئیں (یعنی اس دعا کی برکت سے جادو کا اثر دور ہو گیا) وہ دعا یہ ہے 👇 "اللهم إنك أقدرت بعض خلقك علي السحر والشر واحتفظت لنفسك بإذن الضر، فأعوذ بما احتفظت به مما أقدرت عليه بحق قولك وما هم بضارين به من أحد إلا بإذن الله" 📝محمد عادل حمزه 14-06-2025

ईरान का रिएक्शन देखकर ट्रंप ने G-7 देशों के राष्ट्राध्यक्षों की इमर्जेंसी मीटिंग त़लब कर ली है। बेटे की स्पोर्ट में उसका बाप फिर मैदान में उतरने को तैयार है इज़्राईल का चीखना चिल्लाना शुरू। ईरान सिविलियन को टारगेट कर रहा है , उसने रेडलाइन क्रॉस कर लिया है।😁 ईरान का मीज़ाईल इज़्राईली रक्षा मंत्रालय को हिट कर गया है(स़ह़यूनी मीडिया) खबरों के मुताबिक नेतनयाहू कल शाम से ही गायब है तिल-अबीब के बड़े इलाक़े में बेमिसाल तबाही , ऐसी तबाही हमने कभी नहीं देखी थी...(स़ह़यूनी चैनल-13/इज़्राईली फौजी अधिकारी के ह़वाले से)

*काश इस तरह तरबियत करने वाले कुछ और स्कूल भी हो जाएं*

यह सब मिल कर भी तुम से न लड़ेंगे मगर क़िला बन्द शहरों में या धुस्सों के पीछे आपस में उनकी आंच सख़्त है तुम उन्हें एक जत्था समझोगे और उनके दिल अलग अलग हैं यह इसलिये कि वह बेअक़्ल लोग हैं। उनकी सी कहावत जो अभी क़रीब ज़माने में उनसे पहले थे उन्होंने अपने काम का वबाल चखा और उनके लिये दर्दनाक अज़ाब है। शैतान की कहावत जब उसने आदमी से कहा कुफ़्र कर फिर जब उसने कुफ़्र कर लिया बोला मैं तुझे से अलग हूं मैं अल्लाह से डरता हूं जो सारे जहान का रब। ( AL-HASHR - 59:14,15,16 )

*इज़रायल की राजधानी तिल अबीब पर हमले के बाद दिल खुश कर देने वाले मनाज़िर*

اعلی حضرت امام اہل سنت امام احمد رضا قدس سرہ تحریر فرماتے ہیں: "علماء تو یہاں تک تصریح فرماتے ہیں کہ عورت اگر مارے سے بھی نماز نہ پڑھے طلاق دے دے اگرچہ اس کا مہر دینے پر قادر نہ ہو کہ ﷲ تعالٰی سے اس حال پر ملنا کہ اس کا مطالبہ مہر اس کی گردن پر ہو اس سے بہتر ہے کہ ایک بے نمازی عورت سے صحبت کرے (فتاوی رضویہ، جلد:17، صفحہ:303، رضا فاؤنڈیشن )

ईरान पर किए हुए यहूदी हमले का जवाब देते हुए इज़रायल की राजधानी तिल अबीब पर 100 से ज्यादा मिसाइल्स के ज़रिए हमला किया गया, जिसमें काफी यहूदी जहन्नम रसीद हुए हैं🔥

मज़ारों पर सजदा करना हराम है! शिर्क नहीं! शिर्क बड़ा सख़्त हुक्म है शिर्क करने से इंसान मुशरिक यानी काफिर हो जाता है मुसलमान नहीं रहता लिहाज़ा मुकम्मल तहकीक के बाद ही किसी पर शिर्क का हुक्म लगाना चाहिए! कियाम रुकू सजदा और कअदा वगैरह यह सब नमाज़ की शक्लें हैं! सजदा नमाज़ की शक्लों में से एक शक्ल का नाम है! सजदे की दो किस्में हैं ताज़ीमी और तअब्बुदी! *ताज़ीमी* उस सजदे को कहते हैं जो किसी की ताज़ीम के लिए किया जाए यह सजदा पिछली शरीअतों में जायज़ था! अल्लाह के ह़ुक्म से फरिश्तों का हज़रत ए आ़दम अ़लैहिस्सलाम को सजदा करना भी ताज़ीमी था! हमारी शरीअत में किसी भी इंसान की ताज़ीम में सजदा करना जायज़ नहीं हराम है! *तअ़ब्बुदी* उस सजदे को कहते हैं जो किसी की इबादत या पूजा के लिए किया जाए किसी को ख़ुदा मानते हुए या खुदा की किसी सिफत में शरीक मानते हुए किया जाए! मज़ारो कब्रों पर या किसी पीर फ़कीर उस्ताद की आमद पर या किसी भी बड़े की ताज़ीम के वक़्त कोई सुन्नी मुसलमान किसी दूसरे सुन्नी मुसलमान के लिए कम इल्मी में जो सजदा करता है वह ताज़ीम में करने की वजह से ताज़ीमी कहलाता है तअ़ब्बुदी नहीं लिहाज़ा ऐसा हर सजदा ज़रूर ह़राम है मगर शिर्क नहीं! अगर कोई कहे कि इस तरह के सजदों को आप ताज़ीमी क्यूं कह रहे हैं तअ़ब्बुदी भी तो कह सकते हैं ? इस का जवाब यह है कि यहां सजदा करने वालों की नियत और इरादा इबादत या पूजा का नहीं होता इस लिए इन सजदों को तअ़ब्बुदी नहीं कहा जा सकता ताज़ीमी ही कहा जाएगा! और अगर कोई यह कहे कि सजदा करने में नियत नहीं देखी जाती सिर्फ़ सजदा करना देखा जाएगा अल्लाह के अलावा किसी को भी सजदा करना शिर्क है तो है बस! इस का जवाब यह है कि अगर नियत का एतबार न किया जाए तो ह़ज़रत ए यूसुफ़ अ़लैहिस्सलाम के लिए उन के वालिद और भाइयों वगैरह का सजदा करना जैसा कि क़ुरआन ए करीम में ज़िक्र मौजूद है शिर्क ठहरेगा जबकि वह शिर्क न था! दूसरी अहम बात यह कि शिर्क हर दौर में शिर्क होता है लिहाज़ा अगर नियत देखे बगैर सजदा करना शिर्क मान लिया जाए तो पिछली किसी भी शरीअत में ताज़ीम के लिए सजदा करना जायज़ नहीं होता! शिर्क हराम व हलाल की तरह नहीं है कि एक ही चीज़ एक वक़्त में हलाल और दूसरे दौर में हराम ठहरे या एक शरीअत में हराम और दूसरी में हलाल क़रार दे दी जाए शिर्क हर दौर में शिर्क होता है! लिहाज़ा जो लोग मज़ारों पर सजदा करते हैं उन्हें समझाया जाएगा सजदा करने से रोका जाएगा लेकिन उन पर शिर्क या कुफ्र का हुक्म नहीं लगाया जाएगा यह सख़्त ज़्यादती है!