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June 12, 2025 at 11:34 PM
🕉️ *~ वैदिक पंचांग ~* 🕉️ 🌤️ *दिनांक - 13 जून 2025* 🌤️ *दिन - शुक्रवार* 🌤️ *विक्रत संवत - 2082 (गुजरात-महाराष्ट्र अनुसार 2081)* 🌤️ *शक संवत - 1947* 🌤️ *अयन - उत्तरायण* 🌤️ *ऋतु - ग्रीष्म ऋतु* 🌤️ *मास - आषाढ (गुजरात-महाराष्ट्र अनुसार ज्येष्ठ)* 🌤️ *पक्ष - कृष्ण* 🌤️ *तिथि - द्वितीया शाम 03:18 तक तत्पश्चात तृतीया* 🌤️ *नक्षत्र - पूर्वाषाढा रात्रि 11:21 तक तत्पश्चात उत्तराषाढा* 🌤️ *योग - शुक्ल दोपहर 01:48 तक तत्पश्चात ब्रह्म* 🌤️ *राहुकाल - सुबह 10:58 से दोपहर 12:39 तक* 🌤️ *सूर्योदय - 05:57* 🌤️ *सूर्यास्त - 07:19* 👉 *दिशाशूल - पश्चिम दिशा में* 🚩 *व्रत पर्व विवरण -* 💥 *विशेष - द्वितीया को बृहती (छोटा बैंगन या कटेहरी) खाना निषिद्ध है। (ब्रह्मवैवर्त पुराण, ब्रह्म खंडः 27.29-34)* 🕉️ *~ वैदिक पंचांग ~* 🕉️ 🌷 *विघ्नों और मुसीबतें दूर करने के लिए* 🌷 👉 *14 जून 2025 शनिवार को संकष्ट चतुर्थी (चन्द्रोदय रात्रि 10:01)* 🙏🏻 *शिव पुराण में आता हैं कि हर महीने के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी ( पूनम के बाद की ) के दिन सुबह में गणपतिजी का पूजन करें और रात को चन्द्रमा में गणपतिजी की भावना करके अर्घ्य दें और ये मंत्र बोलें :* 🌷 *ॐ गं गणपते नमः ।* 🌷 *ॐ सोमाय नमः ।* 🙏🏻 *- Shri Sureshanandji Delhi Rohini 12 Sep, 2011* 🕉️ *~ वैदिक पंचांग ~* 🕉️ ‪🌷 *चतुर्थी‬ तिथि विशेष* 🌷 🙏🏻 *चतुर्थी तिथि के स्वामी ‪भगवान गणेश‬जी हैं।* 📆 *हिन्दू कैलेण्डर में प्रत्येक मास में दो चतुर्थी होती हैं।* 🙏🏻 *पूर्णिमा के बाद आने वाली कृष्ण पक्ष की चतुर्थी को संकष्ट चतुर्थी कहते हैं। अमावस्या के बाद आने वाली शुक्ल पक्ष की चतुर्थी को विनायक चतुर्थी कहते हैं।* 🙏🏻 *शिवपुराण के अनुसार “महागणपतेः पूजा चतुर्थ्यां कृष्णपक्षके। पक्षपापक्षयकरी पक्षभोगफलप्रदा ॥* ➡ *“ अर्थात प्रत्येक मास के कृष्णपक्ष की चतुर्थी तिथि को की हुई महागणपति की पूजा एक पक्ष के पापों का नाश करनेवाली और एक पक्षतक उत्तम भोगरूपी फल देनेवाली होती है ।* 🕉️ *~ वैदिक पंचांग ~* 🕉️ 🌷 *कोई कष्ट हो तो* 🌷 🙏🏻 *हमारे जीवन में बहुत समस्याएँ आती रहती हैं, मिटती नहीं हैं ।, कभी कोई कष्ट, कभी कोई समस्या | ऐसे लोग शिवपुराण में बताया हुआ एक प्रयोग कर सकते हैं कि, कृष्ण पक्ष की चतुर्थी (मतलब पुर्णिमा के बाद की चतुर्थी ) आती है | उस दिन सुबह छः मंत्र बोलते हुये गणपतिजी को प्रणाम करें कि हमारे घर में ये बार-बार कष्ट और समस्याएं आ रही हैं वो नष्ट हों |* 👉🏻 *छः मंत्र इस प्रकार हैं –* 🌷 *ॐ सुमुखाय नम: : सुंदर मुख वाले; हमारे मुख पर भी सच्ची भक्ति प्रदान सुंदरता रहे ।* 🌷 *ॐ दुर्मुखाय नम: : मतलब भक्त को जब कोई आसुरी प्रवृत्ति वाला सताता है तो… भैरव देख दुष्ट घबराये ।* 🌷 *ॐ मोदाय नम: : मुदित रहने वाले, प्रसन्न रहने वाले । उनका सुमिरन करने वाले भी प्रसन्न हो जायें ।* 🌷 *ॐ प्रमोदाय नम: : प्रमोदाय; दूसरों को भी आनंदित करते हैं । भक्त भी प्रमोदी होता है और अभक्त प्रमादी होता है, आलसी । आलसी आदमी को लक्ष्मी छोड़ कर चली जाती है । और जो प्रमादी न हो, लक्ष्मी स्थायी होती है ।* 🌷 *ॐ अविघ्नाय नम:* 🌷 *ॐ विघ्नकरत्र्येय नम:* 🙏🏻 *- Shri Sureshanandji Dewas 16th April' 2013* 📖 *वैदिक पंचांग संपादक ~ अंजनी निलेश ठक्कर* 📒 *वैदिक पंचांग प्रकाशित स्थल ~ सुरत शहर (गुजरात)* 🕉️ *~ वैदिक पंचांग ~* 🕉️ 🙏🏻🌷🌸🌼💐☘🌹🌻🌺🌷🙏🏻
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