
मे नास्तिक क्यों हूं
June 9, 2025 at 02:13 PM
क्या दलित बेटियों की कोख ही सबसे आसान शिकार बन गई है?
13 दरिंदे...
एक नाबालिग दलित बच्ची...
कई बार गैंगरेप...
और अब वो मासूम माँ बनने की कगार पर है।
ये खबर नहीं,
एक लोकतांत्रिक राष्ट्र की लाश पर लिखा गया बलात्कार का पोस्टमार्टम है।
क्या आपको पता है?
दलित होना इस देश में अपराध है,
और लड़की होना उससे भी बड़ा अपराध।
पर जब कोई दलित लड़की बलात्कार की शिकार होती है —
तब सबसे ज़्यादा चुप 'सभ्य समाज' ही रहता है।
📌 न पुलिस जागती है
📌 न सरकार बोलती है
📌 न महिला आयोग में कोई आग लगती है
📌 और न ही बड़े न्यूज़ चैनल का मुंह खुलता है!
तो फिर हम चुप क्यों रहें?
अगर इस देश में हर बार दलित बेटियों को ही
बलात्कार, अपमान और मौन-संवेदना झेलनी है,
तो फिर संविधान की शपथ खाने वाले
कहाँ हैं, किसके लिए हैं?
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🔴 अब ज़रूरत है -
🔹 हर जिले में दलित सुरक्षा मोर्चा बनने की
🔹 रेप करने वालों को भीड़ द्वारा घसीट कर सज़ा देने की माँग की
🔹 मीडिया को मजबूर करने की, कि वो रिपोर्ट करे
🔹 और उस माँ की कोख का सम्मान लौटाने की जिसकी बेटी को 13 दरिंदों ने नोंच डाला।
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जाति अगर सिर्फ़ शादी तय करने में काम आती, तो ग़म नहीं था,
मगर अब तो बलात्कार तय करने का भी पैमाना बन गई है।

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