Sanatan Kahaniya (Daily Story, कहानी, Kahani )
Sanatan Kahaniya (Daily Story, कहानी, Kahani )
May 25, 2025 at 03:52 AM
. गरीब का झोंपड़ा गरीब आदमी की झोपड़ी पर…एक रात बहुत जोर की वर्षा हो रही थी। साधु था; छोटी—सी झोपड़ी थी। स्वयं और उसकी पत्नी, दोनों सोए थे। आधी रात किसी ने द्वार पर दस्तक दी। साधु ने अपनी पत्नी से कहा: उठ, द्वार खोल दे। पत्नी द्वार के करीब सो रही थी। पत्नी ने कहा: इस आधी रात में जगह कहां है? कोई अगर शरण मांगेगा तो तुम मना न कर सकोगे। वर्षा जोर की हो रही है। कोई शरण मांगने के लिए ही द्वार आया होगा। जगह कहां है? उस साधु ने कहा: जगह? दो के सोने के लायक काफी है, तीन के बैठने के लायक काफी होगी। तू दरवाजा खोल! लेकिन द्वार आए आदमी को वापिस तो नहीं लौटाना है। दरवाजा खोला। कोई शरण ही मांग रहा था; भटक गया था और वर्षा मूसलाधार थी। तीनों बैठकर गपशप करने लगे। सोने लायक तो जगह न थी। थोड़ी देर बाद किसी और आदमी ने दस्तक दी। फिर साधु ने अपनी पत्नी से कहा: खोल। पत्नी ने कहा: अब करोगे क्या, जगह कहां है? अगर किसी ने शरण मांगी? उस साधु ने कहा: अभी बैठने लायक जगह है, फिर खड़े रहेंगे; मगर दरवाजा खोल। फिर दरवाजा खोला। फिर कोई आ गया। अब वे खड़े होकर बातचीत करने लगे। इतना छोटा झोपड़ा! और तब अंततः एक गधे ने आकर जोर से आवाज की, दरवाजे को हिलाया। साधु ने कहा: दरवाजा खोलो। पत्नी ने कहा: अब तुम पागल हुए हो, यह गधा है, आदमी भी नहीं! साधु ने कहा: हमने आदमियों के कारण दरवाजा नहीं खोला था, अपने हृदय के कारण खोला था। हमें गधे और आदमी में क्या फर्क? हमने मेहमानों के लिए दरवाजा खोला था। उसने भी आवाज दी है। उसने भी द्वार हिलाया है। उसने अपना काम पूरा कर दिया, अब हमें अपना काम पूरा करना है। दरवाजा खोलो! उसकी औरत ने कहा: अब तो खड़े होने की भी जगह नहीं है! साधु ने कहा: अभी हम जरा आराम से खड़े हैं, फिर सटकर खड़े हो जाएंगे और याद रख एक बात कि यह कोई अमीर का महल नहीं है कि जिसमें जगह की कमी हो! यह गरीब का झोपड़ा है, इसमें खूब जगह है! यह कहानी मैंने पढ़ी, तो मैं हैरान हुआ। उसने कहा: यह कोई अमीर का महल नहीं है जिसमें जगह न हो। यह गरीब का झोपड़ा है, इसमें खूब जगह है। जगह महलों में और झोपड़ों में नहीं होती, जगह हृदयों में होती है। अक्सर तुम पाओगे, गरीब कंजूस नहीं होता। कंजूस होने योग्य उसके पास कुछ है ही नहीं। पकड़े तो पकड़े क्या? जैसे—जैसे आदमी अमीर होता है, वैसे वैसे कंजूस होने लगता है; क्योंकि जैसे—जैसे पकड़ने को होता है, वैसे—वैसे पकड़ने का मोह बढ़ता है, लोभ बढ़ता है। 〰️〰️〰️〰️〰️〰️〰️〰️〰️ ऐसी ही और पोस्ट के लिए वॉट्सएप चैनल पर सनातन कहानियाँ ग्रुप से जुड़ने के लिए लिंक को टच करें और चैनल को फॉलो करें🙏 *सनातन कहानियाँ* WhatsApp Channel Link👇🏻 https://whatsapp.com/channel/0029VaiuKol0lwgtdCVs4I3Z Telegram Join Link👇🏻 https://t.me/Sanatan100 ० ग्रुप धार्मिक, भावनात्मक व प्रेरणादायक पोस्टों से संबंधित है। आप सभी का दिन शुभ हो 🙏🏻😊
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