Sanatan Kahaniya (Daily Story, कहानी, Kahani )
Sanatan Kahaniya (Daily Story, कहानी, Kahani )
May 24, 2025 at 05:03 AM
. *घमंडी का सिर नीचा* प्राचीन काल की बात है। किसी गांव में चंद्रभूषण नाम का एक विद्धवान रहता था। https://whatsapp.com/channel/0029VaiuKol0lwgtdCVs4I3Z उसकी वाणी में गजब का आकर्षण था। वह भागवत कथा सुनाने में निपुण था। उसकी वाणी से कथासार सुनकर लोग मुग्ध हो जाते थे। इसीलिए उसके यहां पर रोज कथा सुनने वालों की भीड़ लगी रहती थी। दूर दूर से लोग चंद्रभूषण से भागवत कथा सुनने आते थे। उसी गांव में एक दूसरे विद्वान भी रहते थे, नाम था नंबियार। पढ़े लिखे तो बहुत थे, पर थे बहुत घमंडी, स्वयं को बहुत बड़ा विद्धवान समझा करते थे। सोचते, कहां कल का छोकरा चंद्रभूषण, जो अटक अटक कर कथा पढ़ता है और कहां मैं, शास्त्रों का मर्म जानने वाला । किंतु जब भी नंबियार चंद्रभूषण के घर के सामने से गुजरते, उसके श्रोताओं की भीड़ देखकर उनका मन ईर्ष्या से भर उठता। मन ही मन सोचते, यह चंद्रभूषण क्या जादू करता है कि इसके यहां दिनों दिन श्रोताओं की भीड़ बढ़ती जा रही है। ऐसे तो मेरी नाक नीची हो जाएगी। मुझे कुछ करना चाहिए। एक दिन की बात है, नंबियार थके हारे घर लौटे। भूख भी जोरों की लगी थी। लेकिन घर आकर देखा तो उसकी पत्नी दिखाई न दी। एक दो बार आवाज भी लगाई, मगर चुप्पी छाई रही। अचानक नंबियार का मन आशंका से भर उठा कहीं मेरी पत्नी चंद्रभूषण के यहां कथा सुनने तो नहीं चली गई? ईर्ष्या और क्रोध से नंबियार के नथुने फड़कने लगे। एक एक पल उन्हें हजार घण्टे के बराबर लगा। जब रहा ही नहीं गया, तो वह चंद्रभूषण के घर की आरे चल दिए। चंद्रभूषण के दरवाजे पर पहुंचकर नंबियार ठिठक गए। वहां श्रोताओं की अपार भीड़ थी। सब मंत्रमुग्ध होकर कथा सुन रहे थे। नंबियार ने देखा श्रोताओं के बीच उसकी पत्नी भी बैठी है। बस, फिर क्या था। उनका क्रोध भड़क उठा। वह दनदनाते हुए चंद्रभूषण के आसन के पास पहुंच गए और चिल्लाकर बोले.. ”चंद्रभूषण, तुम दुनिया के सबसे बड़े मूर्ख हो और तुमसे बड़े मूर्ख ये सारे लोग हैं जो यहां इकट्ठा होकर तुम्हारी बकवास सुन रहे हैं।“ नंबियार की बात को सुनकर चंद्रभूषण आश्चर्य में पड़ गया। कथा बीच में ही छूट गई। सारे श्रोता नंबियार को बुरा भला कहते हुए अपने अपने घर लौट गए। घर पहुंचकर बाकी बचा गुस्सा नंबियार ने अपनी पत्नी पर निकाला। बोले, ”क्या जरूरत थी तुम्हें वहां जाने की? क्या मुझसे बड़ा विद्धवान है चंद्रभूषण? मेरे पास शास्त्रों का भण्डार है। मगर तुम्हें कौन बताए, लगता है तुम्हारी खोपड़ी में बुद्धि नहीं है।“ ”क्यों अपने मुंह मियां मिट्ठू बनते हो? तुम ऐसे ही बड़े हो तो चंद्रभूषण की तरह इतने लोगों को इकट्ठा करके दिखाओ। मैं तुम्हारे ज्ञान को मान लूंगी। मैं तुम्हारी जली कटी रोज सुनती हूं। अब तुम दूसरों को भी अपमानित करने लगे। तुम्हें कोई और काम नहीं सिवा ईर्ष्या के।“ इतना कहकर तिलमिलाती हुई नंबियार की पत्नी भीतर चली गई। उस रात दोनों में से किसी ने भोजन नहीं किया। पत्नी तो थोड़ी देर में सो गई। पर नंबियार की आंखों में नींद नहीं थी। शाम की सारी घटना जैसे उनकी आंखों में तैर रही थी। रह रहकर उसी घटना के बारे में सोचते आखिर मैंने चंद्रभूषण का अपमान क्यों किया? वह जितना सोचते, उनकी बेचैनी उतनी ही बढ़ती जाती। बाहर काफी सर्दी थी, मगर गला सूखने के कारण वह बार बार पानी पी रहे थे। यही बात सोचते सोचते उनका सारा गुस्सा पश्चाताप में बदल गया। ओह, यह मैंने क्या किया? मेरे मन में भगवान की भक्ति के नाम पर इतना द्वेष और चंद्रभूषण के स्वभाव में इतनी विनम्रता। इतना अपमान सहने के बाद भी वह एक शब्द न बोला। जैसे ही भोर का तारा दिखा, नंबियार ने पश्चाताप प्रकट करने हेतु चंद्रभूषण के घर जाने के लिए दरवाजा खोला। उन्होंने देखा, चौखट के पास कोई आदमी कंबल ओढ़े बैठा है। वह जाड़े से सिकुड़ रहा था। जैसे ही नंबियार ने कदम आगे बढ़ाया, वह उनके पैर छूने के लिए आगे बढ़ा। ”यह क्या करते हो? कौन हो तुम?“ कहते हुए नंबियार पीछे हट गए। उस व्यक्ति को ध्यान से देखा। सामने हाथ जोड़े खड़ा व्यक्ति और कोई नहीं था, कथावाचक चंद्रभूषण ही था। जब तक नंबियार कुछ कहते, चंद्रभूषण बोल उठा, ”आपने अच्छा ही किया, जो मेरा दोष मुझे बता दिया। लेकिन लगता है, आप मुझसे अभी तक नाराज हैं। मैं रात भर यहां बैठकर आपका इंतजार करता रहा। शायद आप बाहर आएं और मैं आपसे क्षमा मांगूं।“ नंबियार तो पहले ही लज्जित थे। उन्होंने लपककर चंद्रभूषण को अपने गले से लगा लिया। बोले, ”भाई, दोष मेरा है तुम्हारा नहीं। मैं घमंड में अंधा हो गया था। तुमने अपनी विनम्रता से मेरा घमंड चूर चूर कर दिया। सच कहता हूं, तुमने मेरी आंखें खोल दीं। वास्तव में यदि विनम्रता न हो तो ज्ञान भी नष्ट हो जाता है।“ दोनों की आंखों में आंसू थे। उसके बाद नंबियार ने ईर्ष्या द्वेष और घमंड का त्याग कर दिया। *आप चाहे किसी भी समाज से हो, अगर आप अपने समाज के किसी उभरते हुए व्यक्तित्व से जलते हो या उसकी निंदा करते हो तो आप निश्चित रूप से उस समाज के लिए कलंक हो ।* 〰️〰️〰️〰️〰️〰️〰️〰️〰️ ऐसी ही और पोस्ट के लिए वॉट्सएप चैनल पर सनातन कहानियाँ ग्रुप से जुड़ने के लिए लिंक को टच करें और चैनल को फॉलो करें🙏 *सनातन कहानियाँ* WhatsApp Channel Link👇🏻 https://whatsapp.com/channel/0029VaiuKol0lwgtdCVs4I3Z Telegram Join Link👇🏻 https://t.me/Sanatan100 ० ग्रुप धार्मिक, भावनात्मक व प्रेरणादायक पोस्टों से संबंधित है। आप सभी का दिन शुभ हो 🙏🏻😊
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